महाकुंभ 2025 में बसंत पंचमी (3 फरवरी) के तीसरे अमृत स्नान को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ के बाद प्रशासन ने इस बार सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष रणनीति बनाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर होल्डिंग एरिया का निर्माण, और वीआईपी पास रद्दीकरण जैसे कड़े कदम उठाए गए हैं।
ट्रैफिक व्यवस्था और वीआईपी प्रोटोकॉल पर सख्ती
बसंत पंचमी पर लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने यातायात प्रबंधन को प्राथमिकता दी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 330A पर वाहनों के लिए होल्डिंग जोन बनाए गए हैं, ताकि भीड़ को चरणबद्ध तरीके से संगम तक पहुंचाया जा सके। साथ ही, सभी वीआईपी और वीवीआईपी पास को निलंबित कर दिया गया है, ताकि आम श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।
स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने का निर्देश
महाकुंभ नगर में स्वास्थ्य सुविधाओं को चाकचौबंद करने के लिए 23 अस्पतालों में 360 बेड की व्यवस्था की गई है। इनमें आपातकालीन चिकित्सा, एंबुलेंस सेवा, और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीमें तैनात हैं। मुख्यमंत्री योगी ने नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर 500 मीटर पर मेडिकल कैंप लगाए जाएं और एंबुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
पांच नए अधिकारियों की नियुक्ति, IPS अधिकारी भी शामिल
प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने महाकुंभ प्रबंधन में 4 IPS अधिकारियों और 3 एडिशनल SP स्तर के अधिकारियों को तैनात किया है। इनका मुख्य दायित्व भीड़ नियंत्रण, यातायात प्रबंधन, और सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी करना है। इसके अलावा, स्पेशल मेडिकल टीम ने मेला क्षेत्र का दौरा कर स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया।
मौनी अमावस्या की घटना से सबक, प्रशासन सतर्क
पिछले सप्ताह मौनी अमावस्या के दौरान हुई भगदड़ ने प्रशासन को सचेत कर दिया है। इसी को ध्यान में रखते हुए बसंत पंचमी पर सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई गई है। साथ ही, CCTV कैमरों और ड्रोन के जरिए मेला क्षेत्र की रियल-टाइम निगरानी की जा रही है। पुलिस अधिकारियों को निर्देश है कि भीड़ को किसी भी हाल में नियंत्रण से बाहर न होने दें।
सुरक्षा और आस्था का संतुलन जरूरी
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण है। योगी सरकार की यह पहल दर्शाती है कि प्रशासन न केवल भीड़ प्रबंधन पर ध्यान दे रहा है, बल्कि स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं को भी प्राथमिकता दे रहा है। आगामी अमृत स्नान के सफल आयोजन से ही इसकी परीक्षा होगी।
इन कदमों से स्पष्ट है कि सरकार महाकुंभ को केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जनसुरक्षा और प्रबंधन का मॉडल बनाने पर केंद्रित है। श्रद्धालुओं के साथ-साथ प्रशासन की तैयारियां भी अब परीक्षा की घड़ी में हैं।