शिक्षा किसी भी व्यक्ति के लिए अमूल्य धन होती है जिसको प्राप्त करके व्यक्ति बड़े-से-बड़े ऊँचाइयों को छूकर अपने समाज और देश का नाम रोशन कर सकता है। लेकिन उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से शिक्षा को लेकर एक ऐसी घटना सामने आ रही है जो सीधे उंगली से घी निकालने से कम नहीं है। आप भी जब यहाँ हो रही धांधली को सुनेंगे तो आप भी दंग रह जाएंगे। दरअसल कई सालों से बस्ती जिले में एक ऐसा विद्यालय संचालित हो रहा है जिसकी जानकारी शिक्षा विभाग को लगते ही हांथ पाव फूल गए। फिलहाल पूरे मामले की जांच बीएसए स्तर पर की जा रही है।
आपको बता दें कि यह मामला कुदरहा ब्लाक के मेहनौना में स्थित राम पार्षद शास्त्री इंटर कॉलेज का है। जो कि ग्राम समाज की करोड़ों की भूमि पर निर्मित हुआ है। वहीं इस विद्यालय को लेकर यह बात सामने आ रही है कि पिछले तान वर्षों से यहां शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई है और एक साल से नामांकन भी शून्य है। जबकि ये स्कूल कक्षा नौ से इंटर तक मान्यता प्राप्त है। जिसकी स्थापना 1967 के आसपास हुई थी। इसके बाद जूनियर हाईस्कूल तक की मान्यता वर्ष 1983 में मिली थी। वहीं साल 1986 में हाईस्कूल की मान्यता मिली और इंटर तक की मान्यता 2006 में मिली। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल के शुरुआती दौर में इस विद्यालय में बच्चों की संख्या ठीक-ठाक थी।
स्कूल से मान्यता मिलने के साथ धीरे-धीरे बच्चों की संख्या भी बढ़ती गई। साल 2005 तक लगभग 800 बच्चे पंजीकृत रहे। वहीं इस स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, 13 शिक्षक, एक बाबू और तीन अनुचर सहित कुल 18 लोगों का स्टाफ मौजूद थे। परंतु शिक्षकों की सेवानिवृत्त के साथ बच्चों की संख्या भी घटती चली गई। चूकि प्रबंधक, शिक्षकों की नियुक्ति करने में मोटी रकम ऐंठने के फिराक में रिक्त पद के बारे में आगे जानकारी ही वहीं भेजी। जिसके चलते साल 2021 में कॉलेज शिक्षक विहीन हो गया।
उधारी के शिक्षक के भरोसे से विद्यालय संचालित होता रहा। लेकिम नामांकन के दबाव और छात्रों के विवरण को पोर्टल पर अपलोड करने की बात हुई तो वे भी निकल गए। उसके बाद तो जो स्कूल में गिनती के छात्र थे वे भी रफूचक्कर हो गए। बस इसके बाद तो बाबू शेषनाथ पांडेय और अनुचर राम जनक ही अपनी हाजरी लगाने के लिए कभी-कभी आते हैं। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि कॉलेज की नींव तो लाल बहादुर शास्त्री के नाम है पर प्रबंधक ने कागजों में तीन-पांच कर जमीन अपने परिवार के नाम पर कर दिया, जबकि ग्राम समाज की संपत्ति है।
स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री पोर्टल सहित उच्चाधिकारियों से शिकायत कर जब मामले की जांच कराने और सरकारी भूमि से व्यक्तिगत हित में खुले प्रबंधकीय कॉलेज को बेदखल किए जाने की मांग की तो यह मामला सामने आया। वहीं इस पूरे मामले को लेकर जब कॉलेज के प्रबंधक विभूती प्रसाद पांडेय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ग्राम समाज की भूमि पर कॉलेज का नाम दर्ज है।
मामले को लेकर बीएसए अनूप कुमार ने बताया कि जांच करा ली गई है। एडेड विद्यालय है, वहां पर जो भी शिक्षक थे वे सेवानिवृत्त हो गए थे, पद रिक्त हैं इस वजह से वहां पर कुछ छात्रों की संख्या में कमी आई है। लोकल लेवल पर कुछ शिक्षक अटैच किए गए हैं। वहां पर यह शिकायत आई थी कि बच्चे जीरो हैं, जबकि अभी 48 बच्चे हैं उनको अपडेट करा लिया गया है। जहां तक भूमि विवाद की बात है प्रबंधकीय विद्यालय है, प्रबंध तंत्र से हम लोग उसकी जानकारी ले रहे हैं। जानकारी लेने के बाद जो भी प्रशासनिक कार्रवाई होगी हम करेंगे।