सुल्तानपुर में अपराध का ग्राफ दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुल्तानपुर एसपी को पत्र लिखकर कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। इसी के साथ कादीपुर क्षेत्र के दो मामलों में कार्रवाई की बात भी कही है। इसी के साथ सपा का प्रतिनिधिमंडल भी पीड़ित परिवारों के साथ मिलने पहुंच रहा है।
पहला मामला कादीपुर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है। जहां 11 जुलाई की देर रात एक युवती संदिग्ध हालात में लापता हुई थी और अगले दिन उसका शव गांव के पास तालाब में ग्रामीणों ने देखा था। मृतकों की शिनाख्त होने के बाद उसके पिता ने गांव के ही एक युवक पर दुष्कर्म कर हत्या करने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। वहीं बीते रविवार की रात को कादीपुर पुलिस ने मुख्य आरोपी के अलावा एक और संदिग्ध आरोपी को पकड़ा। उसके पकड़े जाने से नाराज ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर पथराव भी किया लेकिन बाद में यह मामला शांत हो गया था।
ऐसे में इस घटना के मुख्य आरोपी नामजद विकास पांडेय को सोमवार को पुलिस ने गांव से ही गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस के अनुसार जांच चल ही रही थी कि मृतक की छोटी बहन ने बताया कि घटना की रात मुख्य आरोपी के साथ ही एक अन्य युवक अनिल कुमार भी उसकी बहन को बुलाने घर आया था। इस आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दूी है। दूसरे संदिग्ध आरोपी गांव निवासी अनिल कुमार को बृहस्पतिवार को कादीपुर पुलिस ने बुढ़ाना नहर के पास से गिरफ्तार किया है।
ये है दूसरा मामला
वहीं 11 जुलाई को ही कादीपुर में प्रदेश पदाधिकारी के भाई को दबंगों ने पीटकर अधमरा कर दिया था, जिसके बाद अखिलेश यादव ने जिले के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस संदर्भ में कार्रवाई की बात कही थी। बहरहाल जिले की कानून व्यवस्था पर अखिलेश यादव के पत्र ने पुलिस प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। 22 को प्रतिनिधि मंडल के दौरे के बाद जिले का राजनीतिक तापमान भी बढ़ जाएगा।
बात गंभीर क्यों
अखिलेश यादव ने बेशक इस संदर्भ में सवाल उठाकर लोगों को इस बारे में सोचने के लिए मजबूर किया। पर यह एकलौती ऐसी खबर नहीं है जहां पुलिस प्रशासन अपना काम किसी दबाव के चलते कर नहीं पा रही या करना नहीं चाह रही।
क्योंकि, प्रदेश में योगी सरकार किसी भी तरह का अपराध नहीं चाहती जिसके लिए वह हर संभव प्रयास करती रहती है। पर कहते हैं न कि एक इंसान जितनी चाहे उतनी कोशिश कर ले उनके अपने ही साथ नहीं देते तो हार ही जाता है। यहां किसी को न तो गलत कहा जा रहा और न ही सही पर जब तर निचले स्तर पर ऐसे रोक पर स्थानीय प्रशासन रोक लगाने में सक्षम नहीं होता तब तक वह अपराधी अपराध करते रहते हैं…