समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि अगर सांसद रामजी लाल सुमन के साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। लखनऊ में पार्टी कार्यालय पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए सांप्रदायिक रणनीति अपना रही है।
उन्होंने करनी सेना को लेकर भी बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इस संगठन पर मुख्यमंत्री का संरक्षण है। अखिलेश ने तुलना करते हुए कहा, “जिस प्रकार हिटलर ट्रूप्स का उपयोग करता था, उसी तरह भाजपा भी इन संगठनों का इस्तेमाल कर रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा अयोध्या जैसी सीट हार चुकी है, और इसी वजह से वह और अधिक सांप्रदायिक हो गई है।
रामजी लाल सुमन
अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार के मुताबिक योजना के तहत 33 लाख करोड़ रुपए का वितरण किया गया है और 52 करोड़ लोगों को लोन मिला है, तो फिर आज बेरोजगारी क्यों है? उन्होंने इस योजना को “झूठा प्रचार” करार देते हुए सवाल उठाया कि क्या कभी इन आंकड़ों की जांच हुई है? अखिलेश ने स्पष्ट रूप से पूछा कि “अब इसका जवाब कौन देगा – सरकार या बैंक?”
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आगामी 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर कमर कस ली है। इसी रणनीति के तहत उन्होंने बसपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद को सपा में शामिल कराया। लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में अखिलेश ने स्वयं उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इसके साथ ही बसपा के पूर्व कॉर्डिनेटर सलाउद्दीन भी सपा में शामिल हुए। इस कदम को बुंदेलखंड में सपा को मजबूती देने और पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति को आगे बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।
दद्दू प्रसाद का समाजवादी पार्टी में शामिल होना बहुजन समाज पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। वे मानिकपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं – 2002, 2007 और 2012 में। वे 2007 में मायावती सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
दद्दू प्रसाद बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रभावशाली दलित नेता माने जाते हैं। उनका जन्म चित्रकूट जिले के एक साधारण परिवार में हुआ था और उन्होंने राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यों के माध्यम से पहचान बनाई। उनकी राजनीतिक यात्रा 1982 में डीएस-4 (दलित शोषित समाज संघर्ष समिति) से शुरू हुई थी, जो बसपा की नींव मानी जाती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दद्दू प्रसाद जैसे नेता को सपा में शामिल कराकर अखिलेश यादव बुंदेलखंड और अन्य दलित बहुल क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। इसके साथ ही वह भाजपा और बसपा दोनों को एक साथ घेरने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
मानिकपुर सीट से दद्दू प्रसाद को आगामी चुनावों में सपा का उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। यह कदम 2027 विधानसभा चुनाव से पहले सपा के संगठनात्मक विस्तार की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है।