आम चुनाव 2024 में जिन सीटों पर भाजपा को यूपी में नुकसान का सामना करना पड़ा, उसको लेकर सरकार में लगातार मंथन कार्यक्रम नेताओं के बीच चल रहा है। आपको बता दें कि करीब 6 साल बाद भाजपा, सदस्यता अभियान अगले माह यानि अगस्त महीने से शुरू करने जा रही है।
आम चुनाव में यूपी के खराब प्रदर्शन के बाद भाजपा बड़े बदलाव की तैयारी में है। प्रदेश अध्यक्ष और सीएम की बैठक में यह रणनीति बनी है। वहीं संगठन में 6 साल बाद सदस्यता अभियान, अगले माह से शुरू होने जा रही है। ऐसे में अब बाहरी दलों से आने वाले नेताओं के स्थान पर संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दिए जाने का प्रावधान बनाया जा रहा है। जिसके लिए पार्टी ने संगठन में सर्जिकल स्ट्राइक जैसी तैयारी करना शुरू कर दिया है।
लखनऊ में संगठन के पदाधिकारियों की बैठक में हार के कारणों पर मंथन हुआ। जिसके बाद संगठन के पुनर्गठन की रणनीति को तय करने की नीति बनाई गई। गौरतलब है कि प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उप चुनाव के मद्देनजर पुनर्गठन को पार्टी ने टाल दिया है। संगठन के चुनाव दिसंबर में हो सकते हैं। वहीं 15 जुलाई को पार्टी के सभी पदाधिकारी व सदस्यों की सदस्यता स्वत: समाप्त हो गई।
करीब 6 साल बाद बड़े पैमाने पर संगठन को मजबूत करने के लिए अगस्त महीने से नए सिरे से सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। पार्टी नेताओं का मानना है कि दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी जाए। पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को महत्वता दें।
संगठन में नीरसता और उदासीनता पर भी चर्चा हुई। नई स्फूर्ति के साथ काम करने को कहा गया। इसके अलावा संगठन की, हर 15 दिन में एक बार जिला स्तर पर बैठक होगी। जिले के पदाधिकारी मंडल स्तर पर, मंडल के पदाधिकारी बूथ पर बैठक करेंगे।
जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को कार्यकर्ता सुलझाएंगे। संबंधित अधिकारियों से जनता के कार्यों को पूरा करने के लिए पैरवी करेंगे। कार्यकर्ताओं के बीच से ही संगठन में पदाधिकारी का चुनाव होगा। यह भी तय हुआ कि बहरगांव या कोई ऊपरी पदाधिकारी नहीं थोपे जाएंगे। इसी के साथ संगठन के चुनाव में ऐसे ही लोगों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, जो सक्रियता से पार्टी के हित में लगे रहते हैं।
भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री व एमएलसी विजय शिवहरे ने कहा कि छह साल बाद पार्टी में सदस्यता अभियान चलाने का फैसला हुआ है। वहीं पार्टी के संविधान के अंतर्गत सदस्यता क्रमवार तरीके से बूथ से जिले तक चलाई जाएगी। संगठन में आमूलचूल परिवर्तन भी देखने को मिलेगा, ताकि कार्यकर्ता नई स्फूर्ति के साथ संगठन को मजबूत करने में अपना योगदान दे सकें।