सीएम योगी आदित्यनाथ सभी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दे चुके हैं कि किसी भी काम का मानक जनता की संतुष्टी और उसके फीडबैक से तय होगा। इसके बाद भी कहीं न कहीं से लापरवाही की खबरें सामने आ रही हैं। ताजा मामला पीलीभीत से सामने आया है, जहां एक पीड़िता ने जिला अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ पर बड़ा आरोप लगाया है। पीड़िता ने सीएम योगी और डीएम से शिकायत की है कि प्रसव के दौरान अस्पताल के स्टाफ ने लापरवाही की जिससे उसको अपनी बच्चेदानी निकलवानी पड़ी है। पीड़िता का कहना है कि यह उसका पहला बच्चा है।
जिला अस्पताल के डॉक्टरों पर रिश्वत का आरोप
आपको बता दें कि 3 जुलाई को प्रसव पीड़ा होने पर श्रद्धा शर्मा को उनके पति विशाल मिश्रा जिला अस्पताल में प्रसव कराने गए। डॉक्टरों ने उनसे 3700 रुपए की रिश्वत ली और कई जगह हस्ताक्षर भी कराए। श्रद्धा का ऑपरेशन किया गया और लड़के का जन्म हुआ। ऑपरेशन के बाद महिला की ब्लीडिंग नहीं रुक रही थी। पीड़िता ने आरोप है कि दोबारा ऑपरेशन करके परेशानी से निदान का प्रयास किया गया। इसके बाद भी ब्लीडिंग नही रुकी।
पीड़िता ने कहा कि इस दौरान दो यूनिट खून भी चढ़ाया गया। इसके लेकिन जब ब्लीडिंग नही रुकी तो श्रद्धा को प्राइवेट अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई। फिर श्रद्धा को शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन तब तक उनकी बच्चेदानी डेमेज हो चुकी थी। वहां उसकी बच्चेदानी निकाल दी गयी।
पीड़िता ने सीएम और डीएम से की शिकायत
जिसके बाद अब इस मामले की शिकायत की श्रद्धा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी प्रवीण लक्ष्यकार से की। शद्धा शर्मा ने बताया कि महिला जिला अस्पताल पीलीभीत में मुझे भर्ती कराया गया। वहां, मुझे एक बेटा हुआ। मैं होश में थी लेकिन मेरी हालत खराब हो गयी। मुझे एक निजी हास्पिटल में ले जाया गया। जहां उसे यूट्रस निकलवानी पड़ी। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सिर्फ जिला महिला अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही के कारण हुआ।
विशाल ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लगाया आरोप
पीड़िता के पति विशाल मिश्रा ने कहा कि मेरी पत्नी को प्रसव के लिए मैं महिला जिला अस्पताल पीलीभीत लेकर गया। वहां डॉक्टर मुझे एक कमरे में लेकर गए और वहां मैंने 3700 रुपए दिए। ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी गई। ऑपरेशन से बेटे का जन्म हुआ। बेटे को मुझे बाहर दे दिया गया। काफी देर हो गई जब पत्नी को बाहर नहीं लाया गया तो तो मैंने स्टाफ से पूछा तो डॉक्टर ने बताया कि हेवी ब्लीडिंग होने की बजह से थोड़ी सी दिक्कत हो रही है अभी बाहर लाने में थोड़ी दिक्कत है।
उन्होंने कहा कि दो घंटे तक मैं इंतजार करता रहा जब बाहर नहीं लाए तो मैने पूछा। उन्होंने आनन-फानन में मेरी पत्नी को जिला अस्पताल से किसी निजी अस्पताल में ले जाने की बात कही। मैं एक निजी अस्पताल में लेकर गया। वहां जांच के माध्यम से जानकारी हुई कि मेरी पत्नी का यूट्रस डैमेज हो गया है। जिससे उससे यूट्रस को निकलवाना पड़ा। उन्होंने भी आरोप लगाया कि यह मेरा पहला बच्चा है, अस्पताल की लापरवाही के चलते बच्चेदानी निकलवाने पड़ी।
सीएमओ ने कही कार्रवाई की बात
इस मामले में जब यूपी की बात के संवाददाता ने सीएमओ से बात की तो उन्होंने कहा कि आप लोगों ने जो प्रकरण दिखाया है, इसमें उन्होंने अवगत कराया है कि जिला महिला अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती हुईं थी महिला और बच्चा पैदा होने के बाद ब्लिडिंग ज्यादा हुई। जिसके बाद उन्होंने बाहर कहीं इलाज कराया। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए हम इलकी जांच करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो डॉक्टरों के दल से इसकी जांच कराकर जो भी होगा उसपर कार्रवाई की जाएगी।
पीलीभीत से संवाददाता शिवकुमार की रिपोर्ट।