भारत में आगामी दिनों में त्योहारों का महाकुंभ लगने वाला है। ऐसे में प्रशासन लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई भी गलती नहीं करना चाहती है। इसलिए, 2025 में प्रयागराज के महाकुंभ मेले के साथ ही अयोध्या में राम मंदिर , गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर, काशी विश्वनाथ जैसे धार्मिक स्थलों के साथ ही ताजमहल की सुरक्षा आसमान से ड्रोन करेगा।
जिसके लिए पुलिस 9 टेथर्ड ड्रोन खरीद रही है। बता दें कि पुलिस के सुरक्षा मुख्यालय के प्रस्ताव को गृह मंत्रायल ने अपनी सहमति दे दी है और इसके लिए 4.61 करोड़ रुपए मंजूरी मिल चुकी है। गृह विभाग की तरफ से जारी शासनादेश के तहत, एक टेथर्ड ड्रोन की कीमत 51.33 लाख रुपए प्रस्तावित है।
अब जानते हैं कि क्या होते हैं टेथर्ड ड्रोन
आपको बता दें कि टेथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल सेना के जवान बॉर्डर की निगरानी और घुसपैठियों को रोकने के लिए करते हैं। जिसकी मदद से आसमान से करीब ढाई किलोमीटर की रेंज की निगरानी हो सकती है। बैटरी के बजाए इसे जेनसेट से तार या केबल के जरिए जोड़ा जाता है, ऐसे में इसकी उड़ान भरने की टाइमिंग अनलिमिटेड होती है। वहीं तार के जरिए ग्राउंड स्टेशन से जुड़ाव होने के चलते इनमें डेटा ट्रांसमिशन बेहतर तरीके से होता है और पावर सप्लाई की समस्या से भी निदान मिलता है।
केबल से जुड़े होने के कारण क्रैश या हैक कर पाना असंभव
केबल के माध्यम से जुड़े होने के चलते इन ड्रोनों का क्रैश या हैक होने की आशंका न के बराबर होती है। केबल से बंधे होने के कारण इनका मूवमेंट काफी कम होता है, इसके चलते इन्हें चलाने के लिए पायलट स्किल की भी बहुत जरूरत नहीं होती है। बेसिक ट्रेनिंग देकर पुलिसकर्मी इन्हें आसानी से ऑपरेट कर सकते हैं।
एंटी ड्रोन सिग्नल से लैस होगा महाकुंभ
महाकुंभ मेले को एंटी ड्रोन सिस्टम से सुसज्जित किया जाएगा। वहीं एक बार ड्रोन सेटअप हो जाने पर सिक्योरिटी टीम के अलावा कोई भी अन्य ड्रोन हवा में नहीं जाने दिया जाएगा। जो कि तकनीक के जरिए ऐसा संभव होगा। और यदि, कोई ड्रोन उड़ाने की कोशिश करेगा तो कंट्रोल रूम में रेड सिग्नल चला जाएगा।
फिर सिस्टम से लोकेशन को ट्रेस किया जाएगा। जिससे पता चलेगा कि कौन-सा ड्रोन है? उसमें क्या है? उसकी दूरी कितनी है? किस साइड से हवा में जाने की कोशिश की गई? आपको बता दें कि ये सारा डेटा टीम को पलभर में ज्ञात हो जाएगा। वहीं महाकुंभ की सुरक्षा से जुड़े संबंधित अधिकारियों ने कहा कि एंटी ड्रोन सिस्टम मांगा गया है। पर इसके इंतजामों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता, यह पूरा सेटअप सुरक्षा से जुड़ा हुआ है।
भारत के पास D4 एंटी ड्रोन सिस्टम
भारत के पास ड्रोन डिटेक्ट, डिटर एंड डिस्ट्रॉय सिस्टम यानी D4 ड्रोन है। यह पहला स्वदेशी एंटी ड्रोन सिस्टम है, जिसे DRDO ने तीन सालों में विकसित किया है। DRDO के अनुसार, D4 ड्रोन हवा में 3 किमी की रेडियस में दुश्मन का पता लगाकर 360 डिग्री की कवरेज देता है।
दुश्मन का पता लगाने के बाद यह दो तरह से काम करता है, हार्ड किल और सॉफ्ट किल। अगर इसको हार्ड किल कमांड दी जाती है तो यह अपने लेजर बीम के जरिए दुश्मन ड्रोन को नष्ट कर देता है। वहीं, सॉफ्ट किल के तहत D4 ड्रोन दुश्मन ड्रोन को नीचे ला सकता है या फिर लेजर बीम के जरिए उसके जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को खराब कर देता है, जिससे ऑपरेटर से दुश्मन ड्रोन का संपर्क टूट जाता है।
किन देशों के पास है एंटी ड्रोन सिस्टम
एंटी ड्रोन के मामले में इजराइल सबसे आगे है। इजराइल के पास ड्रोन डोम है, जो 360 डिग्री की कवरेज देता है और इसमें जैमर और सटीक लेजर गन भी होती है। यह रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन का पता लगाता है। वहीं, अमेरिका ड्रोन हंटर का इस्तेमाल करता है, जो नेट गन से ड्रोन को निशाना बनाने के साथ हवा में ही उस पर कब्जा भी कर लेता है।
अखाड़ा परिषद की चिंता- महाकुंभ मेले में हो सकता है आतंकी हमला
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी ने महाकुंभ की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने दुनिया के हालात का हवाला देकर फुलप्रूफ सुरक्षा इंतजाम करने की मांग की है। उनका कहना है कि महाकुंभ के अवसर पर किसी तरह आतंकी या अप्रिय घटना न हो, इसके लिए मुकम्मल इंतजाम होने चाहिए।