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UP LS Election 2024 Phase 5: लोस चुनाव के 5वें फेज के तहत 57.79% वोटिंग, वहीं 2019 में 58.68% मतदान

Under the third phase, only 57.34 percent voting took place on 10 seats of UP, highest in Sambhal and lowest in Agra

Under the third phase, only 57.34 percent voting took place on 10 seats of UP, highest in Sambhal and lowest in Agra

LS Election 2024 Phase 5:  प्रदेश में पांचवें चरण के तहत कल 14 संसदीय सीटों पर 57.79% वोटिंग हुई। वहीं कल हुई वोटिंग को देखा जाए तो 2019 में हुए वोटिंग प्रतिशत के जैसा ही रहा। आम चुनाव 2024 में 41°C तापमान होने के बाबजूद भी बाराबंकी के वोटरों में उत्साह दिखा जहां सबसे ज्यादा 66.89 फीसद वोटिंग हुई। जबकि गोंडा सीट पर वोटर बूथ तक नहीं पहुँचे, ऐसे में यहां सबसे कम मात्र 51.45 फीसद वोटिंग हुई। इसी के साथ नवाबों का शहर, लखनऊ में भीषण गर्मी के कारण मतदान पर असर दिखा।

इस बार के आम चुनाव में यह भी कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा को 14 सीटों में से, 3 से 4 सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं 2019 के आम चुनाव में भाजपा को 14 सीटों में से 13 सीट भाजपा को मिली थी।

2009 में इन 14 सीटों पर 45.92% वोटिंग हुई थी। 2014 में वोटिंग 10.71% बढ़कर 56.63% हो गई। तब मोदी लहर थी। 2019 के चुनाव में 2.05% की बढ़त हुई और वोटिंग 58.68% तक पहुंच गई।

पिछले तीन आम चुनावों में लखनऊ में सबसे कम वोटिंग

लखनऊ में 46.6°C टेम्प्रेचर का असर वोटिंग पर भी दिखा। दोपहर 3 बजे तक सिर्फ 41% वोटिंग हुई। आखिरी के 2 घंटे में वोटिंग रिकवर हुई। शाम 6 बजे तक 52.3% मतदान हुआ, जो 3 चुनाव में सबसे कम रहा। हालांकि लखनऊ में वोटिंग के कम-ज्यादा होने से बड़ा बदलाव नहीं देखा गया है। 2009 में जब सिर्फ 35.56% वोटिंग हुई थी, तब भी भाजपा जीती थी।

लखनऊ में 46.6 डिग्री सेल्सियस का प्रभाव वोटिंग पर साफ-साफ दिखा। ऐसे में यहां दोपहर के 3 बजे तक मात्र 41 फीसद वोटिंग हुई। पर शाम के आखिरी दो घंटों में वोटिंग प्रटिशत को यहां के वोटरों ने रिकवर कर लिया। शाम के 6 बजे तक यहां 52.3 फीसद मतदान हुआ, जो पिछले 3 चुनाव की समीक्षा में सबसे कम रहा। हालांकि इस सीट पर वोटिंग कम या ज्यादा होने का कोई विशेष प्रभाव नहीं रहा है।

बात करें 2009 के आम चुनाव की तो उस समय यहां का वोटिंग प्रतिशत मात्र 35.56 फीसद था और यहां से भाजपा ने झंडा फहराया था। वहीं 2014 में मात्र 53.02 फीसद वोटिंग हुई थी और 2019 में 54.72 फीसद वोटिंग हुई थी लेकिन यहां से राजनाथ सिंह चुनाव जीतते रहे।

रायबरेली में इस बार करीब 2% कम वोटिंग

कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले रायबरेली में शाम 6 बजे तक 57.85% वोटिंग हुई। जो कि आम चुनाव 2019 की तुलना में 1.65% कम रही। रायबरेली संसदीय सीट भी यूपी की उन दिग्गज सीटों में शामिल है, जहां वोटिंग प्रतिशत कम या ज्यादा होने से, यहां के प्रत्याशी पर नहीं होता है।

रायबरेली में आम चुनाव 2009 में 48.33% और 2014 में 51.73% मतदान हुआ था और इन दोनों चुनाव में काग्रेस की सोनिया गांधी सांसद बनीं। वहीं 2024 में सोनिया के चुनाव नहीं लड़ने पर राहुल गांधी कांग्रेस से कैंडिडेट हैं। उनके सामने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह चुनाव मैदान में हैं। एक्सपर्ट की माने तो- यहां कांग्रेस पार्टी के लिए रायबरेली का चुनाव आसान दिख रहा है।

अमेठी में 2024 के आम चुनाव में मात्र 54.50% वोटिंग

अमेठी में इस बार 54.50% वोटिंग हुई, जबकि 2019 की तुलना में 0.42% ज्यादा है। बता दें कि 2019 के चुनाव में 54.08% वोटिंग होने पर भाजपा की स्मृति ईरानी ने चुनाव जीतकर बड़ी जीत दर्ज की थी। वो इस बार भी यहां से चुनावी मैदान पर हैं। उनके सामने इस बार कांग्रेस के केएल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां वोटिंग तकरीबन पिछले चुनाव जितनी ही है। ऐसे में राजनीति के जानकार यहां पर कांटे की टक्कर मान रहे हैं।

