उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों के नाम बदले जाने के निर्णय पर अब राजनीतिक बहस तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार पर तंज कसा और कहा,“अगर यही सिलसिला जारी रहा तो उत्तराखंड का नाम भी उत्तर प्रदेश-2 रख देना चाहिए।” आपको बता दें कि उन्होंने एक साक्षात्कार में बातचीत के दौरान यह बयान दिया, जो अब सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने निर्णय को स्थानीय जनता की भावनाओं और भारतीय संस्कृति की रक्षा से जोड़ते हुए बताया। उन्होंने कहा कि नाम बदलने का यह प्रयास, भारत के गौरवशाली इतिहास और प्रेरणादायक व्यक्तित्वों से नई पीढ़ी को जोड़ने का एक कदम है। सरकार का कहना है कि जिन क्षेत्रों के नाम बदले गए हैं, वहां की जनता से व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया है।
उत्तराखंड सरकार द्वारा जिन 15 स्थानों के नाम बदले गए हैं, वे इस प्रकार हैं:
हरिद्वार ज़िला
देहरादून ज़िला
नैनीताल ज़िला
उधम सिंह नगर
सुल्तानपुर पट्टी (नगर पंचायत) → कौशल्यापुरी
नाम परिवर्तन की इस श्रृंखला को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का तर्क है कि बुनियादी समस्याओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी पर ध्यान देने के बजाय सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए नाम बदलने की राजनीति कर रही है। वहीं, सत्ताधारी दल का कहना है कि यह बदलाव केवल नाम का नहीं, सोच और पहचान का भी है, जो सांस्कृतिक गौरव को पुनर्जीवित करने का माध्यम है।
नाम बदलने की राजनीति या सांस्कृतिक जागरण?
उत्तराखंड में नाम परिवर्तन की यह पहल अब केवल प्रशासनिक कदम नहीं रही, बल्कि यह राजनीतिक विमर्श और वैचारिक टकराव का विषय बन चुकी है। एक ओर जहां सरकार इसे जनभावनाओं के अनुरूप सांस्कृतिक पुनर्निर्माण बता रही है, वहीं विपक्ष इसे प्रासंगिक मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास करार दे रहा है।