Site icon UP की बात

UP Samajwadi Party News: करहल विधानसभा सीट से अखिलेश ने दिया इस्तीफा, कन्नौज संसदीय सीट संभालेंगे

In Banda, Akhilesh took a jibe at BJP and said, those who talked about making big bombs could not make twine bombs

In Banda, Akhilesh took a jibe at BJP and said, those who talked about making big bombs could not make twine bombs

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी की करहल विधानसभा सीट और नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्‍तीफा दे दिया है। उन्होंने एक दिन पहले सैफई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान भी किया था। उन्होंने कहा था कि अब जनता के सवाल संसद में उठाएंगे।

कौन होगा विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि- जो जनता के हित में होगा, वही नेता प्रतिपक्ष बनेगा। अखिलेश के साथ अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद ने भी विधायकी से इस्तीफा दे दिया।

वहीं ​​​​​​चर्चा है कि अखिलेश करहल सीट से लालू यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव को उतार सकते हैं। हालांकि, दो और नाम की चर्चा है कि जिनमें सपा नेता राम गोपाल यादव के भांजे अरविंद यादव और पूर्व विधायक सोबरन सिंह यादव का नाम शामिल है।

2022 में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से लड़ा चुनाव

अखिलेश यादव ने 2022 में मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। जीत के बाद आजमगढ़ के सांसद पद से उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में आजमगढ़ में उपचुनाव हुए, जिसमें भाजपा के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने जीत दर्ज किया।

विधानसभा सीट छोड़ने के पीछे ये 4 संभावित वजह…

यूपी में 2027 में विधानसभा चुनाव होना है। 3 साल प्रदेश की राजनीति में ज्यादा कुछ करने के लिए बचा नहीं है। इसलिए अखिलेश अब अपना फोकस दिल्ली की तरफ कर रहे हैं।

2024 के चुनावी रिजल्ट में सपा देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इसलिए अखिलेश को अब केंद्रीय राजनीति में मौका नजर आ रहा है। पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए उन्होंने यह फैसला किया।

सपा का वजूद अभी फिलहाल सिर्फ यूपी में है। केंद्र में जाकर अखिलेश न सिर्फ हिंदी पट्‌टी के राज्य बल्कि मुस्लिम बहुल राज्यों में भी पार्टी का जनाधार बनाने का प्रयास करेगी।

2019 में कन्नौज से डिंपल हारी तो 2024 में अखिलेश जीते

कन्नौज सीट पर 2019 चुनाव में डिंपल यादव भाजपा प्रत्याशी से हार गई थीं। पर 2024 में अखिलेश कन्नौज से 1.70 लाख वोट के अंतर से जीत गए। ऐसे में अखिलेश सीट छोड़कर वहां के लोगों का भरोसा नहीं तोड़ना चाहते हैं।

विधानसभा के बाद लोकसभा में भी पार्टी को फायदा

अखिलेश यादव ने 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। जिसमें पार्टी को 11 सीटें मिलीं थी। वहीं 2017 में पार्टी के पास कुल 47 सीटें थीं। अखिलेश पहले लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में नहीं थे। उन्होंने अपने चचेरे भाई तेज प्रताप को मैदान पर उतार दिया था। लेकिन, अंतिम वक्त में उन्होंने खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया और कन्नौज से नामांकन पत्र भरा। जिससे फायदा भी पार्टी को मिला है। 2019 आम चुनाव में 5 सीटें जीतने वाली सपा अब 37 सीटों पर पहुंच गई है।

साल 2000 में अखिलेश का राजनीति में पर्दार्पण

अखिलेश ने कन्नौज सीट से ही अपने राजनीति की शुरू की थी। और, पहली बार साल 2000 में चुनाव लड़ा था और यहां से जीत भी हासिल की थी। वह लगातार 3 बार कन्नौज से सांसद रहे हैं। बता दें कि 2012 में उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया था। फिर पत्नी डिंपल यादव को उपचुनाव लड़ाया था। जिसमें वह निर्विरोध निर्वाचित चुनी गई थी।

साल 2014 में भी डिंपल यादव कन्नौज सीट से सांसद बनी थी। फिर साल 2019 में भाजपा के सुब्रत पाठक ने उन्हें चुनाव में हरा दिया था। इसके बाद से सपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में आपसी फूट पड़ने लग गई थी, जिससे कन्नौज में सपा बिखर गई थी। यही कारण था कि 2019 में डिंपल चुनाव हार गई थी।

Exit mobile version