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Mahakumbh 2025: वैष्णव परंपरा के 350 साधक करेंगे कठिनतम खप्पर तपस्या

महाकुंभ 2025 में वैष्णव परंपरा के साधुओं द्वारा कठिनतम खप्पर तपस्या की जाएगी। इस बार करीब 350 तपस्वी धूनी साधना में लीन होंगे। यह साधना अखाड़ों में साधुओं की वरिष्ठता निर्धारित करने का प्रमुख आधार मानी जाती है। खाक चौक में इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

धूनी तपस्या: वैष्णव परंपरा की परम साधना

वैष्णव परंपरा, विशेष रूप से श्रीसंप्रदाय (रामानंदी संप्रदाय), में धूना तापना एक अत्यंत कठिन तपस्या मानी जाती है। पंचांग के अनुसार, सूर्य उत्तरायण के शुक्ल पक्ष से इस साधना का आरंभ किया जाता है। साधक इस तपस्या से पूर्व निराजली व्रत रखते हैं और फिर धूनी में बैठकर इसे पूर्ण करते हैं।

छह चरणों में पूर्ण होती है तपस्या

धूनी तपस्या को छह चरणों में पूरा किया जाता है:

1. पंच श्रेणी – साधक पांच स्थानों पर जल रही अग्नि के मध्य में बैठकर तपस्या करते हैं।
2. सप्त श्रेणी – इस चरण में सात स्थानों पर अग्नि जलाई जाती है और साधक इसके बीच बैठकर तपस्या करते हैं।
3. द्वादश श्रेणी – इसमें 12 स्थानों पर अग्नि प्रज्वलित कर तपस्या की जाती है।
4. चौरासी श्रेणी – इस चरण में 84 स्थानों पर अग्नि जलाई जाती है।
5. कोटि श्रेणी – इसमें सैकड़ों स्थानों पर अग्नि की आंच में तपस्या की जाती है।
6. खप्पर श्रेणी – यह तपस्या का सबसे कठिन चरण होता है, जिसमें सिर के ऊपर मटके में अग्नि प्रज्वलित कर साधना की जाती है।

हर श्रेणी को पूरा करने में तीन वर्ष का समय लगता है, और संपूर्ण तपस्या में कुल 18 वर्ष लगते हैं।

खप्पर तपस्या: सबसे कठिन साधना

खप्पर तपस्या में साधक के सिर के ऊपर मटके में अग्नि प्रज्वलित की जाती है और साधक को प्रतिदिन 6 से 16 घंटे तक तपस्या करनी होती है। यह साधना वसंत पंचमी से गंगा दशहरा तक चलती है और तीन वर्षों तक निरंतर जारी रहती है।

महाकुंभ में 350 तपस्वियों की कठिन साधना

महाकुंभ 2025 में दिगंबर, निर्मोही, निर्वाणी अखाड़ों के साधु एवं खाक चौक के तपस्वी इस कठिन तपस्या में भाग लेंगे। कुल 350 से अधिक साधक खप्पर तपस्या करेंगे, जबकि अन्य साधक अपने-अपने चरणों की तपस्या पूरी करेंगे।

साधना के साथ तय होती है वरिष्ठता

धूनी तपस्या साधकों की वरिष्ठता निर्धारित करने का एक महत्वपूर्ण आधार होती है। महाकुंभ से शुरू होने वाली यह साधना पंच श्रेणी से प्रारंभ होकर खप्पर श्रेणी तक पहुंचती है। खप्पर श्रेणी के तपस्वी को समाज में अत्यंत सम्मान प्राप्त होता है। कई साधक इस तपस्या को एक बार पूर्ण करने के बाद दोबारा भी इसे आरंभ करते हैं| महाकुंभ 2025 में इस महान तप साधना का साक्षी बनने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में संगम नगरी प्रयागराज में जुटेंगे।

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