उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में हाल ही में आए मौसम के उतार-चढ़ाव को देखते हुए स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी हाल में गेहूं खुले में न रखा जाए। सभी संबंधित विभागों को निर्देशित किया गया है कि भंडारण की पूरी व्यवस्था गोदामों में सुनिश्चित की जाए ताकि किसानों की मेहनत बर्बाद न हो। साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि रविवार और अवकाश के दिन भी मोबाइल क्रय केंद्रों के माध्यम से किसानों से संपर्क बनाए रखा जाए।
रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2425 प्रति कुंतल निर्धारित किया गया है। साथ ही गेहूं की उतराई, छनाई और सफाई के लिए ₹20 प्रति कुंतल अतिरिक्त भुगतान भी किसानों को मिल रहा है। यह भुगतान सीधे किसानों के खातों में 48 घंटे के भीतर किया जा रहा है, जिससे बिचौलियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।
राज्य सरकार के प्रयासों का असर जमीनी स्तर पर स्पष्ट दिख रहा है। 10 अप्रैल 2025 तक कुल 3,67,875 किसानों ने पंजीकरण कराया है और 5784 सरकारी क्रय केंद्रों के माध्यम से 1.43 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद की जा चुकी है। अकेले दो दिनों में लगभग 7,000 नए किसानों ने अपनी फसल बेचने के लिए सरकारी क्रय केंद्रों का रुख किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, महावीर जयंती जैसे सार्वजनिक अवकाश पर भी खाद्य एवं रसद विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों से संपर्क कर रहे हैं। पहली बार मोबाइल क्रय केंद्रों के माध्यम से किसानों के खेत तक पहुंचकर मौके पर ही गेहूं का तौल कराया जा रहा है, जिससे खरीद प्रक्रिया और भी सरल हो गई है।
सरकार ने किसानों के हित में यह व्यवस्था की है कि पंजीकृत किसान 100 कुंतल तक गेहूं बिना सत्यापन के बेच सकते हैं। इसके साथ ही बटाईदार किसानों से भी खरीद की जा रही है। क्रय केंद्रों पर शुद्ध पेयजल, बैठने की व्यवस्था और तत्काल पंजीकरण जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं।
पिछले 8 वर्षों में योगी सरकार ने लगभग 50 लाख गेहूं किसानों को ₹43,424.44 करोड़ का सीधा भुगतान किया है। जबकि पिछली सरकार (2012–2017) में सिर्फ 19 लाख किसानों को ₹12,808.67 करोड़ का भुगतान किया गया था। यह अंतर स्पष्ट करता है कि योगी सरकार किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर कितनी गंभीर है।