बलरामपुर में पिछले हफ्ते से लगातार हो रही बारिश और नेपाल से राप्ती नदी में पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ की स्थिति गंभीर हो चुकी है। इस बाढ़ के पानी से लगभग 50 गांव जलमग्न हो चुके हैं, जिससे यहां के लोगों का आवागमन पूरी तर से रुक गया है। वहीं राप्ती नदी का जलस्तर खतरे के निशान के करीब है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है।
बारिश के कारण जरवा क्षेत्र के पिपरा दुर्गानगर प्रतापपुर में 100 साल पुराना पीपल का पेड़ गिर गया। गनीमत रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन पेड़ गिरने से पास में लगा बिजली का खंभा टूट गया। राप्ती नदी और पहाड़ी नालों के उफान से प्रभावित गांवों में लोग घर की छतों पर रहने को मजबूर हैं। पिपरा, दुर्गानगर, प्रतापपुर, साखीरेत, चंदनजोत, हिम्मतपुरवा जैसे गांवों में पानी भर गया है, जिससे मवेशियों के लिए चारे का संकट उत्पन्न हो गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से राहत और बचाव कार्य की मांग की है।
पहाड़ी नालों में आई बाढ़ के कारण कई महत्वपूर्ण सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हेंगहा नाले के पुल का एप्रोच कट गया है, जिससे बलरामपुर को श्रावस्ती से जोड़ने वाली सड़क पर आवागमन ठप हो गया है। लालपुर-सिकटिहवा मार्ग पर भी पानी भरने से वाहनों का आवागमन प्रभावित हो रहा है। ललिया-कोड़री मार्ग पर भी पानी का स्तर बढ़ चुका है, ऐसे में यहां नाव का सहारा लिया जा रहा है।
राप्ती नदी का जलस्तर कम होने के साथ ही तटीय क्षेत्रों में कटान शुरू हो चुका है। बलरामपुर के सदर और तुलसीपुर क्षेत्र, इसके साथ ही उतरौला के कुछ इलाकों में राप्ती नदी में कटान होने से बस्ती और फसलों को नुकसान होने की आशंका है।
जिले में बाढ़ के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए तत्काल राहत और बचाव कार्यों की आवश्यकता है। प्रशासनिक स्तर पर स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उचित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।