लखनऊः सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की समय से पहले रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के खिलाफ दिवंगत कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बहन की याचिका पर नोटिस जारी किया है। मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की दया याचिका पर शासन ने आदेश जारी करते हुए समय से पहले रिहाई के आदेश दिये थे। इसको लेकर कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने आपत्ति दर्ज की थी। बता दें कि उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन विभाग ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई का आदेश जारी किया थे। अच्छे आचरण का हवाला देते हुए दोनों की बची हुई सजा खत्म कर दी गई। राज्यपाल की इजाजत से कारागार प्रशासन ने रिहाई का आदेश जारी किया। दोनों 20 साल के बाद रिहा होंगे। आदेश में कहा गया है कि अगर दोनों को किसी अन्य मामले में जेल में रखना जरूरी न हो, तो जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर के विवेक के अनुसार, 2 जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक मुचलका पेश करने पर जेल से रिहा कर दिया जाए।
20 साल पहले की गई थी कवयित्री मधुमिता की हत्या
बता दें कि करीब 20 साल पहले कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या कर दी गई थी। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। जांच एजेंसी ने अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को दोषी करार दिया था और कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। बाद में गवाहों को धमकाने के आरोप में इस मामले का मुकदमा देहरादून ट्रांसफर कर दिया गया था। दोनों बीते 20 साल से जेल में हैं। घटनाक्रम के मुताबिक 9 मई 2003 लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में मशहूर कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड से तत्कालीन बीएसपी सरकार में हड़कंप मच गया था। तुरंत मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने मामले को भांप लिया था। पुलिस को मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग के बारे में नौकर देशराज ने सूचना पहले ही दे दी थी। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में आगे की कार्रवाई की थी। हत्याकांड के बाद देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।