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Loksabha Election 2024: चुनावी बिगुल से प्रयागराज में टिकट पाने की होड़, कट सकता है रीता बहुगुणा का पत्ता

लोकसभा चुनाव का शंखनाथ हो चुका है इसी के साथ राजनीतिक उठापटक और सरगर्मी भी तेज हो गई है। कुछ लोग भाजपा के साथ जा रहे हैं तो कुछ राजनेता दूसरे दलों का दामन थाम रहे हैं। बता दें कि प्रयागराज में अब तक भाजपा ने फूलपुर और इलाहाबाद संसदीय सीट से उम्मीदवार का नाम नहीं घोषित किया है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
Updated:
Loksabha Election 2024: चुनावी बिगुल से प्रयागराज में टिकट पाने की होड़, कट सकता है रीता बहुगुणा का पत्ता

लोकसभा चुनाव का शंखनाथ हो चुका है इसी के साथ राजनीतिक उठापटक और सरगर्मी भी तेज हो गई है। कुछ लोग भाजपा के साथ जा रहे हैं तो कुछ राजनेता दूसरे दलों का दामन थाम रहे हैं। बता दें कि प्रयागराज में अब तक भाजपा ने फूलपुर और इलाहाबाद संसदीय सीट से उम्मीदवार का नाम नहीं घोषित किया है।

हाई प्रोफाइल सीट है इलाहाबाद

उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों में इलाहाबाद सीट भी आता है। यहां लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर मिश्रा जैसे राजनीतिक दिग्गजों के साथ-साथ अमिताभ बच्चन भी यहां से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में इस सीट पर निगाहें होना स्वभाविक है। बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार इलाहाबाद जिले की आबादी 59,54,390 है। वहीं लिंगानुपात की बात करें तो 1000 पुरुषों पर 901 महिलाएं हैं और यहां की साक्षरता दर 72.3 फीसदी है।

इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें हैं। इनमें मेजा, करछना, इलाहाबाद दक्षिण, बारा और कोरांव हैं। बारा और कोरांव विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए पहले से ही सुरक्षित है। मौजूदा समय में इन पांच सीटों में से चार सीटों पर बीजेपी का अधिपत्य है और महज करछना सीट सपा के झोले में है।

रीता बहुगुणा जोशी के बारे में

22 जुलाई 1949 को जन्मी रीता बहुगुणा स्वतन्त्रता सेनानी के साथ-साथ प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वर्गीय श्री हेमवती नन्दन बहुगुणा की सुपुत्री हैं। रीता की माताजी कमला बहुगुणा भी संसद सदस्य थीं। इतिहास विषय में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त बहुगुणा जोशी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास विभाग में 32 वर्षों तक अध्यापन कार्य किया है। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत सन् 1995 में हुई थी जब वे इलाहाबाद नगर निगम में प्रथम महिला महापौर के पद पर चुनी गयी थी।

वर्ष 2001 में उन्हें यूएनडीपी द्वारा दक्षिण एशिया की ‘प्रतिष्ठित महिला महापौर’ के रूप में सम्मानित किया जा चुका है। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा की दो बार सदस्य और उत्तर प्रदेश सरकार में मन्त्री भी रह चुकी हैं। उन्होंने कांग्रेस के साथ लंबे मदभेद के कारण 2016 पार्टी को छोड़ भाजपा ज्वाइन कर लिया और 2019 का लोकसभा चुनाव में वह प्रयागराज, उत्तर प्रदेश से संसद सदस्य रही।

इलाहाबाद के सीट का इतिहास

प्रयागराज प्रदेश का सर्वाधिक आबादी वाला जिला है। यह फूलपुर और इलाहाबाद के अलावा भदोही संसदीय सीट का भी हिस्सा है। इलाहाबाद संसदीय सीट ने देश को बड़ी राजनीतिक शख्सियतों से नमाज़ा है। आपको बता दें कि देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर जैसे राजनीतिक दिग्गज यहां से चुनाव जीते हुए हैं। वहीं हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज राजनेता को हराकर अमिताभ बच्चन भी यहां से सांसद रह चुके हैं।

