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UP LS Election 2024: 7वां चरण बसपा के लिए आसान नहीं, पिछले चुनाव में 2 सीटों पर हाथी ने मारी थी बाजी

UP Election: आम चुनाव के अंतर्गत सातवें चरण की लड़ाई इस बार काफी रोचक से भरी हुई है। बता दें कि बसपा ने पिछले आम चुनाव में दों सीटों पर बाजी मारी थी। लेकिन इस बार के आम चुनाव में हाथी की राह आसान नहीं दिख रही है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
Updated:
UP LS Election 2024: 7वां चरण बसपा के लिए आसान नहीं, पिछले चुनाव में 2 सीटों पर हाथी ने मारी थी बाजी

UP Election: आम चुनाव के अंतर्गत सातवें चरण की लड़ाई इस बार काफी रोचक से भरी हुई है। बता दें कि बसपा ने पिछले आम चुनाव में दों सीटों पर बाजी मारी थी। लेकिन इस बार के आम चुनाव में हाथी की राह आसान नहीं दिख रही है।

बसपा के लिए सातवें चरण का चक्रव्यूह इस बार काफी मुश्किलों से भरा हुआ है। पिछले चुनाव में घोसी सीट और गाजीपुर सीट पर हाथी सब पार्टियों पर भारी पड़ा था। हालांकि इस बार पार्टी ने प्रत्याशियों के चयन में काफी सावधानियां बरती हैं, फिर भी बदले समीकरणों के कारण और सपा का कांग्रेस के साथ जाने के चलते बसपा अपने पिछले प्रदर्शन को दोहरा पाए कहा नहीं जा सकता।

2019 में बसपा और सपा साथ थे

पिछले आम चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। बसपा ने पांच सीटों पर, जबकि सपा ने आठ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। गाजीपुर में 51.2 फीसदी और घोसी में 50.3 फीसदी वोट शेयर के साथ पार्टी को जीत मिली थी। जबकि देवरिया में 32.57 फीसदी, बांसगांव में 40.57 फीसदी और सलेमपुर में 38.52 फीसदी वोट शेयर के साथ हाथी दूसरे नंबर पर रही थी। ये आंकड़े साफ-साफ बताते हैं कि गठबंधन का बसपा को फायदा हुआ था। लेकिन गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी, इस बार सपा से चुनावी मैदान पर हैं, जबकि घोसी के सांसद अतुल कुमार सिंह को 2024 में बसपा सुप्रीमो ने पार्टी से बाहर कर दिया है।

पार्टी ने इस बार सभी 13 संसदीय सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। गाजीपुर से डॉ. उमेश कुमार सिंह और घोसी से पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना भरोसा जताते हुए उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है।

पर…सोशल इंजीनियरिंग का रंग तो दिखेगा ही पार्टी को

बसपा ने प्रत्याशियों के चयन में सोशल इंजीनियरिंग का बखूबी इस्तेमाल किया है। हाथी भले ही कमाल न दिखा पाए, पर सोशल इंजीनियरिंग के बल पर प्रतिद्वंद्वियों की मुश्किलें जरूर बढ़ जाएंगी। पार्टी ने वाराणसी में अतहर जमाल लारी को प्रत्याशी बनाया है, जो मुस्लिम वोटबैंक को सपा-कांग्रेस गठबंधन की तरफ जाने से रोकने में लगे हैं।

इसी तरह महराजगंज और गोरखपुर में भी मुस्लिमों को टिकट दिया गया है। यही नहीं, देवरिया और बलिया सीट पर यादव प्रत्याशी उतारे हैं। पिछले चुनाव में बसपा ने देवरिया में विनोद कुमार जायसवाल को टिकट दिया था, जिन्हें भाजपा के रमापति राम त्रिपाठी ने करीब ढाई लाख वोटों से हराया था। इस बार शशांक मणि त्रिपाठी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

सलेमपुर में रोचक होगी लड़ाई

बसपा ने सलेमपुर में अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दिया है। पिछले चुनाव में सलेमपुर से रविंदर बसपा के प्रत्याशी थे, जिन्हें भाजपा के राजेश कुमार मिश्रा ने करीब 1.13 लाख वोटों से शिकस्त दी थी। भीम राजभर भाजपा की चुनौतियां बढ़ाते दिख रहे हैं।

वहीं, बांसगांव सुरक्षित सीट से सदल प्रसाद के स्थान पर डॉ. राम समुझ को मैदान पर उतारा है। वहीं सदल प्रसाद कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं, जबकि भाजपा ने अपने तीन बार के सांसद कमलेश पासवान को फिर से मैदान में उतारा है। यहां भी भाजपा की चुनौतियां बढ़ेंगी।

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