उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के लिए सब कुछ सही नहीं चल रहा है। यहां एक तरफ सरकार और संगठन के बीच तकरार की खबरें आ रही तो दूसरी ओर पार्टी के विधायक और नेता अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाते नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश से एक मामला सामने आया जहां बीजेपी विधायक प्रदीप चौधरी अपने ही अपने अधिकारियों से परेशान हो गए हैं। शिकायत करने के बाद भी जिलाधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। यहां तक की वे इस बात की शिकायत बार-बार योगी सरकार से भी कर चुके हैं पर इस पर कभी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
बता दें कि विधायक ने अतिक्रमण को लेकर शिकायत जिलाधिकारी से की थी पर इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे पूर्व भी बुलंदशहर में गंगा नदी किनारे NGT की धज्जियाँ उड़ाई गई थीं जिससे गंगा का पुल ढह गया था लेकिन ये सब मामले दबा दिए गए। अब उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख कर कार्यवाही की मांग की है।
गौरतलब है प्रदीप चौधरी ने सीएम को चिट्ठी लिख कर भ्रष्टाचार में लिप्त सिंचाई विभाग के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की है। विधायक प्रदीप चौधरी ने कहा, मेरे द्वारा विधानसभा सत्र के दौरान काली नदी पर अवैध कब्जे व काली नदी की सफाई का प्रश्न तीन बार उठाया गया था। सिंचाई मंत्री से मुलाकात कर उन्हें भी इस प्रकरण से अवगत कराया और केन्द्र सरकार को भी चिट्ठी लिखी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस प्रकरण का संज्ञान लेकर केन्द्र सरकार से मेरे प्रस्ताव पर 90 करोड़ की राशि आवंटन की गई। जिला समीक्षा बैठक के दौरान प्रभारी मंत्री, वन एवं पर्यावरण और जिलाधिकारी के समक्ष पूरा विवरण रखा गया। जिलाधिकारी ने प्रभारी मंत्री के सामने आश्रासन दिया कि काली नदी पर अवैध कब्ज़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि काली नदी में गंदगी के कारण हर साल किडनी व कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लगभग 50 व्यक्तियों की जान चली जाती है। इसलिए अवैध कब्जे हटना व काली नदी की सफाई और भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी है।