यूपी के कुशीनगर जिले से घोटाले की ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानकर हर कोई हैरान हो जाएगा। पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन को रास्ते का माल समझकर जिम्मेदारों ने दोनों हाथों से लूट लिया। अधिकारियों ने शौचालय निर्माण के लिए बनाई गई सरकार की गाइड लाइन को ही बदल दिया। लूट-खसोट की स्थिति यह है कि खड्डा तहसील के आधा दर्जन से ज्यादा गांव 40-50 पहले गंडक धारा में विलीन हो गये। मौजूदा वक्त में इन गावों की जगह गंडक नदी की धारा बह रही है। लेकिन आंख मूंदकर लूट में जुटे जिम्मेदार लोगों ने नदी की धारा में भी शौचालय बनाकर रुपये गटक लिए।
जिले में शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जहां शौचालय निर्माण में रुपये की हेराफेरी नहीं की गयी हो। ग्रामप्रधान, सचिव, ठेकेदारों व अधिकारियों का गठजोड़ इस कदर रहा कि गोलमाल का मामला सामने आने के बाद भी किसी भी तरह से उसे दबा दिया जाता था। इसका नतीजा यह है कि तकरीबन 50 हजार शौचालय सिर्फ कागज में बनाकर धन डकार लिया गया। इतना ही नहीं इज्जत घरों के निर्माण में इतनी घटिया सामग्री का प्रयोग हुआ है कि वे बनने के साथ ही या तो गिर गये या फिर प्रयोग करने लायक नहीं रह गये।
आपको बता दें कि खड्डा तहसील के शामपुर, सूरजपुर, ज्वालापुर, नरकेलिया, गेठियहवा, दुदही घाट गांव सहित आधा दर्जन से ज्यादा गांवों को 40-50 साल पहले बड़ी गंडक नदी ने काटकर अपनी धारा में समाहित कर लिया। इन गांवों के लोग इधर-उधर विस्थापित हो गये। इन गांवों के बारे बुजुर्ग ही किसी तरह कुछ बता पाते हैं। इन गांवों की जगह आज बड़ी गंडक नदी की धारा बह रही है लेकिन ज़िम्मेदारों ने कागज में इन गांवों में भी शौचालय बनवा कर रुपये निकाल लिए।
दुदही विकास खंड के गौरी श्रीराम में 1200 से ज्यादा शौचालय स्वीकृत हुए थे। साल 2019 में सभी शौचालयों का धन निकाल लिया गया। लेकिन 800 शौचालय आज भी नहीं बने हैं और अब गौरी श्रीराम गांव का प्रधान भी बदल गया। गांव के मौजूदा प्रधान ने पिछले प्रधान के कारनामों को भी बताया।
इसी तरह से फाजिलनगर विकास खंड के गांव परसौनी में 316 इज्जत घरों का निर्माण कागज में कराया गया है। गांव के एक व्यक्ति की शिकायत पर जांच हुई तो पता चला कि रुपये खर्च हो जाने के बाद भी 194 शौचालय अभी तक नहीं बने हैं। शिकायतकर्ता दौड़ता रह गया और जांच की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गयी। इस मामले की भी पुष्टि गांव के मौजूदा प्रधान ने बताया।
भ्रष्टाचार के इस खेल में ग्रामप्रधान, ग्रामपंचायत सचिव व अधिकारियों की गठजोड़ कितनी मजबूत है। इसे 2019 के एक मामले से समझा जा सकता है। साल 2019 में धन निकाल लिए जाने के बाद भी शौचालय नहीं बनने के आरोप में दुदही विकास खंड के तत्कालीन एडीओ पंचायत रामबिलास ने गौरी श्रीराम, अमवा खास, विशुन बरियापट्टी, चाफ, बैकुंठपुर के तत्कालीन ग्राम प्रधानों व पंचायत सचिव पर 3 करोड़ रुपये से ज्यादा गोलमाल का एफआईआर विशुनपुरा थाना में दर्ज कराया था। इस मामले में विभाग ने केस तो दर्ज करा दिया लेकिन बाद में सभी आरोपियों के पक्ष में मदद करनी शुरू कर दी। जिसका नतीजा यह हुआ कि मामले में फाईनल रिपोर्ट लग गयी। हकीकत यह है कि शौचालय आज भी नहीं बने हैं। गौरी श्रीराम के मौजूदा प्रधान शौचालयों के नहीं बनने की पुष्टि की।
आपको बता दें कि ऐसे मामले तो स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में हुई लूट की बानगी मात्र हैं। स्थिति यह है कि कुशीनगर जनपद में शायद ही कुछ गांव बचे होगें, जहां इज्जत घर के निर्माण में हेराफेरी नहीं हुई है। ऐसे ही मामले जिले के सिरसिया, सिंगहा, पकड़ी खूर्द, पकडी बुजुर्ग, नारायणपुर, सौरहा, मरिचहवा, मलहिया, हरिहरपुर सहित ढेर सारे गांव तो अंगुली पर गिनाए जा सकते हैं। स्थिति यह है कि जिले के दो तिहाई से ज्यादा गांवों में जमकर लूट- खसोट हुई है। स्वाच्छ भारत मिशन में 50 हजार शौचलय के पैसे तो जिम्मेदार लोग गटक गए और जौ शौचालय बने भी उसमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा उपयोग लायक नहीं हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने स्वाच्छ भारत मिशन में दिल खोलकर पैसा खर्च किया है। पहले पांच सालों में हर साल एक अरब से ज्यादा रुपये सरकार कुशीनगर में भेजती रही। लेकिन जिम्मेदार लोगों ने सिर्फ कोरम ही पूरा किया।
कुशीनगर से संवाददाता प्रदीप आनंद श्रीवास्तव की रिपोर्ट।