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UP News: बांके बिहारी मंदिर को मिला FCRA लाइसेंस, विदेशी धन प्राप्ति के लिए FCRA लाइसेंस अनिवार्य

वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (एफसीआरए) के तहत लाइसेंस प्रदान किया है। यह लाइसेंस मंदिर को विदेशों से दान और धनराशि स्वीकार करने की अनुमति देता है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
Updated:
UP News: बांके बिहारी मंदिर को मिला FCRA लाइसेंस, विदेशी धन प्राप्ति के लिए FCRA लाइसेंस अनिवार्य

वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (एफसीआरए) के तहत लाइसेंस प्रदान किया है। यह लाइसेंस मंदिर को विदेशों से दान और धनराशि स्वीकार करने की अनुमति देता है।

मंदिर प्रबंधन में बदलाव

पहले बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन पुजारियों के परिवार द्वारा किया जाता था। लेकिन वर्तमान में इसका संचालन न्यायालय द्वारा गठित प्रबंधन समिति द्वारा किया जा रहा है। इसी समिति ने एफसीआरए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था।

विदेशी दान प्राप्त करने की प्रक्रिया

सूत्रों के अनुसार, मंदिर के खजाने में बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा पहले से ही जमा थी। इसके अलावा, मंदिर प्रबंधन भविष्य में विदेशों से दान स्वीकार करने की योजना भी बना रहा था। कानून के अनुसार, विदेशी धन प्राप्त करने के लिए एफसीआरए के तहत पंजीकरण आवश्यक होता है। गृह मंत्रालय ने इस प्रक्रिया को पूरा करते हुए लाइसेंस जारी किया।

मंदिर के लिए एफसीआरए लाइसेंस क्यों है जरूरी?

एफसीआरए लाइसेंस मंदिर को विदेशी धन और दान प्राप्त करने में कानूनी मान्यता प्रदान करता है। यह कदम मंदिर के विकास कार्यों, धर्मार्थ गतिविधियों और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में मदद करेगा।

मंदिर की प्रतिष्ठा को मिलेगा लाभ

बांके बिहारी मंदिर देश-विदेश में श्रद्धालुओं के बीच बेहद प्रसिद्ध है। एफसीआरए लाइसेंस मिलने के बाद मंदिर न केवल विदेशी दान स्वीकार कर सकेगा, बल्कि इससे इसकी प्रतिष्ठा और धर्मार्थ कार्यों में भी बढ़ोतरी होगी।

विदेशी दान से होंगे विकास कार्य

मंदिर प्रबंधन विदेशी धन का उपयोग मंदिर के विस्तार, रखरखाव और भक्तों के लिए सुविधाएं बढ़ाने में करेगा। यह कदम मंदिर की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों को और मजबूती प्रदान करेगा। वहीं एफसीआरए लाइसेंस मिलने के बाद बांके बिहारी मंदिर अब वैश्विक स्तर पर अपनी भूमिका को और अधिक प्रभावी ढंग से निभा सकेगा। यह मंदिर के विकास और श्रद्धालुओं के अनुभव को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

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