इससे पहले साल 2009 में 45.16% वोटिंग पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2014 में 7.23% वोटिंग बढ़ी, 52.39% लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया था। तब भी कांग्रेस के राहुल गांधी जीते थे। ऐसे में इस बार अमेठी में कांग्रेस के सामने अपनी खोई हुई सीट दोबारा पाने का चैलेंज है।

कैसरगंज में लोग घर से निकले, ज्यादा मतदान से भाजपा का लाभ

बृजभूषण के कारण कैसरगंज हॉट सीट रही है। उनके बेटे करण भूषण के चुनाव पर सभी की निगाह है। 2024 में 2019 की तुलना में 1% ज्यादा वोटिंग हुई है। जोकि सत्ता के लिए सही संकेत है। 2014 में यहां 55.11% वोटिंग हुई। 2019 में 54.39% मतदान हुआ। इन दोनों ही चुनाव में बृजभूषण ने बाजी मारी थी। इस बार वोटिंग 2014 के चुनाव के बराबर हुई है।

मोहनलालगंज में 2019 जितनी ही वोटिंग

आम चुनाव 2019 जितनी ही वोटिंग मोहनलालगंज में इस बार हुई है, पर भाजपा की सीट पर फाइट टफ है। वहीं भीषण गर्मी के बावजूद मोहनलालगंज में 62.53% वोटिंग हुई। यह 2019 के 62.79% मतदान के बराबर ही है। राजनीतिक सलाहकार मानते हैं कि भले ही वोटिंग ट्रेंड पिछले चुनाव जैसा रहा है, मगर यहां भाजपा को सपा के आरके चौधरी से टफ फाइट देखने को मिली है। केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर की सीट फंसी हुई है। 4 जून को फाइनल रिजल्ट आने पर हार-जीत का मार्जिन कम रहने वाला है। 2009 में जब 46.27% वोटिंग हुई थी। तब सपा की सुशीला सरोज सांसद बनी थीं।

जालौन

जालौन में भाजपा हैट्रिक की कोशिश में है, मगर इस बार सपा भाजपा को टक्कर दे रही है और वहीं भाजपा जालौन सीट पर तीसरी बार चुनाव जीतना चाहती है। मगर रिकॉर्ड कहते हैं कि जब-जब वोटिंग ज्यादा हुई, तब-तब भाजपा का सांसद बना। मगर इस बार 2.5% कम वोटिंग हुई है। 2014 और 2019 में तकरीबन 58.78% वोटिंग हुई। जबकि 2009 में में 47.33% वोटिंग हुई थी। तब सपा के घनश्याम अनुरागी चुनाव में विजयी हुए थे। वोटिंग कम होने के कारण जालौन में सपा के नारायण दास अहिरवार टक्कर में हैं।

झांसी में ज्यादा वोटिंग, भाजपा के लिए फायदेमंद

5वें फेज में झांसी संसदीय सीट उन सीटों में शुमार है, जहां अच्छी वोटिंग हुई। शाम के 6 बजे तक 63.57% वोटिंग हुई है। 2019 में 67.68% वोटिंग हुई थी, इस बार 4.11% कम वोटिंग हुई। लेकिन पांचवें फेज में बाराबंकी के बाद सबसे ज्यादा वोट झांसी में ही डाले गए।

इलेक्शन कमीशन के अनुसार, यहां के 3 गांव में 100% वोटिंग हुई। 2014 में 68.37% वोट पड़े थे, साध्वी उमा भारती सांसद बनी थीं। ये भाजपा की सेफ सीट मानी जाती है। वहीं कम वोटिंग के बावजूद भाजपा को यहां ज्यादा नुकसान नहीं होगा। हाँ, हार-जीत का मार्जिन कुछ कम-ज्यादा जरूर हो सकता है।

हमीरपुर में 2019 के आम चुनाव के मुकाबले 1.96% कम वोटिंग

हमीरपुर संसदीय सीट पर दोपहर के 11 बजे तक सिर्फ 28.24% वोटिंग ही हुई। मगर दोपहर 3 बजे के बाद वोटिंग प्रतिशत बढ़ गया। बूथों के बाहर कतार दिखने लगी। इसका असर यह हुआ कि शाम के 6 बजे तक 60.36% वोटिंग हुई। हालांकि यह 2019 की तुलना में 1.96% कम रही। तब 62.32% वोटिंग हुई थी। 2009 के चुनाव में 46.68% वोटिंग होने पर बसपा के विजय भदौरिया सांसद बने थे। इसके बाद 2 चुनाव से यह सीट भाजपा के कब्जे में रही है।

