उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आंदोलन कर रहे किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो एक महीने में रिपोर्ट और अनुशंसा सरकार को पेश करेगी।
इस समिति की अध्यक्षता आईएएस अनिल कुमार सागर, प्रमुख सचिव अवस्थापना व औद्योगिक विकास करेंगे। समिति के अन्य सदस्य हैं पीयूष वर्मा, विशेष सचिव अवस्थापना व औद्योगिक विकास, संजय खत्री (एसीईओ नोएडा), सौम्य श्रीवास्तव (एसीईओ ग्रेटर नोएडा) और कपिल सिंह (एसीईओ YEIDA)। समिति को किसानों के मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करके एक महीने के भीतर राज्य सरकार को सौंपनी होगी।
पश्चिम उत्तर प्रदेश के करीब 5,000 किसान दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे थे। इन किसानों का मुख्य मुद्दा 1997 से 2008 के बीच भूमि अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है। किसानों का कहना है कि उनकी ज़मीन अधिग्रहण के बाद आवासीय और औद्योगिक क्षेत्रों में तब्दील कर दी गई, लेकिन इसके बदले उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया।
किसान चाहते हैं कि उनके द्वारा दी गई ज़मीन का 10 प्रतिशत हिस्सा प्लॉट के रूप में लौटाया जाए और मुआवजे में 64 प्रतिशत वृद्धि की जाए, क्योंकि वर्तमान में मुआवजा बाजार मूल्य से काफी कम है।
इस आंदोलन का नेतृत्व विभिन्न किसान संगठनों, जैसे संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान परिषद और किसान मजदूर मोर्चा कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी किसानों की समस्याओं का समर्थन किया है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत उन्हें पूर्ण मुआवजा दिया जाए। टिकैत ने यह भी कहा कि यदि सरकार समय पर समाधान नहीं देती, तो किसानों का आंदोलन पूरे देश में फैल सकता है।
This Post is written by Abhijeet Kumar yadav