भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में हाथरस जिला आता है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यहाँ के अधिकांश राजपूत है, जिनकी निकासी करोली राजस्थान से हैं।
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में हाथरस जिला आता है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यहाँ के अधिकांश राजपूत है, जिनकी निकासी करोली राजस्थान से हैं।
अलीगढ़ का प्राचीन नाम कोइल (Koil) या कोल (Kol) था, जो कि वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक नगर है। यह अलीगढ़ ज़िले और ज़िले में स्थित कोइल तहसील का मुख्यालय भी है। अलीगढ़ संसदीय क्षेत्र दिल्ली से 130 किमी दक्षिणपूर्व और लखनऊ से 342 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में बसा हुआ है।
बुलंदशहर का इतिहास 1200 ईसा पूर्व से बहुत पहले ही हो जाता है यह क्षेत्र पांडवों के इंद्रप्रस्थ और हस्तीनापुर की राजधानी पास बसा हुआ है। बुलंदशहर उत्तर पूर्व में स्थित है जो की हस्तिनापुर में आहार के पतन के पांडवों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बना। समय के साथ-साथ राजा पर्मा ने क्षेत्र के इस भाग पर एक किले का निर्माण करवाया और अहिबरन नाम के एक राजा ने
मुगल काल के दौरान 1857 के विद्रोह के बाद, शहर का महत्व बड़ गया और फिर इसे तहसील बागपत के मुख्यालयों के रूप में बसाया। बता दें कि लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनके नाम सिवालखास, छपरौली, बड़ौत, बागपत और मोदीनगर हैं। इसमें सिवालखास सीट मेरठ जिले से और मोदीनगर गाजियाबाद जिले से शामिल की गई है।
अमरोहा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक नगर है और ज़िले का मुख्यालय भी है इसी के साथ ये गंगा नदी के समीप स्थित है। यह पहले मुरादाबाद ज़िले का ही एक हिस्सा था और 24 अप्रैल 1997 को नवगठित अमरोहा ज़िले के मुख्यालय के रूप में जाना गया। यह ज़िला बिजनौर ज़िले से दक्षिण, मुरादाबाद ज़िले के पश्चिम और मेरठ जिला, गाजियाबाद जिला तथा बुलंदशहर जिला के
संभल जिला उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत आने वाला एक जिला है। 28 सितंबर 2011 को राज्य के तीन नए जिलों में से एक के रूप में इसकी आधिकारिक घोषणा की गई थी। इससे पहले संभल का नाम “भीमनगर” रखा गया था। तो सतयुग में इस जगह का नाम सत्यव्रत था, त्रेता में महदगिरि, द्वापर में पिंगल तो कलयुग में सम्भल नाम से जाना जाता है।
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले में स्थित एक शहर और नगर पालिका है। रामपुर मुरादाबाद एवं बरेली के बीच पड़ता है। ये नगर उपर्युक्त ज़िले का प्रशासनिक केंद्र है तथा कोसी के बाएँ किनारे पर बसा हुआ है। इस नगर में उत्तरी रेलवे का स्टेशन भी है।
भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य में मुरादाबाद ज़िला आता है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। मुरादाबाद जिला रामगंगा नदी के किनारे स्थित है और यहां की जलवायु सम व विषम दोनों ही हैं तथा यहां एक नगर पंचायत कांठ भी है। वहीं तहसील व कांठ थाना उत्तर प्रदेश में नंबर एक की श्रेणी में प्रथम नंबर पर आता है।
नगीना संसदीय सीट, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बिजनौर ज़िले में स्थित एक नगर है। ब्रिटिश शासनकाल में “नगीना ” लखनहाई मुस्लिम से संबंधित नवाबों के स्वामित्व वाला एक नगर था। ब्रिटिश शासन में “नगीना ” का 1909 से 1919 तक यूपी विधायी परिषद को पुरानी और युवा दल द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया था।
बिजनौर संसदीय सीट, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के अनुसार बिजनौर मुरादाबाद का हिस्सा था। फिर 1817 में यह मुरादाबाद से अलग हो कर दिया गया, नाम मिला नार्थ प्रोविस ऑफ मुरादाबाद जिसका मुख्यालय बना नगीना और इसके पहले कलक्टर बने थे बोसाकवेट। फिर उन्होंने अपना कार्यभार एनजे हैलहेड को सौंप दिया। इसके बाद हैलहेड ने नगीना से हटाकर बिजनौर को मुख्यालय बना
कैराना संसदीय सीट की बात करें तो ये उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। ये मुजफ़्फ़रनगर से करीब 50 किमी, पश्चिम में हरियाणा पानीपत से सटा यमुना नदी के पास बसा है। कैराना को प्राचीन काल में ‘कर्णपुरी’ के नाम से जाना जाता था जो बाद में बिगड़कर किराना नाम से जाना जाने लगा और फिर किराना से कैराना में परिवर्तित हो गया। आपको बता
सहारनपुर संसदीय सीट भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। यहाँ पर प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रभावशली व्यक्ति चन्द्रशेखर रावण निवास करते हैं। वहीं जिले की भौगोलिक विशेषताओं ने भी यह साबित कर दिया कि सहारनपुर क्षेत्र मानव आवास के लिए उपयुक्त था। बता दें कि जिले के विभिन्न हिस्सों में खुदाई की जाती थी, अर्थात् अंबेखेरी, बड़गांव, हुलास और
घोसी संसदीय सीट उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ ज़िले में स्थित है और यहां से एक-एक नगर एवं लोकसभा का प्रतिनिधि को चुना जाता है। यह संसदीय सीट मऊ से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर में बसा हुआ है।
गोरखपुर जिले के अंदर आने वाली यह संसदीय सीट बांसगांव लोकसभा सीट है और देश की सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है। इस सीट से महावीर प्रसाद चार बार जीत चुके हैं, जो एक समय प्रदेश के बड़े दलित नेताओं में एक थे और केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे हैं। आपको बता दें कि 1962 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छह बार
लालगंज (सुरक्षित) सीट भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रायबरेली ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 31 गुज़रता है और वहीं पूरे ज़िले का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन भी यहीं स्थित है। प्रशासनिक रूप से यह ज़िला तहसील का दर्जा रखता है और वर्तमान समय में यहां विकास कार्य तेजी से होते हुए दिख रहा है।