बांदा में वोटिंग कम पर भाजपा सुरक्षित

भीषण गर्मी के बावजूद दोपहर 1 बजे तक बांदा में 40% वोटिंग हो गई थी। इसके बाद सिर्फ 19% ही मत-दान हुए। शाम 6 बजे तक 59.46% वोटिंग हो सकी। यह 2019 की तुलना में 1.34% कम रही। हालांकि रिकॉर्ड के मुताबिक, 2014 में जब 53.61% वोटिंग हुई, तब भाजपा जीती थी। इससे पहले 2009 में सिर्फ 44.67 % वोटिंग होने पर सपा के आरके सिंह पटेल जीते थे। ऐसे में यहां भाजपा सांसद दोबारा बन सकता है।

फतेहपुर में भाजपा हैट्रिक की फिराक में

फतेहपुर में 11 बजे तक 28% वोटिंग ही हो सकी। इसके बाद लोग घरों से निकले। शाम 6 बजे तक 56.90% वोटिंग हो सकी। यहां पिछले 2 चुनाव में साध्वी निरंजन ज्योति जीत रही हैं। वह भाजपा के टिकट पर तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। राजनीतिक सलाहकार कहते हैं कि भले ही वोटिंग ट्रेंड 2019 जैसा रहा है, मगर हार-जीत का मार्जिन कम देखने को मिल सकता है। 2009 में जब 45.19% वोटिंग हुई, तब सपा के राकेश सचान विजयी हुए थे।

कौशांबी में पिछले आम चुनाव के मुकाबले 2% कम वोटिंग

कौशांबी में सुबह 9 बजे तक सबसे कम 10.49% वोटिंग हुई थी। इसके बाद 1 बजे तक लोग घरों से निकले। फिर भी  मात्र 36% ही वोटिंग हो सकी। मगर आखिरी के 3 घंटों में 52.60% वोटिंग हो गई थी। यहां 2009 में 39.63 % वोटिंग होने पर सपा से रहे प्रत्याशी शैलेंद्र कुमार जीते थे।

वहीं 2019 में वोटिंग प्रतिशत 12.74% बढ़ गया। तब भाजपा ने जीत दर्ज की। 2019 में फिर वोटिंग 2.19% वोटिंग बढ़ी, एक बार फिर भाजपा जीत गई। इस बार 1.96% वोटिंग कम हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि- यहां भाजपा को फाइट करनी पड़ सकती है।

बाराबंकी में सबसे ज्यादा वोटिंग, फायदा भाजपा को

5वें फेज में सबसे ज्यादा 66.89% लोग मतदान केंद्रों तक पहुंचे और अपने मत का प्रयोग किया। पिछले रिकॉर्ड कहते हैं कि वोटिंग बढ़ने का फायदा भाजपा को होता है। ऐसे में कांग्रेस के तनुज पुनिया के लिए चुनाव मुश्किल हो सकता है। 2009 में 52% वोटिंग होने पर तनुज के पिता पीएल पुनिया चुनावी रण जीते थे।

इसके बाद 2014 में 9.76% वोटिंग में इजाफा हुआ और भाजपा से प्रियंका सिंह रावत चुनाव जीत गईं। यही सिलसिला 2019 में भी जारी रहा। इस बार भाजपा के उपेंद्र रावत चुनाव जीते। 2024 में रिकॉर्ड वोटिंग होने से भाजपा की सीट सुरक्षित बताई जा रही है।

फैजाबाद में वोटिंग कम, लेकिन भाजपा के लिए सुरक्षित

फैजाबाद संसदीय सीट पर भी लोग वोटिंग के लिए गर्मी में लोग घरों से कम निकले। दोपहर 11 बजे तक 29% वोटिंग हुई। तेज धूप के कारण बूथों पर सन्नाटा रहा। मगर शाम 6 बजे तक वोटिंग 58.96% तक पहुंच गई। फैजाबाद में 2014 में 58.82%, जबकि 2019 में 59.69% वोटिंग हो सकी। दोनों ही चुनाव भाजपा ने जीते। इससे पहले 2009 में 50.5% वोटिंग होने पर कांग्रेस की निर्मल खत्री को विजय प्राप्त हुई थी। राजनीतिक सलाहकार मानते हैं कि यहां पर हार-जीत का मार्जिन कम हो सकता है, मगर भाजपा के लिए फैजाबाद सेफ सीट है।

गोंडा में सबसे कम वोटिंग, मगर INDI गठबंधन को फायदा नहीं

गोंडा संसदीय सीट पर भाजपा की तरफ से कीर्ति-वर्धन चुनाव लड़ रहे हैं। 2024 के आम चुनाव में 5वें फेज में सबसे कम वोटिंग गोंडा में ही हुई है जहां करीब 51.45% मतदाता मतदान देने पहुँचे। यह 2019 की तुलना में करीब 0.75% कम है। मगर वोटिंग ट्रेंड को समझें तो कम वोटिंग के बावजूद कीर्तिवर्धन को कोई हानि नहीं हो रही है। 2014 में भी 51.08% वोटिंग हुई, तब कीर्तिवर्धन भाजपा से सांसद बने थे। इसके बाद 2019 में 52.20% वोटिंग हुई और कीर्तिवर्धन ने जीत बरकरार रखी।

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