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Loksabha Election 2024: कन्नौज से लड़ेंगे अखिलेश यादव, तेज प्रताप को प्रत्याशी बनाने पर पार्टी में पड़ सकती थी फूट

Akhilesh Yadav will contest from Kannauj, there could be a split in the party if Tej Pratap is made a candidate

Akhilesh Yadav will contest from Kannauj, there could be a split in the party if Tej Pratap is made a candidate

Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की कन्नौज संसदीय सीट अब हॉट सीट में बदल चुकी है। यहां से खुद सपा प्रमुख अखिलेश यादव मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं। बता दें कि इस सीट पर तेज प्रताप को कैंडिडेट घोषित करने के तीसरे दिन ही उन्होंने यह फैसला किया है। इससे पहले अखिलेश ने चुनाव की घोषणा के बाद 40 दिन तक मंथन किया। फिर अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को कन्नौज से कैंडिडेट घोषित किया।

वहीं सियासत के गलियारे में इस सीट से यही सवाल उठ रहे हैं कि 3 दिन बाद प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ही इस सीट से सपा ने प्रत्याशी को क्यो बदल दिया और अखिलेश को मैदान में क्यों उतरना पड़ा…?

अखिलेश के यहां से लड़ने के क्या मायने हैं?

कन्नौज से अखिलेश क्यों

तेज प्रताप के नाम पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी

22 अप्रैल को तेज प्रताप यादव का नाम कन्नौज संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए घोषित किया गया। इस नाम की घोषणा के साथ ही ये कयास बंद हो गए थे कि अखिलेश कन्नौज से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन, इस नाम की घोषणा के साथ ही कन्नौज में कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी देखने को मिलने लगी। ऐसे में जब सपा जिलाध्यक्ष सौरिख में कार्यालय का उद्घाटन करने पहुंचे, तो यहां सपा के कार्यकर्ताओं और जिलाध्यक्ष वसीम खां में तीखी नोकझोंक देखने को मिली।

कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जिलाध्यक्ष ने कन्नौज सीट की सही-सही रिपोर्ट अखिलेश को नहीं भेजा है। वरना, वो खुद यहां से चुनाव लड़ते। हालांकि, जिलाध्यक्ष ने यह कहा कि कुछ कार्यकर्ताओं ने अपने सुझाव दिए हैं, जिन्हें अखिलेश यादव के पास भेजा जाएगा। वहीं, सैफई परिवार के लोग भी तेज प्रताप के नाम पर सहमत नहीं थे।

तेज प्रताप के खिलाफ लखनऊ पहुंचा सपा का डेलिगेशन

समाजवादी पार्टी की तरफ से 22 अप्रैल को तेज प्रताप यादव का नाम घोषित किया गया। इसके बाद 23 अप्रैल को ही कन्नौज में उनका एक कार्यक्रम तय हुआ। सभी तैयारियां चल रही थीं, लेकिन आंतरिक विरोध के डर से तेज प्रताप यादव कन्नौज नहीं गए। पर हुआ इसके उलट। कन्नौज से सपा कार्यकर्ताओं का एक डेलिगेशन लखनऊ के लिए उसी दिन रवाना हो गया।

पिछले दो दिनों से वो लोग यहां अखिलेश यादव को सीट का फीडबैक दे रहे थे। सैफई परिवार से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि लोकल विरोध के चलते अखिलेश मान गए हैं। अब 25 अप्रैल को वे यहां से नामांकन दाखिल करेंगे।

तेज प्रताप का लोकल कनेक्ट नहीं, पुराने नेता अखिलेश को ही चाहते हैं

सपा के घोषित प्रत्याशी तेज प्रताप यादव का कन्नौज से कोई लोकल कनेक्ट नहीं रहा है। यहां का कार्यकर्ता सीधे अखिलेश यादव के टच में है और वह पार्टी मुखिया से ही जुड़े रहना चाहते हैं। ताकि यूपी की सत्ता में सपा के आने पर कार्यकर्ताओं को मजबूती मिल सके।

सैफई परिवार के सदस्य में कन्नौज के लोग या तो अखिलेश यादव को पसंद करते हैं या फिर उनकी पत्नी डिंपल यादव को। पर, कार्यकर्ताओं का यह मानना है कि डिंपल पिछली बार चुनाव हार गई थीं इसलिए अखिलेश ही इस सीट को बचाने में कारगर हैं।

कन्नौज की सपा में हो चुकी बड़ी फूट, नेताओं को एक करना जरूरी

कन्नौज में कई दिग्गज सपा नेता पार्टी में इस समय हांसिए पर चल रहे हैं। सपा का बड़ा चेहरा माने जाने वाले नवाब सिंह यादव, तालग्राम क्षेत्र के पूर्व चेयरमैन दिनेश सिंह यादव इस समय पार्टी में सबसे किनारे पड़े हैं। एक दौर था जब ये लोग अखिलेश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे।

अखिलेश यादव को ऐसे कई चेहरे एक करने हैं, जो पार्टी को इस लोकसभा चुनाव में जीत दिलवा सकें। अखिलेश यादव ने यहां से लड़ने का फैसला इसलिए भी लिया कि इन नाराज लोगों को एक किया जा सके। तेज प्रताप में इतना कैलिबर नहीं था कि वो इन सब को एक कर सकें।

कन्नौज संसदीय सीट से यदि सपा की जीत तो 25 अन्य सीटों पर भी प्रभाव

अखिलेश यादव ने यहां से चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए भी लिया है क्योंकि यदि समाजवादी पार्टी यहां से चुनाव जीतती है तो न सिर्फ कन्नौज जिले की विधानसभा सीटें बल्कि आसपास के जिलों औरैया, कानपुर देहात, इटावा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद और हरदोई जिलों में भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि यहां 25 से ज्यादा विधानसभा सीटें हैं, जिनका फायदा 2027 में इस प्लान से दिखाई दे सकता है और सांसद बनने के बाद अखिलेश की सक्रियता कन्नौज में बढ़ जाएगी।

कन्नौज सीट का जातीय समीकरण

कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटर्स की संख्या करीब 18 लाख है। जिसमें 10 लाख पुरुष और 8 लाख महिला वोटर हैं। इस लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम और यादव मतदाता हैं। यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या 2.50 लाख है। जबकि यादव वोटर्स की संख्या भी लगभग इतनी ही है। इसके साथ-साथ 2.5 लाख दलित वोटर भी हैं। जबकि इस क्षेत्र में ब्राह्मण समुदाय के वोटर 15 फीसदी और राजपूत समुदाय के वोटर 10 फीसदी हैं।

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