महराजगंजः नेपाल में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के चलते वाल्मीकिनगर गंडक बैराज के सभी 36 फाटक खोल दिए गए हैं। जिससे साढ़े छ: लाख क्यूसेक पानी नदियों में छोड़ा गया है। जिससे उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं। खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के दर्जनों जिलों में भंयकर बाढ़ आ गई है। महाराजगंज के जिलाधिकारी अनुनय झा ने बताया कि नेपाल के बैराज से छोड़े गए पानी का 4 लाख 20 हजार क्यूसेक पानी उत्तर प्रदेश में पहुंच गया है।
नेपाल से निकालने वाली नदियों का जलस्तर बढ़ने से बांधों पर दबाव बढ़ गया है, तो वहीं नेपाल में महाव नाला टूटने से भारतीय क्षेत्र के कई गांवों पर डूबने का संकट मंडरा रहा है। बता दें कि नेपाल में महाव नाले का पश्चिमी तटबंध तरकुलवा में टूट गया है। जिससे बाढ का पानी भारतीय सीमा में प्रवेश कर तहसील क्षेत्र नौतनवां के ग्राम झिगटी, मरजादपुर, सेवतरी, पडौली, खैर हवा दूबे, कोहरगड्डी सहित सीमावर्ती गाँवों के खेत बाढ़ में डूब गए हैं।ग्रामीणों की तमाम फसलें बर्बाद हो गई हैं, बाढ़ का पानी गांवों में घुस गया है। जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में बाढ़ बचाव को लेकर सिंचाई विभाग पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। योगी सरकार हर साल लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है। मानसून आने से पहले बाढ़ से निपटने के लिए हर साल तैयारियां की जाती हैं, लेकिन जिम्मेदार सिंचाई विभाग समय पर कुंभकर्णी नींद सोता रहा। सिंचाई विभाग ने ना तो नई बाढ़ परियोजनाओं पर कोई काम किया और ना ही कमजोर तटबंधों की मरम्मत की। लिहाजा जब बाढ़ आई तो गांव के गांव बाढ़ की भेंट चढ़ने लगे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि बाढ़ की त्रासदी के लिए कौन जिम्मेदार है?