योगी राज में माफियाओं, अपराधियों और गैंगस्टरों की खैर नहीं है। सीएम योगी का निर्देश है कि माफिया कोई भी हो, अपराधी कोई भी हो, गैंगस्टर कोई भी हो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। पुलिस और प्रशासन किसी को भी किसी भी माफिया, गैंगस्टर और अपराधी को बख्श नहीं रही है। योगी सरकार ने माफियाओं पर खासकर नकेल कसा है। इसके बाद सूबे में कुछ माफिया ऐसे भी हैं, जो अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं।
नोएडा से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानकर हर कोई दंग रह जाएगा। यहां कुख्यात गैंगस्टर भू-माफ़िया यशपाल तोमर गैंग का कारनामा सामने आया है। चिठहैड़ा भूमि घोटाले के बाद खंडैरा से भूमि घोटाले की तैयारी का मामला सामने आया है। गांव वालों ने माफिया यशपाल तोमर के कारनामे को बताया है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितना शातिर भू-माफिया है।
अभी चिठहैड़ा भूमि घोटाले का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि खंडैरा गांव से मामला सामने आया है, जहां यशपाल गैंग गरीब भोले-भाले किसानों को डरा-धमका कर करोड़ों रुपए की बेसकीमती जमीन हड़पने की तैयारी कर ली थी। लेकिन हरिद्वार के एक मामले में की जांच में चिठहैड़ा भूमि घोटाला सामने आ गया। उत्तराखंड एसटीएफ ने जब उसको गिरफ्तार किया तो प्रभावशाली यशपात तोमर के सताए हुए पीड़ित किसानों को न्याय की उम्मीद जगी।
खंडैरा गांव में यशपाल तोमर गैंग ने किसानों की जमीनों को औने-पौने दाम में खरीदने की बड़ी प्लानिंग कर ली थी। बाकायता गरीब किसानों को जबरन डरा धमकाकर चंद पैसे देकर उनके पट्टों का एग्रीमेंट अपने गैंग के लोगों के नाम कराने शुरू कर दिए थे। बताया लगभग 70 किसानों के पट्टों का एग्रीमेंट तोमर गैंग करा चुका है। यह सभी पट्टे अभी असंक्रमणीय हैं।
खंडैरा गांव के रहने वाले ललित चौधरी ने बताया कि यशपाल तोमर का गैंग फर्जी पट्टों को खरीदता है। उन्होंने कहा कि 1992 में तत्कालीन प्रधान ने पट्टे किए। उस वक्त गांव चकबंदी में था। चकबंदी के दौरान पट्टे नहीं किए जा सकते, इसके बाद भी उन्होंने पट्टे किए। एडीएम ने उन पट्टों को निरस्त कर दिया। इसके बाद वे हाईकोर्ट से भी स्टे लाए। वो भी निरस्त हो गया। उन्होंने बताया कि तत्कालीन प्रधान और यशपाल तोमर ने मिलकर पट्टे खरीदे। जिनको बहाल कराने का प्रयास किया गया। अभी वो बहाल नहीं हुए हैं। उन्होंने बताया कि चिठहैड़ा गांव में भी निरस्त पट्टे थे। उन्होंने कहा कि कौड़ियों के रेट में पट्टे खरीदे गए।
उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने पट्टे दूसरों को बेंचे हैं वो जेल गए हैं। यशपाल तोमर फर्जी मुकदमे करवाकर सभी को जेल भिजवाता है। फिर उनसे पट्टे खरीद लेता है। उन्होंने बताया कि खंडैरा में छह महीने पहले पट्टे खरीदने शुरू किए थे। उस वक्त के प्रधान ने पट्टे बिचवाने शुरू किए। उसी ने ही गांव वालों से संपर्क कर सेल करवाए। उन्होंने बताया कि मामला सामने आने के बाद अभी कोई जांच एजेंसी गांव में नहीं पहुंची है।
