जानिए फांसी सुबह ही क्यों दी जाती है?
ABHINAV TIWARI
दुनिया के दूसरे देशों की तरह ही भारत में भी बड़े और जघन्य अपराधों के लिए फांसी की सजा दी जाती है।
देश में अंग्रेजों के समय से ही फांसी की सजा हमेशा ही सुबह के समय दी जाती रही है।
जानिए, आखिर किसी अपराधी को सुबह सूर्योदय से पहले ही फांसी पर क्यों चढ़ाया जाता है।
मौत की सजा पा चुके अपराधियों को तड़के सुबह फांसी पर चढ़ाने की कई वजहें हैं।
दरअसल, जेल मैनुअल के तहत जेल के सभी काम सूर्योदय के बाद ही किए जाते हैं।
फांसी की वहज से और जेल से जुड़े दूसरे कामों में कोई बाधा न आए, इसलिए सबसे पहले इसी काम को अंजाम दिया जाता है।
अधिकतर धर्मों में सुबह के समय को पवित्र समय माना गया है। इसके पीछे मान्यता यह है कि आत्मा को मुक्ति इसी समय मिलती है।
कुछ लोगों का मानना है कि सुबह के समय कैदी को कम पीड़ा होती है और वह शांत रहता है।
सुबह के समय गवाहों और अधिकारियों को इकट्ठा करना आसान रहता है।
जिस दिन अपराधी को फांसी पर चढ़ाना होता है, उससे 10-15 दिन पहले खास प्लेटफॉर्म तैयार कर दिया जाता है।
जमीन से करीब 4 फुट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर क्रिमिनल को एक लकड़ी के पटरे पर खड़ा किया जाता है।
यह पोस्ट समान्य जानकारी के आधार पर है "UP KI BAAT" इस जानकारी की पुष्टि और जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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