घोसी संसदीय सीट उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ ज़िले में स्थित है और यहां से एक-एक नगर एवं लोकसभा का प्रतिनिधि को चुना जाता है। यह संसदीय सीट मऊ से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर में बसा हुआ है।
घोसी संसदीय सीट उत्तर प्रदेश राज्य के मऊ ज़िले में स्थित है और यहां से एक-एक नगर एवं लोकसभा का प्रतिनिधि को चुना जाता है। यह संसदीय सीट मऊ से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर में बसा हुआ है।
गोरखपुर जिले के अंदर आने वाली यह संसदीय सीट बांसगांव लोकसभा सीट है और देश की सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है। इस सीट से महावीर प्रसाद चार बार जीत चुके हैं, जो एक समय प्रदेश के बड़े दलित नेताओं में एक थे और केंद्रीय मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे हैं। आपको बता दें कि 1962 से अब तक हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छह बार
लालगंज (सुरक्षित) सीट भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रायबरेली ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 31 गुज़रता है और वहीं पूरे ज़िले का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन भी यहीं स्थित है। प्रशासनिक रूप से यह ज़िला तहसील का दर्जा रखता है और वर्तमान समय में यहां विकास कार्य तेजी से होते हुए दिख रहा है।
भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में आज़मगढ़ एक जिला है। आज़मगढ़ ज़िले का मुख्यालय भी है और तमसा नदी (टोंस नदी) के तट पर स्थित है। इस सीट पर यादव बाहुल्य वोटर ज्यादा हैं। यहां से मुगल शासन काल के दौरान कुछ राजपूतों ने धर्म परिवर्तन बेशक कर लिया था,पर बाकी लोग अपने धर्म पर अडिग रहे और मुगलों से डटकर मुकाबला किया था।
आर्थिक रूप से सलेमपुर संसदीय सीट राज्य के पिछड़े क्षेत्रों में गिना जाता है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार सलेमपुर तहसील की आबादी करीब 6 लाख (6,04,483) है जिसमें 3 लाख पुरुष (49%) हैं और 3.1 लाख (51%) महिलाएं हैं और यहां की 80 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग से आती है, जबकि 16% लोग अनुसूचित जाति के लोगों की है, जबकि 4 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है।
बलिया का जिक्र करने से पहले यह जानना जरूरी है कि भारत के नक्शे पर यह कहां स्थित है। राजनीतिक और प्रशासनिक तौर पर बलिया उत्तर प्रदेश का हिस्सा है और पूर्वी इलाके में बिहार की सीमा स्थित है। बलिया जिले को दो बड़ी नदियां गंगा और घाघरा अपने जल से सींचती हैं। या यूं कहें तो भौगोलिक तौर देखा जाए तो यह स्थान खेती के लिए उपयुक्त रहा है।
मछलीशहर उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख नगर और व्यापारिक स्थान है। ये पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित है और मछलीशहर को तहसील का दर्जा प्राप्त है। यहीं से नेशनल हाइवे 31 होकर गुजरता है जो पश्चिमी तरफ प्रतापगढ़ रायबरेली और लखनऊ को मछलीशहर से जोड़ता है तो पूर्वी तरफ जौनपुर और बनारस से मछलीशहर को जोड़ता है। मछलीशहर सुरक्षित लोकसभा सीट है जिसके तहत पांच विधानसभा
गाज़ीपुर शब्द का जिक्र इतिहास के पन्नों में नहीं हैं पर कुछ इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि राजा गढ़ी महारसी जमदग्नी के पिता थे। उस समय यह जगह को जंगलों से ढकी हुई थी जिसमें कई आश्रम थे जैसे कि यमदग्नी (परशुराम के पिता) आश्रम, पारसूम आश्रम, मदन वैन आदि। वहीं महर्षि गौतम का आश्रम यहां से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर था।
महेंद्रनाथ पांडे, जिन्होंने 16 साल के अंतराल के बाद 2014 में भाजपा के लिए जीत हासिल की और 2019 में अपनी जीत का अंतर बढ़ाया, उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह से है, जो अपनी राजनीतिक पारी के लिए जाने जाते हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य के प्रसिद्ध जिलों में से एक मिर्जापुर की स्थापना अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा 17 वीं शाताब्दी में हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि 1735 ईस्वी में जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी का व्यापार भारत में तेजी से बड़ने लगा था, तब उन्हें इस रास्ते के बीच में एक व्यापार केंद्र बनाने की आवश्यकता मालूम हुई ऐसे में अंग्रेजी अफसरों ने गंगा के किनारे वाले क्षेत्रों का अध्ययन
भदोही संसदीय सीट के अंतर्गत प्रयागराज की दो विधानसभा सीटें हंडिया और प्रतापपुर इसके क्षेत्र में आती हैं। यह क्षेत्र बाहुबली विधायक और सपा के नेता विजय मिश्रा के कारण भी चर्चित रही है। भदोही अपने कालीन करोबार के लिए भी प्रसिद्ध है।
रॉबर्ट्सगंज संसदीय सीट विन्ध्य और कैमूर की पहाड़ियों के बीच छोटे नागपुर पठार पर स्थित है। आस-पास के क्षेत्रों में बहुतायत में मिलने वाली गुफाओं के भित्ति-चित्र और चट्टानों पर की गई चित्रकारी से इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि ये क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से ही मानव की गतिविधियों का केंद्र रहा है। 5वीं शताब्दी में कोल राजाओं द्वारा जमीनी स्तर से 400 फीट की ऊंचाई पर निर्मित यह
भारत में चुनाव एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में दुनिया के सबसे पुराने शहर और यहां से नरेंद्र मोदी का प्रत्याशी के रूप में(2014,2019 और 2019) उतरने से इस सीट पर सभी कि निगाहें जाना स्वभाविक है। बनारस के इस सीट पर सन 2009 से ही भगवा रंग का परचम फहरा रहा है। वहीं 2014 में यहां से गुजरात के वडोदरा सीट के साथ मोदी ने
प्रतापगढ़ की स्थापना वर्ष 1858 में हुई और इसका मुख्यालय बेल्हा प्रतापगढ़ रखा गया है। वहीं प्रतापगढ़ तीर्थराज प्रयाग के निकट पतित पावनी गंगा नदी के किनारे बसा होने के कारण इसे एक एतिहासिक जिला एवं धार्मिक दृष्टि से काफी महत्तवपूर्ण माना गया है और उत्तर प्रदेश का यह जिला रामायण तथा महाभारत के कई महत्तवपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है।
मध्यकालीन भारत में शर्की शासकों की राजधानी रहा जौनपुर, वाराणसी से 58 किलोमीटर और प्रयागराज से 100 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में गोमती नदी के तट पर बसा हुआ जनपद है। मध्यकालीन भारत में जौनपुर सल्तनत (1394 और 1479 के बीच) उत्तरी भारत का एक स्वतंत्र राज्य था। जिसका प्राचीन नाम 'यवनपुर' भी लोग बताते हैं।