भारत के इन 5 रहस्यमयी शिवलिंग मंदिर का संबंध कलयुग के अंत से

ABHINAV TIWARI

भारत में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास स्वयं में रहस्यमय है। इन मंदिरों में आज भी भक्तों को दैवीय शक्तियों का एहसास होता है।

इन्हीं में से देश के 5 प्राचीन शिव मंदिर भी शामिल हैं, जिनसे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।

ऐसा माना जाता है कि इन मंदिरों में स्वयं महादेव का वास हमेशा रहता है। इनमें से कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां पर शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है।

1. पौड़ीवाला शिव मंदिर

हिमाचल प्रदेश में स्थित इस मंदिर का संबंध रावण से बताया जाता है। मान्यता है कि रावण ने यहीं से स्वर्ग के लिए सीढ़ी बनाने का प्रण लिया था।

कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश स्थित पौड़ीवाला शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग का आकार हर महाशिवरात्रि को जौ के एक दाने बराबर बढ़ जाता है।

2. तिलभांडेश्वर

महादेव की नगरी काशी में स्थित इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, जो त्रेता युग में धरती से प्रकट हुआ था।

माना जाता है कि कलयुग की शुरुआत होते ही शिवलिंग का आकार तेजी से बढ़ने लगा, तब देवताओं ने भोलोनाथ से इसे रोकने की विनती की थी।

देवताओं की विनती सुन महादेव ने कहा कि अब शिवलिंग का आकार सिर्फ मकर संक्रांति के दिन ही बढ़ेगा।

3. मृदेश्वर महादेव

यह मंदिर गुजरात में स्थित है। यहां स्थापित शिवलिंग भी चावल के दाने जितना बढ़ता है।

मान्यताओं के अनुसार जब शिवलिंग की ऊंचाई साढ़े आठ फीट हो जाएगी, तब कलियुग का अंत होगा।

4. मंतगेश्वर मंदिर

माना जाता है कि मध्य प्रदेश में स्थित 18 फीट उंचा शिवलिंग तिल के दाने के बराबर ऊपर-नीचे दोनों दिशाओं में बढ़ता है।

मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम भी इस मंदिर में आए थे और इसी शिवलिंग की पूजा की थी।

5. भूतेश्वर महादेव

कृष्ण की नगरी मथुरा में स्थित इस मंदिर में भी हर साल शिवलिंग का आकार एक इंच से पौने इंच बढ़ जाता है।

यह पोस्ट धार्मिक भावनाओं और धार्मिक क्रियाकलापों  के आधार पर लिखा गया है "यूपी की बात" न्यूज़ चैनल इस जानकारी की पुष्टि और जिम्मेदारी नहीं लेता है।

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