समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सोमवार को लखनऊ के कैंसर इंस्टीट्यूट का निरीक्षण करने पहुंचे। लेकिन उनके पहुंचने से पहले ही संस्थान के डायरेक्टर प्रो. मदन लाल भट्ट ने ऑफिस छोड़ दिया, जिससे माहौल गर्मा गया। इसके बाद कार्यवाहक CMS को बुलाया गया, जिन्होंने अखिलेश यादव को अस्पताल का मुआयना करवाया और वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी दी।
अस्पताल की बदहाल स्थिति पर उठाए सवाल
मीडिया से बातचीत करते हुए अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार बजट तो जारी कर रही है, लेकिन बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में नाकाम साबित हो रही है। खासतौर पर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में लापरवाही देखने को मिल रही है।
उन्होंने एक बच्ची का उदाहरण दिया, जो गोरखपुर से इलाज के लिए लखनऊ आई थी। अखिलेश का कहना था कि एम्स जैसे बड़े अस्पताल में भी इस बच्ची का इलाज नहीं हो पाया, जिससे पता चलता है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर नहीं है।
“डबल इंजन नहीं, डबल ब्लंडर सरकार”
अखिलेश यादव ने सरकार की नीतियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार विकास कार्यों से ज्यादा प्रचार में व्यस्त है। कुंभ मेले की अव्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2013 में कम बजट के बावजूद अच्छा प्रबंधन किया गया था, जबकि इस बार भारी बजट होने के बावजूद अव्यवस्थाओं के कारण लोगों की जान चली गई। उन्होंने सरकार को “डबल इंजन नहीं, डबल ब्लंडर सरकार” करार देते हुए कहा कि केवल घोषणाओं से जनता का भला नहीं हो सकता, जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
सरकारी योजनाओं पर उठे सवाल
अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार सिर्फ नाम बदलने में लगी है। उन्होंने दावा किया कि समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में कैंसर संस्थान, इकाना स्टेडियम और कई विकास कार्य हुए थे, लेकिन मौजूदा सरकार ने सिर्फ उनका नाम बदलने का काम किया।
डायरेक्टर के ऑफिस छोड़ने पर सवाल
डायरेक्टर प्रो. मदन लाल भट्ट के अचानक ऑफिस छोड़कर चले जाने को लेकर भी सवाल उठे। क्या वे किसी संभावित सवाल से बचना चाह रहे थे? या फिर अस्पताल में ऐसी कोई कमी थी, जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही थी? इस मुद्दे पर अभी तक अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस घटना के बाद अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर बहस जरूर तेज हो गई है।