ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को दूर करने और पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार तमाम प्रयास कर रही हैं। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अमृत सरोवर योजना लागू की गई है। लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते सरकार की ये महत्वकांक्षी योजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है। हम इस पोस्ट में बात कर रहे हैं, कानपुर देहात की जहां डीसी मनरेगा कर्मचारियों ने, अमृत सरोवर के 600 प्रस्ताव सरकार को भेजे थे।
वहीं उसमें से 117 अमृत सरोवरों कागजों में मानकों के आधार पर कंप्लीट दिखाया जा रहा है। जबकि इनकी धरातल पर स्थिति बद से बदतर है। अगर बात की जाय अमृत सरोवर की अनुमानित लागत की तो 10 लाख रुपए से लेकर 30 लाख रुपए इस पर खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन गांव के लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
बता दें कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में जल संकट को दूर करना था। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देना और गांव की जनता को शुद्ध वातावरण प्रदान करना था। इन अमृत सरोवरों में हमेशा पानी मौजूद रहने का दावा भी किया गया था। आसपास पेड़ों को लगाकर हरियाली और लोगों के बैठने की अच्छी व्यवस्था होनी थी।
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वहीं पूरे मामले को लेकर जब कानपुर देहात के डीसी मनरेगा अधिकारी प्रेम प्रकाश त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने जनता के आरोपों को ही दरकिनार कर दिया।