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LKO News: अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की हालत गंभीर, SGPGI में चल रहा इलाज

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया है। उन्हें ब्रेन हेमरेज के निदान के बाद लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई (SGPGI) में भर्ती कराया गया है, जहां डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही है। मंदिर परिसर और अयोध्या के भक्तों ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थनाएं शुरू कर दी हैं।

स्वास्थ्य संकट: क्या हुआ और क्या है हालत?

रविवार रात को लक्षण: आचार्य सत्येंद्र दास को तेज सिरदर्द और चक्कर आने की शिकायत हुई। उन्हें पहले अयोध्या के सिटी न्यूरो केयर हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन स्थिति गंभीर देखकर लखनऊ रेफर किया गया।

PGI में इलाज: न्यूरोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि उनके मस्तिष्क में रक्तस्राव हुआ है। फिलहाल ऑपरेशन का निर्णय नहीं लिया गया है।
सहयोगी पुजारी का बयान: मंदिर के सहायक पुजारी प्रदीप दास ने बताया, “आचार्य जी ने रविवार को सामान्य दिनचर्या के तहत पूजा-अर्चना की थी, लेकिन रात में अचानक तबीयत खराब हो गई।”

मंदिर प्रशासन ने जताई संवेदना, पूजा-पाठ जारी

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कहा कि आचार्य जी के इलाज के दौरान मंदिर की दैनिक गतिविधियां सहायक पुजारियों की देखरेख में निर्बाध रूप से जारी रहेंगी। ट्रस्ट के अधिकारियों ने उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए भक्तों से प्रार्थनाओं में शामिल होने का आग्रह किया।

जीवन परिचय: संन्यास से मंदिर तक का सफर

1. प्रारंभिक जीवन: सत्येंद्र दास का जन्म संत कबीरनगर में हुआ। बचपन से ही वे अयोध्या आते-जाते रहे और अभिराम दास (1949 में रामलला की मूर्ति स्थापित करने वाले संत) के शिष्य बने।
2. शिक्षा और करियर: 1975 में संस्कृत आचार्य की डिग्री हासिल की। 1976 से 2007 तक अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण पढ़ाया। साथ ही, मंदिर में पुजारी का दायित्व संभाला।
3. मुख्य पुजारी बनने का मोड़: 1992 में तत्कालीन रिसीवर जेपी सिंह की मृत्यु के बाद, विहिप नेताओं और संतों ने उन्हें मुख्य पुजारी नियुक्त किया।

1992 का ऐतिहासिक संघर्ष: रामलला को बचाने की कहानी

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान आचार्य सत्येंद्र दास मंदिर परिसर में मौजूद थे। उन्होंने बताया था, “कारसेवकों ने ढांचा गिराना शुरू किया, तो मैंने रामलला की मूर्तियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया।” इस घटना ने उन्हें रामभक्तों के बीच साहसी संरक्षक के रूप में प्रसिद्ध कर दिया।

परिवार और समाज से जुड़ाव

निजी जीवन: संन्यास लेने के बावजूद, वे त्योहारों पर परिवार से मिलते रहे। उनके एक भाई जीवित हैं, जबकि बहन का निधन हो चुका है।
सादगी भरा जीवन: मुख्य पुजारी होने के बाद भी उन्होंने सादगी बनाए रखी। 2007 में सेवानिवृत्ति तक उनका वेतन महज ₹13,000 था।

भावनाएं और संदेश

अयोध्या के निवासी और भक्त आचार्य जी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं। मंदिर परिसर में हवन-यज्ञ और रामायण पाठका आयोजन किया जा रहा है। एक भक्त ने कहा, “रामलला अपने भक्त को जल्द स्वस्थ करेंगे। हम सभी उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं।”

आचार्य सत्येंद्र दास के इलाज की अपडेट्स का इंतजार अयोध्या और देशभर के रामभक्त कर रहे हैं। SGPGI प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

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