इलाहाबाद से पहले सांसद श्रीप्रकाश स्वतंत्रता सेनानी थे और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उनके बाद लाल बहादुर शास्त्री 1957 में यहां से सांसद चुने गए। 1973 में भारतीय क्रांति दल के जनेश्वर मिश्रा जनता द्वारा यहां के लिए चुने गए। 1984 में अमिताभ बच्चन कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने। वर्ष 1988 में हुए उपचुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कांग्रेस के सुनील शास्त्री को हराकर बाजी मारी थी। जहाँ बसपा संस्थापक कांशीराम तीसरे स्थान पर रहे थे। वहीं 1998, 2004 और 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने इस सीट पर अपना परचम फहराया।

2004 में समाजवादी पार्टी के रेवती रमण सिंह यहां से सांसद रहे। 2014 में यह सीट भाजपा के खाते में गई और श्यामाचरण गुप्ता सांसद बने। उन्होंने सपा के रेवती रमण सिंह को शिकस्त दी थी। इसके बाद 2019 में भाजपा के टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी चुनाव जीतीं।

कुंभ के कारण इस संसदीय क्षेत्र का विकास बहुत तेजी से हुआ है

विकास और स्थानीय धार्मिक मुद्दे कुंभ के कारण इस संसदीय क्षेत्र में भी काफी काम हुआ हैं। हाईकोर्ट, रामबाग व प्रयाग स्टेशन के पास फ्लाई ओवर का निर्माण, प्रमुख चौराहों का सौंदर्यीकरण व सड़कों का चौड़ीकरण प्रमुख है। वहीं दूसरी ओर बारा, कोरांव, मेजा, शंकरगढ़ में कृषि योग्य भूमि कम है और ये इलाके विकास की दौड़ में पिछड़े हैं। जिसके कारण पेयजल व सिंचाई के साधन का अभाव और गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी हमेशा से यहां का मुद्दा रहा हैं। ऐसा नहीं है कि यहां कोई नेता चुनाव नहीं जीता पर यहां केवल वादे हुए, विकास तो केवल वोट मिलने तक रहा।

मुरली मनोहर जैसे नेता बने हैं इस सीट सांसद

भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी यहां से लगातार तीन बार सांसद रहे हैं। बाद में यह सीट सपा के पास चली गई और रेवती रमण सिंह इस सीट से जीते। वहीं मोदी लहर में वापस कमल खिला और श्यामाचरण गुप्त सांसद बने। पर वर्तमान में यहां से पूर्व कांग्रेसी नेता रीता बहुगुणा जोशी सांसद हैं। परंतु इस बार उन्हें टिकट मिलने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है।

2019 में क्या रहा इस सीट पर परिणाम

साल 2019 में कांग्रेस पार्टी से मतभेदों के कारण ज्वाइन करने वाली रीता बहुगुणा जोशी को भाजपा ने इस सीट से टिकट दिया। उन्होंने इस लोकसभा चुनाव में 494,454(55.62 %) वोट मिला। वहीं दूसरे और तीसरे नंबर पर सपा के राजेंद्र सिंह पटेल को 3,10,179(34.89 फीसद) और कांग्रेस के योगेश शुक्ला 31,953(3.59 %) रहा।

इस बार इस सीट से कौन खड़ा हो रहा है

फिलहाल अभी प्रयागराज के इस संसदीय क्षेत्र से कौन खड़ा हो रहा है इसके बारे में अभी कोई सूचना नहीं मिली है। लेकिन सूत्रों के हवाले से यह खबर मिल रही है कि इस सीट से भाजपा किसी और को टिकट दे सकती है।

खास बातें

इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। इसे ‘तीर्थराज’ तीर्थों का राजा भी कहते हैं। अब शहर का नाम प्रयागराज है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी संगम में मिलती है। यहां हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है। यहां प्रयागराज उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय है।

 

 

 

 

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