यूपी में जो दो नेताओं की लड़ाई दिखाई जा रही है, वह दो नेताओं की नहीं, दिल्ली और लखनऊ की लड़ाई है। सपा पर पहले आरोप लगाते थे कि हमारे पास केवल M-Y (मुस्लिम-यादव) वोट बैंक हैं। सपा ने उनके M-Y यानी मोदी-योगी को हराने के लिए रणनीति बदली और PDA बनाया। यूपी में सांप्रदायिकता का दीया बुझने से पहले फड़फड़ा रहा है।
यूपी में सांप्रदायिकता का दिया जलने से पहले ही बुझने वाला है। यूपी में जो दो नेताओं की लड़ाई दिखाई जा रही है, वह दो नेताओं की नहीं बल्कि दिल्ली और लखनऊ की लड़ाई है। जो लोग सपा पर पहले आरोप लगाते थे कि उनके पास केवल M-Y (मुस्लिम-यादव) बैंक ही हैं। सपा ने उनके M-Y यानी मोदी-योगी को हराने के लिए अपनी रणनीति को बदल दिया है और PDA बनाया है।
यह कहना है, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का। बता दें की वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने नई दिल्ली में अखिलेश का इंटरव्यू लिया है। सिब्बल ने इसे अपने यूट्यूब चैनल पर भी शेयर किया है। इस दौरान अखिलेश ने उनके प्रत्येक सवाल का बेबाकी से जवाब दिया है।
अखिलेश ने क्या कहा इंटरव्यू में…
पीएम मोदी जीत तो गए, पर वोट के लिहाज से हारे गए
प्रधानमंत्री मोदी के लेकर अखिलेश ने कहा कि- पीएम इससे पहले 4 लाख और 5 लाख वोटों से जीतते आ रहे थे। इस बार उनके लोग कह रहे थे कि 10 लाख वोटों से जीतेंगे। लेकिन जब परिणाम आया, तो वह जीते जरूर लेकिन वोट के लिहाज से हार गए हैं। उनका मार्जिन पिछले चुनावों के मुकाबले काफी कम हो गया है। उनके कई और साथी तो चुनाव जीत भी नहीं पाए हैं।
PDA ने मिलकर किया मुकाबला
भाजपा के लोग हमेशा सपा पर यह आरोप लगाते थे कि उनके पास केवल M-Y है। हमें उनके M-Y को हराना था, इसलिए हमने रणनीति बदल दी। इसलिए PDA, जिसकी आबादी 90% है, उनकी आवाज बनकर गठबंधन बनाया। उस पर काम किया। जिस तरह भेदभाव हो रहा है, उसे उठाया। उसी का परिणाम रहा है कि सबने मिलकर भाजपा का मुकाबला किया। जो सपने देख रहे थे 80 में से 80 सीट जीतने का, वह उत्तर प्रदेश की वजह से बहुमत में नहीं आ पाए।
रणनीति से काम करने पर मिली जीत
पिछले कई आम चुनाव सपा जीती नहीं थी। भाजपा के पास संसाधन बहुत हैं। उन्होंने पूरा जाल फैला रखा था। प्रशासन उनके साथ था। उनके सहयोगी दल के लोग नफरत फैला रहे थे। ऐसे में जरूरी था कि पार्टी के नेताओं को जिम्मेदारी दी जाए। हमने उसके हिसाब से संगठन बनाया और प्रत्याशी तय किए।
दिल्ली और लखनऊ की लड़ाई
यूपी में भाजपा में मची अंदरूनी कलह पर अखिलेश ने कहा कि- लड़ाई यूपी के दो नेताओं की नहीं, दिल्ली और लखनऊ की है। जो नेता योगी को हटाना चाहते हैं, वे मोहरा हैं। उनको पॉलिटिकल ऑफर दिया था कि 100 लेकर आएं और मुख्यमंत्री बन जाएं। इनकी आपस की लड़ाई की वजह से जनता और सरकार के बीच दूरियां बढ़ रही हैं।
नेम प्लेट का फैसला सरकार ने कुर्सी बचाने के लिए लिया
अखिलेश ने कहा कि- सरकार ने हाल ही में जो फैसला लिया है, अपनी कुर्सी बचाने के लिए लिया। कांवड़ के रास्ते पर जो मुस्लिम हैं, उनकी तख्ती लग जाए। वह आदेश अपने अंदर के झगड़े को छिपाने के लिए दिया था। 2006 में मुलायम सिंह के फैसले पर अखिलेश ने कहा- गाड़ी पर लाइसेंस चिपका कर नहीं चलते, लाइसेंस दिखना चाहिए। यह सपा सरकार का निर्णय था। कारोबार एक-दूसरे को जोड़ता है। यह केवल नफरत के लिए नाम प्लेट का फैसला ले रहे।
बुझने से पहले फड़फड़ा रहा है सांप्रदायिकता का दीया
