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UP Politics: सपा-बसपा के हर एक धन्यवाद और आभार पर भाजपा सतर्क, हर बयान पर है नजर

Chaudhary Babulal of Agra forgot the party due to attachment to his son, said that he is not rebelling against the party

सपा और बसपा के बीच चल रहे संवाद से भाजपा को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी दोनों दलों के नेताओं के बयान के साथ उनके हर कदम पर नजर बनाए हुए है।

आभार व धन्यवाद से राजनीतिक गलियारे में नई हवा की सुगबुगाहत

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रमुखों के बीच चल रहे आभार और धन्यवाद ने यूपी के सियासी गलियारे में नई अटकलों को हवा दे दी है। जिसे सपा और बसपा में तल्खी कम होने के संकेत के साथ ही नए समीकरण के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा का स्पष्ट यह मानना है कि ऐसे ही इन दोनों पक्षों ने नरम रुख नहीं अपनाया है इसके पीछे कोई और खिचड़ी पक रही है। जो कि भाजपा के लिए सिरदर्द का कारण बन सकती है।

कहीं ये नए पदचाप तो नहीं

राजनीतिक जानकार भी दो धुर-विरोधी दलों के बीच शुरू हुए संवाद को प्रदेश की सियासत में नए पदचाप के तौर पर देख रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा के एक विधायक के बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया और फिर बसपा अध्यक्ष मायावती का उस पर आभार जताना सिर्फ शिष्टाचार भर नहीं हो सकता है। सवाल उठ रहा है कि क्या फिर यूपी की राजनीति में एक नया मोड़ आने वाला है।

राजनीति में कुछ भी कभी भी संभव

बसपा प्रमुख ने सपा या कांग्रेस के साथ गठबंधन से इन्कार तो कर दिया है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि राजनीति में कुछ भी संभव है। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों और यूपी में बने हालात देखें तो अखिलेश व मायावती के बीच संवाद को दोनों दलों के बीच तल्खी कम होने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। अटकलें लगने लगी हैं कि यूपी में इंडी गठबंधन का विस्तार बहुत जल्द हो सकता है।

कैसे शुरू हुआ सपा-बसपा में संवाद

मथुरा की मांट सीट से भाजपा के विधायक और पार्टी प्रवक्ता राजेश चौधरी ने मायावती के खिलाफ एक बयान दिया था। इस पर अखिलेश यादव ने आपत्ति जताई। फिर मायावती ने उनको धन्यवाद किया। इसके बाद अखिलेश ने आभार जताया। यही नहीं, मायावती ने अखिलेश के बयान को अपने ईमानदार होने का प्रमाण बताते हुए भाजपा विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

फिर भी सपा-कांग्रेस पर किया हमला

मायावती ने इस सब के बीच यह भी कहा कि सपा-कांग्रेस सिर्फ अपने फायदे के लिए एससी-एसटी आरक्षण का समर्थन कर रही हैं। ये किसी की हितैषी नहीं है। इसके बाद भी माना जा रहा है कि दोनों पार्टी के मुखिया के बीच हुए संवाद के आधार पर दोनों दलों में बात शुरू हो सकती है। वैसे भी स्टेट गेस्ट हाउस कांड के बाद किसने सोचा था कि बसपा कभी सपा के साथ गठबंधन करेगी। लेकिन, 2019 में दोनों मिलकर लोकसभा चुनाव लड़े।

भाजपा सतर्क, हर कदम और बयान पर नजर

सपा-बसपा के बीच शुरू हुए संवाद को लेकर भाजपा भी सतर्क है। पार्टी के रणनीतिकार दोनों दलों की हर गतिविधि पर नजर रखे हैं। सूत्रों की माने तो सपा-बसपा के फिरसे एक साथ आने की संभावना बेशक न के बराबर है, पर भाजपा उनके प्रत्येक कदम और बयान पर नजर बनाए हुए है।

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