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Bareilly News: बरेली स्मार्ट सिटी में टॉयलेट के नाम पर 50 करोड़ का घोटाला, जनता ने पूछा 6 करोड़ का टॉयलेट आखिर है क्या?

दो साल में नहीं हुआ उपयोग, लोकार्पण के बाद से जर्जर हालत में पहुंचे स्मार्ट बायो टॉयलेट्स...

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Bareilly News: बरेली स्मार्ट सिटी में टॉयलेट के नाम पर 50 करोड़ का घोटाला, जनता ने पूछा 6 करोड़ का टॉयलेट आखिर है क्या?

बरेली स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हुए एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसमें 50 करोड़ रुपये खर्च करके शहर के अलग-अलग इलाकों में 9 smart bio-toilets बनाए गए, लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद भी इनका उपयोग शुरू नहीं हो सका। जनता अब नगर निगम से पूछ रही है कि आखिर उनके टैक्स के पैसे की ये बर्बादी क्यों हुई?

टीन के टॉयलेट पर 6 करोड़: जनता हैरान

7 दिसंबर 2022 को इन टॉयलेट्स का उद्घाटन किया गया था और दावा किया गया था कि इन्हें जल्द चालू कर दिया जाएगा। लेकिन आज तक ये उपयोग में नहीं आ सके। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि टीन से बने एक टॉयलेट की कीमत 5.97 करोड़ रुपये बताई गई है, जो किसी आलीशान भवन की लागत से भी कहीं ज्यादा है। आम नागरिक पूछ रहे हैं कि आखिर इस टॉयलेट में ऐसा क्या है जो इसकी कीमत इतनी ज्यादा है?

जगह की कमी का बहाना बना, लेकिन समाधान नहीं निकला

बरेली के व्यस्त बाजार क्षेत्रों में जगह की कमी को देखते हुए स्मार्ट टॉयलेट लगाने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इन टॉयलेट्स को लगाकर छोड़ दिया गया—न तो इनकी देखरेख की गई, न ही इन्हें चालू किया गया। इससे नागरिकों को खासकर महिलाओं को खुले में शौच जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। यह Swachh Bharat Mission की सोच पर सीधा तमाचा है।

संजय कम्युनिटी हॉल में भी भ्रष्टाचार की बू

संजय कम्युनिटी हॉल में जहां पर्याप्त जगह मौजूद थी, वहां भी मजबूत पक्का टॉयलेट बनाने की बजाय टीन का अस्थायी ढांचा खड़ा कर दिया गया, जिसकी हालत अब खस्ता हो चुकी है। यहां आधी लागत में स्थायी टॉयलेट बनाया जा सकता था, लेकिन अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से फिजूलखर्ची की गई।

घर के लिए 2.5 लाख, और टॉयलेट के लिए 6 करोड़: क्या यही न्याय है?

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक गरीब परिवार को घर के लिए 2.5 लाख रुपये की सहायता दी जाती है, जबकि बरेली नगर निगम ने एक अस्थायी टॉयलेट पर 6 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। यह सीधे तौर पर सरकारी धन के दुरुपयोग और corruption की ओर इशारा करता है।

1200 करोड़ का फंड, फिर भी नतीजा शून्य

बरेली नगर निगम को अब तक केंद्र सरकार से स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 1200 करोड़ रुपये का फंड मिल चुका है। लेकिन नतीजे के तौर पर जर्जर टॉयलेट, बंद पड़ी सुविधाएं और जनता की बढ़ती परेशानियां सामने आ रही हैं। 6 लाख में बनने वाला टॉयलेट 6 करोड़ में बनाना भ्रष्टाचार का सीधा प्रमाण माना जा रहा है।

सिविल सोसायटी की आवाज और जनता का गुस्सा

इस पूरे घोटाले को लेकर Civil Society ने आवाज बुलंद की है। सोसायटी के अध्यक्ष राज नारायण गुप्ता ने बताया कि यह जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी है। वहीं, एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि शहर में खासकर महिलाओं को शौचालय की अनुपलब्धता के कारण रोजाना बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

अब क्या होगा आगे? जांच या फिर परदा डालना?

इस घोटाले ने बरेली नगर निगम की accountability पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सवाल यह है कि क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी? क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी? या यह मामला भी बाकी घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा? जनता अब जवाब चाहती है—और जल्द से जल्द।

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