अखिलेश ने कहा- जब ये अयोध्या से हार गए, तो इनको पता चल गया कि सांप्रदायिकता का अंत हो गया है। अब इनका जो सांप्रदायिकता का दीया है, वह फड़फड़ा रहा है। दीया बुझने से पहले रोशनी ज्यादा करता है। सांप्रदायिक राजनीति खत्म हो रही है, इसलिए इनमें बेचैनी है। ये ऐसा फैसला ले रहे हैं, जिससे समाज में दूरियां बढ़ें। लेकिन जनता सब समझती है, इसलिए ऐसा तो होने वाला नहीं। लोग रोजगार चाहते हैं, महंगाई से निजात चाहते हैं।
फर्रुखाबाद में लखनऊ-दिल्ली से फोन आने के बाद परिणाम बदला गया
अखिलेश ने कहा- आयोग और शासन-प्रशासन की कोशिश होती है कि अधिक से अधिक वोट पड़ें। लेकिन, इन लोगों ने संभल में क्या किया? कन्नौज में क्या कर रहे थे? मैंने सुना है कि फर्रुखाबाद में लखनऊ और दिल्ली से फोन आने के बाद परिणाम बदल दिए गए। हमारे प्रत्याशी ने बताया कि अलीगढ़ में उसे हराया गया है। वोटिंग के दिन प्रशासन ने भाजपा कार्यकर्ताओं से मिलकर काम किया।
चीफ सेक्रेटरी एक्सटेंशन पर थे और DGP कार्यवाहक इसलिए नहीं हटाए गए
पहले के चुनाव में चीफ सेक्रेटरी और DGP हटाए जाते थे। यहां तो चीफ सेक्रेटरी एक्सटेंशन पर और DGP कार्यवाहक थे, इसलिए नहीं हटाए गए। जहां भाजपा की सरकार नहीं थी, वहां जरूर हटाए गए। 2022 के चुनाव के बाद मैंने बयान दिया कि कई इलाकों में मुस्लिम और यादवों के वोट डिलीट कर दिए गए। इस पर आयोग ने मुझे नोटिस भेज कर पूछा था कि आप किस आधार पर कह रहे हैं? मैंने सबूत भेज दिया, फिर भी इलेक्शन कमीशन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पार्लियामेंट में जो भी कार्यवाही हो रही, उसे जानने का जनता को हक
जर्मनी की कोर्ट कह रही है कि अगर उसके यहां कहीं ईवीएम से वोट पड़ रहा है, तो वह असंवैधानिक है। अन्य दलों के साथ बात करेंगे। इसके लिए जो भी कदम उठाना पड़ेगा, उसे उठाएंगे। ये लोग पेपर लीक का रिकार्ड बना रहे हैं। NEET का मामला इसलिए हुआ, क्योंकि इनके अपने लोग शामिल थे। 30 हजार सरकारी सीटें हैं। उन्हें कुछ ही सेंटर से भर दी जा रही हैं। लोगों की जान से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। लोग पकड़े जा रहे हैं। सीबीआई ने ऐसे लोगों को पकड़ा है।
काम आया नीतीश का मशविरा
अखिलेश ने कहा- जब इंडी अलायंस बना, तो नीतिश कुमार ने कहा था कि जहां जो क्षेत्रीय दल हैं, वहां उनको फ्री-हैंड दे दिया जाए। सभी ने उस पर अमल किया, जो नतीजों में दिख रहा है। इंडी अलायंस का फायदा यह हुआ कि देश भर में एक नरेटिव सेट हुआ कि भाजपा से मुकाबला किया जा सकता है। समय बर्बाद ज्यादा हो गया, नहीं तो आज I.N.D.I.A. की सरकार सत्ता में होती।
गोद लिए गए गांव की तस्वीर जस की तस
देश की अर्थव्यवस्था बेहतर करने के लिए जो दावे किए जा रहे, सब खोखले हैं। किसानों की आय दोगुना नहीं हुई। किसानों के साथ खिलवाड़ हुआ। निचले पायदान के लोगों के जीवन में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला। जो अमीर थे वो और अमीर हो गए। जो गरीब थे वो और गरीब हो गए। पढ़ा-लिखा लड़का डिलीवरी बॉय बन रहा है। एयर इंडिया में लोडर की नौकरी के लिए 25-26 हजार लोग पहुंच गए। जो गांव गोद लिए गए, उनकी तस्वीर नहीं बदल रही है। यह सरकार ऐसी है कि कब किसको गोद लेगी, किसको अनाथ छोड़ देगी। अच्छे दिन का तो पता नहीं, यह लोग चले जाएंगे तो खुशियों के दिन जरूर आ जाएंगे।
नाले पर रिवर फ्रंट बनाने के फिराक में सरकार
कुकरैल एक नाला है। यह सरकार नाले पर रिवर फ्रंट बनाना चाहती है, जो आपने कहीं नहीं सुना होगा। उप-चुनाव में भाजपा सरकार मिलकर तैयारी कर रही है, लेकिन जनता उसे हराएगी। भाजपा वाले यहां 80 में 80 सीट जीतने की बात कर रहे थे। अगर यूपी में भाजपा न हारी होती, तो आज उनकी बहुमत की सरकार होती। हमने ऐसे प्रत्याशी को चुनने की कोशिश की, जिसे उस क्षेत्र की जनता पसंद करती थी।