औरंगजेब का अफसोस: मराठा साहस के आगे झुकी मुगल सत्ता

Abhinav Tiwari

1665 में शिवाजी महाराज ने अहमदनगर पर हमला किया, जिसे रोकने के लिए औरंगजेब ने जय सिंह को भेजा।

पुरंदर संधि के तहत शिवाजी को 23 किले मुगलों को सौंपने पड़े।

1666 में शिवाजी और उनके पुत्र संभाजी को आगरा में दरबार में बुलाया गया और अपमानित कर नजरबंद कर दिया गया।

अगस्त 1666, शिवाजी फलों की टोकरी में छिपकर आगरा किले से भाग निकले।

शिवाजी की मृत्यु के बाद संभाजी महाराज ने मुगलों की दक्षिण विजय योजना को विफल किया।

1689 में मुगलों ने संभाजी को धोखे से पकड़ा और इस्लाम कबूलने का दबाव डाला, लेकिन उन्होंने इनकार किया।

संभाजी की वीरगति पर औरंगजेब ने कहा, “अगर मेरे चार बेटे संभाजी जैसे होते तो पूरा हिंदुस्तान मुगलों के अधीन होता।”

औरंगजेब के शासन में काशी विश्वनाथ मंदिर विध्वंस, जजिया कर और गुरु तेग बहादुर की हत्या जैसी घटनाओं ने उसे हिंदू विरोधी छवि दी।

इतिहासकारों के अनुसार, उसका शासन धार्मिक कट्टरता और राजनीतिक चालबाज़ी का मिला-जुला रूप था।

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