आम चुनाव 2024 के साथ-साथ यूपी में चार विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए। इन उपचुनाव में भी बसपा को बड़ा नुकसान हो रहा है। चारों सीटों पर बसपा के वोट कम हो गए हैं। गौरतलब है कि जल्द ही प्रदेश में 10 सीटों पर उपचुनाव होना है।
बसपा का अर्से बाद उपचुनाव लड़ने का फैसला नुकसानदायक साबित हुआ। हाथी को चारों सीटों पर वोट प्रतिशत वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मिले वोटों के मुकाबले घट गया है। वहीं अब बसपा के सामने अगली सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश की 10 रिक्त सीटों पर होने वाला उपचुनाव है।
यूपी में होने वाले उप-चुनाव में चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी भी ताल ठोंकने के लिए तैयार है। बसपा ने आम चुनाव के साथ विधानसभा की चार रिक्त सीटों जिसमें ददरौल, लखनऊ पूर्वी, गैंसड़ी और दुद्धी के उपचुनाव में प्रत्याशी उतारे थे पर हार गई।
इन सीटों पर बसपा के प्रत्याशियों का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा। वह विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को मिले वोटों की संख्या तक भी नहीं पहुंच पाए। गैंसड़ी सीट पर तो बसपा के प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव के मुकाबले आधे वोट ही नसीब हुए। वहीं ददरौल, लखनऊ पूर्वी और दुद्धी में भी वोट घट गए।
बता दें कि बसपा ने ददरौल में सर्वेश चंद्र मिश्रा को, लखनऊ पूर्वी में आलोक कुमार कुशवाहा को, गैसड़ी विधानसभा में मोहम्मद हारिस खान और दुद्धी में रवि सिंह को मैदान पर उतारा था। जिसमें से ददरौल और लखनऊ पूर्वी सीट भाजपा के खाते में, जबकि गैंसड़ी और दुद्धी सीट सपा के खाते में गई।
बसपा के लिए सिर का दर्द बनती जा रही आजाद समाज पार्टी, उपचुनाव में भी प्रत्याशी उतारने की फिराक में है। यह खबर आजाद समाज पार्टी के सूत्रों के हवाले से मिली है जिसमें यह कहा गया है कि पार्टी सभी 10 उप-चुनाव होने वाले सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतारेगी।
वहीं यदि बसपा इस बार उपचुनाव लड़ने के लिए मैदान पर नहीं उतरती है तो दलित वोट बैंक के सामने आजाद समाज पार्टी मात्र एक विकल्प के रूप में रहेगा। इन स्थितियों में बसपा को वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में बड़े मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।