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AGHOR PANTH: एक रहस्यमयी साधना और शक्ति का अनूठा संसार

अघोर पंथ भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का एक ऐसा रहस्यमयी हिस्सा है, जिसे समझना आम व्यक्ति के लिए कठिन है। यह पंथ साधना, तंत्र और परंपरा का अनूठा संगम है।

By: Desk Team  RNI News Network
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AGHOR PANTH: एक रहस्यमयी साधना और शक्ति का अनूठा संसार

अघोर पंथ भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का एक ऐसा रहस्यमयी हिस्सा है, जिसे समझना आम व्यक्ति के लिए कठिन है। यह पंथ साधना, तंत्र और परंपरा का अनूठा संगम है। इस पंथ को मानने वाले साधु अघोरी कहलाते हैं, जो श्मशान में निवास करते हैं और अपनी साधना के लिए चिता भस्म, नरकंकाल, और अन्य विशेष सामग्रियों का उपयोग करते हैं। अघोर पंथ को रहस्यमयी और डरावना माना जाता है, लेकिन इसके पीछे गहन साधना और शक्ति का विज्ञान छिपा हुआ है।

अघोर पंथ क्या है?

अघोर पंथ को एक तंत्र परंपरा, साधना और जीवन शैली के रूप में जाना जाता है। इस पंथ के अनुयायी अपने गुरु के मार्गदर्शन में कठिन तपस्या और साधना करते हैं। बाबा राजकुमार अघोरी जी महाराज, जो इस पंथ के प्रमुख साधु हैं, बताते हैं कि अघोर पंथ आत्मा की शुद्धि और उच्चतम शक्ति प्राप्त करने का मार्ग है।

अघोरी साधु अपने जीवन को पूरी तरह से श्मशान, तंत्र साधना और चिता भस्म के साथ जोड़ लेते हैं। वे मानते हैं कि जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और इन दोनों को समझे बिना मोक्ष प्राप्त नहीं किया जा सकता।

कैसे बनते हैं अघोरी?

अघोरी बनने के लिए व्यक्ति को कड़ी साधना और तपस्या करनी पड़ती है। साधक को गुरु से दीक्षा लेनी होती है, जिसमें उन्हें अघोर पंथ के नियमों और साधनाओं की शिक्षा दी जाती है। साधक को श्मशान में रहना, चिता भस्म का उपयोग करना और कठिन परिस्थितियों में अपनी साधना को जारी रखना पड़ता है।

अघोरी बनने की प्रक्रिया में साधक को कई प्रकार की तांत्रिक क्रियाएं और साधनाएं करनी होती हैं। वे भूत-प्रेत और नेगेटिव ऊर्जा के प्रभाव को समाप्त करने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करते हैं। बाबा राजकुमार अघोरी जी महाराज बताते हैं कि यह साधना केवल मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत व्यक्ति ही कर सकता है।

नरमुंड और कंकाल का महत्व

अघोरी साधुओं के लिए नरमुंड और कंकाल का विशेष महत्व होता है। नरकंकालों का उपयोग तंत्र साधना और झाड़-फूंक में किया जाता है। अघोरी साधु कहते हैं कि हर कंकाल में शक्ति होती है, लेकिन यह शक्ति साधना के माध्यम से जागृत की जाती है।

बाबा राजकुमार अघोरी जी महाराज के अनुसार, हजारों कंकालों पर साधना की जाती है, लेकिन उनमें से कुछ ही काम आते हैं। जो कंकाल प्रभावी होते हैं, उनका उपयोग झाड़-फूंक और नेगेटिव ऊर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है।

नरमुंड की माला का श्रृंगार

अघोरी साधुओं के लिए नरमुंड की माला का श्रृंगार एक विशेष परंपरा है। यह श्रृंगार साल में एक बार श्मशान की होली के अवसर पर किया जाता है। इस दिन अघोरी साधु श्मशान में एकत्रित होते हैं और अपने देवता भैरव और श्मशान काली की पूजा करते हैं।

श्मशान की होली के दिन, अघोरी साधु नरमुंड की माला पहनते हैं और अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। यह परंपरा उनकी साधना और तंत्र शक्ति का प्रतीक मानी जाती है।

भस्म का महत्व

अघोरी साधुओं के लिए चिता भस्म का विशेष महत्व होता है। यह भस्म श्मशान से लाई जाती है और इसे विशेष मंत्रों और कीर्तन के माध्यम से सिद्ध किया जाता है। यह भस्म अघोरी साधुओं द्वारा प्रसाद के रूप में दी जाती है।

बाबा राजकुमार अघोरी जी महाराज बताते हैं कि इस भस्म का उपयोग न केवल पूजा में, बल्कि नेगेटिव ऊर्जा को दूर करने और समस्याओं का समाधान करने के लिए भी किया जाता है।

अघोरी साधुओं के जीवन का स्वरूप

अघोरी साधु अपना जीवन श्मशान में व्यतीत करते हैं। वे वहीं भोजन बनाते, खाते और अपनी साधना करते हैं। उनका मानना है कि श्मशान ही जीवन और मृत्यु का केंद्र है, जहां आत्मा और परमात्मा का मिलन होता है।

बाबा राजकुमार अघोरी जी महाराज बताते हैं कि उनके गुरु बाबा कीनाराम थे, जिन्होंने उन्हें अघोर पंथ की दीक्षा दी। बाबा कीनाराम को अघोर पंथ का प्रवर्तक माना जाता है और उनके अनुयायी आज भी उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं।

समस्याओं का समाधान

अघोरी साधुओं के पास लोग विभिन्न समस्याओं का समाधान खोजने आते हैं। इनमें भूत-प्रेत, नेगेटिव एनर्जी, और अन्य तांत्रिक समस्याएं शामिल होती हैं। अघोरी साधु विशेष पूजा-पाठ और झाड़-फूंक के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान करते हैं।

बाबा राजकुमार अघोरी जी महाराज कहते हैं कि 21वीं सदी में भी नेगेटिव ऊर्जा का प्रभाव होता है और इसे दूर करने के लिए तंत्र साधना का सहारा लिया जाता है।

अघोर पंथ की आध्यात्मिकता

अघोर पंथ केवल तंत्र साधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया है। यह आत्मा की शुद्धि और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संलग्न होने का मार्ग है। अघोरी साधु मानते हैं कि उनके द्वारा की गई साधना और तपस्या से न केवल उनका जीवन सुधरता है, बल्कि वे दूसरों की समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं।

निष्कर्ष

अघोर पंथ एक रहस्यमयी और शक्तिशाली परंपरा है, जिसे समझने के लिए गहरी आध्यात्मिकता और तंत्र ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह पंथ हमें जीवन और मृत्यु के गहरे रहस्यों को समझने का अवसर देता है। बाबा राजकुमार अघोरी जी महाराज और उनके जैसे साधु इस पंथ की परंपराओं को जीवित रखते हुए लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं और आत्मा को शुद्धि की ओर ले जाते हैं। यह पंथ भारतीय संस्कृति का एक अनमोल हिस्सा है, जो आज भी अपने अनुयायियों के लिए प्रेरणा और शक्ति का स्रोत बना हुआ है।

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