यशपाल तोमर इतना बड़ा शातिक माफिया है कि गांव के ऐसे लोगों के भी पट्टे कराया है। जिनको पता भी नहीं है। खंडैरा गांव के गरीब किसान ओमपाल ने बताया कि हमारे पास कुछ लोग आए और कहा कि पट्टे को संक्रमणीय कर लो और उसका एग्रीमेंट कर लो। उन्होंने कहा कि जब मैनें पूछा किस प्रकार से एग्रीमेंट हो रहा है। तो यशपाल तोमर गैंग ने बताया कि 11 महीने के लिए एग्रीमेंट हो रहा है। पीड़ित ने बताया कि अगर 11 में संक्रमणीय हो जाता है कि खेत यशपाल गैंग के नाम हो जाएगा। और इस दौरान असंक्रमणीय रहता है तो खेत पीड़ित के नाम ही रहेगा ये झांसा देकर एग्रीमेंट कराया गया था।
खंडैरा गांव के रहने वाले राजेंद्र सिंह भी यशपाल तोमर गैंग के पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि इस गांव में उनके पिता के नाम शायद साल 1993 में नौ बीघे का पट्टा हुआ था। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के बहकावे में आकर साल 2019 में 11 महीने का एग्रीमेंट करा लिया। उन्होंने बताया कि उनसे एक लाख 12 हजार रुपए के आस पास वादा किया था। लेकिन 56 हजार के आप पास रुपए दिए गए। बाकी के एग्रीमेंट कराने वालों ने खा लिए।
माफिया यशपाल तोमर इतना प्रभावशाली है कि उसके संबंध कई वरिष्ठ अधिकारियों से भी है। जिनके दम पर यशपाल गैंग को जमीन न देने वाले किसानों पर झूठे केसों में फंसाकर जेल में बंद करा देता था। उसके बाद बाकी किसानों को उनका उदाहरण देकर डरा धमका कर कौड़ियों में अपने गैंग के लोगो को जमीन (पट्टा) करवा देता था।
पीड़ित मिंटू भाटी ने यशपाल तोमर द्वारा प्रताड़ित किए जाने की आपबीती बताई। उन्होंने कहा कि लगभग 10 साल से हमारे गांव में भूमि घोटाला प्रक्रिया पर है। उन्होंने बताया कि 2019 के बाद से इसमें तेजी आई है। उन्होंने बताया कि इसका मास्टर माइंड शातिर अपराधी यशपाल तोमर है। उन्होंने कहा कि हमारे गांव को लगभग 50 किसान इससे प्रताड़ित रहे हैं। इसके करतूतों से गांव को काफी नुकसान हुआ है।
उन्होंने बताया कि चिठहैड़ा गांव में दो बार पट्टे हुए थे। पहला 1970 में और दूसरी बार 1997 में हुए थे। उन्होंने बताया कि प्रक्रिया के तहत उनके गांव में यही दो पट्टे हुए थे। उन्होंने बताया कि ये दोनों पट्टे गरीब किसानों और सेना को जवानों के लिए पट्टे हुए थे। उन्होंने यशपाल तोमर के गुर्गे किसानों के पास आए और उनको बहकाए और लालच देकर एग्रीमेंट करा लिए थे।
मिंटू ने बताया कि साल 2010 के आसपास 11 महीने के लिए एग्रीमेंट हुआ था, जिसमें वो संक्रमण ही नहीं करा पाए थे। इसके लिए यशपाल तोमर के गुर्गों ने अपने मन से शर्त भी एग्रीमेंट में लाइन मिटाकर लिखवा दी थी। उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने एग्रीमेंट करने से मना कर दिया था। यशपाल ने उनके खिलाफ दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में गंभीर मुकदमे लिखवाकर उनको जेल भिजवा दिया था। उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ 2019 में दिल्ली के गीता कॉलोनी में एक मुकदमा और एक मुकदमा पंजाब में लिखवाया था।
मिंटू ने बताया कि मेरे खिलाफ पंजाब में लिखवाए मुकदमे से बरी हो गया हूं, लेकिन दिल्ली गीता कॉलोनी वाला मुकदमा चल रहा है। जिसकी जांच भी चल रही है। उन्होंने बताया कि इस माफिया के घोटाले का खुलासा उत्तराखंड से स्टार्ट हुआ था। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के एसटीएफ ने इसकी जांच शुरू की जो चिठहैड़ा गांव तक पहुंची। उन्होंने बताया कि इस मामले में जब लोगों ने आवाज उठाई तो इसकी जांच शुरू हुई और कोर्ट ने भी हमारी बात मानी।