प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 का व्यापक प्रभाव अब काशी (वाराणसी) में भी देखा जा रहा है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज से वाराणसी पहुंच रहे हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी
बीते चार दिनों से वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। काशी के प्रमुख गंगा घाटों पर सुबह से देर रात तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। श्रद्धालु अपनी धार्मिक यात्रा को पूरा करने के लिए वाराणसी के प्राचीन मंदिरों, घाटों और आरती स्थलों पर पहुंच रहे हैं।
काशी के प्रमुख धार्मिक स्थल जहां पहुंच रहे श्रद्धालु
1. काशी विश्वनाथ मंदिर
महादेव की नगरी में आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे हैं। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
2. दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली भव्य गंगा आरती में शामिल हुए बिना श्रद्धालु अपनी यात्रा को अधूरा मानते हैं। यह आरती आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होती है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।
3. काल भैरव मंदिर
काशी के कोतवाल माने जाने वाले भगवान काल भैरव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। मान्यता है कि बाबा काल भैरव के दर्शन के बिना काशी यात्रा पूरी नहीं होती।
4. संकट मोचन मंदिर
हनुमान भक्तों के लिए संकट मोचन मंदिर एक विशेष स्थान रखता है। यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान हनुमान से अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।
5. दुर्गा माता मंदिर (दुर्गाकुंड)
वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा माता मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्रि और अन्य विशेष अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
6. अन्य प्रमुख धार्मिक स्थल
महाकुंभ से काशी आने वाले श्रद्धालु नमो घाट, अस्सी घाट, उमरहाँ स्थित स्वर्वेद मंदिर, महामृत्युंजय मंदिर, सारंगनाथ मंदिर और मार्कण्डेय महादेव मंदिर के दर्शन भी कर रहे हैं। ये सभी स्थान काशी की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाते हैं।
देशभर से श्रद्धालु पहुंच रहे काशी
बीते कुछ दिनों में वाराणसी में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा सहित कई राज्यों से श्रद्धालु आ रहे हैं। लोग ट्रेन, बस और हवाई मार्ग से प्रयागराज होते हुए काशी की यात्रा कर रहे हैं।
काशी में पहले कभी नहीं दिखी ऐसी भीड़
स्थानीय लोगों के अनुसार, काशी में इससे पहले इतनी अधिक भीड़ कभी नहीं देखी गई। वाराणसी के जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूरी तरह मुस्तैद है। इसके अलावा, काशी के लोग भी श्रद्धालुओं की सेवा में आगे आ रहे हैं। कई लोग अपने घरों, संस्थानों और खुले स्थानों को श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए उपलब्ध करा रहे हैं।
क्या मौनी अमावस्या के बाद और बढ़ेगी भीड़?
मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। अब देखना यह होगा कि इस शुभ अवसर के बाद वाराणसी में श्रद्धालुओं की संख्या में और कितनी वृद्धि होती है।
काशी की आध्यात्मिक यात्रा का अनोखा अनुभव
महाकुंभ से काशी आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह यात्रा अध्यात्म, भक्ति और आस्था से भरी हुई है। काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर गंगा घाटों तक, हर स्थान पर भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का नजारा देखने को मिल रहा है। वाराणसी अब सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक बन गया है।