नागा साधुओं को नहीं दी जाती मुखाग्नि... कैसे होता है अंतिम संस्कार ?

Abhinav Tiwari

हिन्दू धर्म के मुताबिक जन्म से लेकर मृत्यु तक संस्कारों का पालन किया जाता है और इनमें अंतिम संस्कार भी प्रमुख है। आम लोगों की अंत्येष्टि दाह संस्कार कर की जाती है।

जूना अखाड़ा के कोतवाल अखंडानंद महाराज बताते हैं कि मृत्यु के बाद नागा साधु को समाधि दी जाती है। वह चाहे जल समाधि हो या फिर भू-समाधि।

नागा की चिता को आग नहीं दी जाती है इससे बहुत दोष लगता है। वो पहले ही अपने जीवन को नष्ट कर चुके होते हैं और पिंडदान कर चुके होते हैं।

संन्यासी स्वामी हर प्रसाद कहते हैं कि कि नागा साधु जीवित रहते ही अपना तन और मन परमात्मा को समर्पित कर चुके होते हैं। ऐसे में उनके शव को अग्नि नहीं दी जाती है।

पहले नागा साधुओं को जल समाधि देने का चलन था। लेकिन प्रदूषण को कम करने के मकसद से अब नागाओं को सिद्ध योग मुद्रा में बैठाकर भू-समाधि दी जाती है।

पहले नागा साधुओं को जल समाधि देने का चलन था। लेकिन प्रदूषण को कम करने के मकसद से अब नागाओं को सिद्ध योग मुद्रा में बैठाकर भू-समाधि दी जाती है।

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