अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीय नागरिकों को लेकर देशभर में राजनीतिक बहस छिड़ गई है। अमेरिकी मिलिट्री प्लेन द्वारा 5 फरवरी को अमृतसर एयरपोर्ट पर उतारे गए इन भारतीयों को पुलिस सुरक्षा में उनके घरों तक पहुंचाया गया। इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है।
बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने इस मुद्दे को लेकर सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारतीयों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया, लेकिन केंद्र सरकार पूरी तरह मौन बनी रही।
सरकार की विदेश नीति पर उठाए सवाल
आकाश आनंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा,
“ये अभागे भारतीय नागरिक हैं, जो रोजगार की तलाश में अमेरिका गए थे। लेकिन हमारी लाचार और कमजोर सरकार की विदेश नीति की वजह से इन्हें अपमानित कर बेड़ियों में जकड़कर भारत भेज दिया गया।”
उन्होंने कहा कि भारत में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण लाखों युवा बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश जाते हैं, लेकिन कभी उन्होंने नहीं सोचा था कि उन्हें आतंकवादियों की तरह जंजीरों में बांधकर वापस भेज दिया जाएगा।
भारतीयों के साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार
बसपा नेता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ दिन पहले यूपी-बिहार के लोगों को दिल्ली में बाहरी बताकर अपमानित किया जा रहा था और अब अमेरिका ने भारतीयों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए लिखा कि जो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अपनी करीबी का ढोल पीटते थे, वह अब इस मामले पर पूरी तरह चुप हैं। “केंद्र सरकार ने अमेरिका के एक सैन्य विमान को भारतीय धरती पर उतरने दिया, जबकि इस विमान में हमारे ही नागरिकों को कैद करके लाया गया था। इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है?”
विदेश मंत्री की चुप्पी पर सवाल
आकाश आनंद ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कोलंबिया के राष्ट्रपति ने अपने नागरिकों को सम्मानपूर्वक वापस लाने के लिए खुद विमान भेजा, लेकिन हमारे विदेश मंत्री इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे रहे।
उन्होंने लिखा, “विदेश मंत्री जयशंकर जी, जो दुनिया भर में घूम-घूमकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, आज उनके मुंह में भी दही जम गया है। उन्हें पहले से इस कार्रवाई की जानकारी थी, फिर भी वे खामोश रहे और भारतीय स्वाभिमान को ठेस पहुंचने दी।” यह मामला विदेश नीति और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है कि आखिर क्यों अमेरिका द्वारा किए गए इस अपमानजनक व्यवहार पर केंद्र सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया देगी या यह मामला सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक ही सीमित रहेगा? यह देखना दिलचस्प होगा।