जबसे सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST रिजर्वेशन में सब कैटिगरी करने का आदेश दिया है और क्रीमी लेयर का विकल्प तलाशने को कहा है। तब से राजनीतिक गलियारे में इसे लेकर हवा तेज हो गई है और लगभग सभी पार्टियां अपने हिसाब से लाभ लेने में डुटी हुई हैं।
एक तरफ बसपा की मुखिया मायावती SC/ST और OBC के आरक्षण के लिए सरकार से नया कानून पारित करने की मांग रख रही हैं तो वहीं वह केंद्र सरकार पर आरक्षण को लेकर लचर पैरवी का आरोप लगाया। ऐसे में मायावती ने एक बार फिर से सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर सपा और कांग्रेस पार्टी को आरक्षण का विरोधी कहा।
बसपा सुप्रीमो मायावती जहां लगातार सुप्रीम कोर्ट के SC/ST फैसले का सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध करते हुए नजर आ रही हैं। तो वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते नजर आई। इसी के साथ उन्होंने सपा और कांग्रेस पर भी आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाते हुए एक्स पर पोस्ट किया।
उन्होंने पोस्ट में लिखा कि,”सपा व कांग्रेस आदि ये SC/ST आरक्षण के समर्थन में तो अपने स्वार्थ व मजबूरी में बोलते हैं, किन्तु मा. सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 1 अगस्त 2024 के निर्णय में SC/ST आरक्षण के वर्गीकरण व क्रीमीलेयर को लेकर अभी तक चुप्पी साधे हैं जो इनकी यह आरक्षण विरोधी सोच है।
ऐसे में सजग रहना जरूरी। सपा व कांग्रेस आदि का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा SC/ST विरोधी रहा है, जिस क्रम में भारत बंद को सक्रिय समर्थन नहीं देना भी यह साबित करता है। वैसे भी आरक्षण सम्बंधी इनके बयानों से यह स्पष्ट नहीं है कि ये मा. कोर्ट के फैसले के पक्ष में हैं या विरोध में । ऐसी भ्रम की स्थिति क्यों? अब सपा, कांग्रेस व अन्य पार्टियाँ आदि आरक्षण के विरुद्ध फिर से अन्दर-अन्दर एक लगती हैं, तो फिर ऐसे में केवल एससी/एसटी ही नहीं बल्कि अन्य OBC को भी अपने आरक्षण व संविधान की रक्षा तथा जातीय जनगणना की लड़ाई अपने ही बल पर बड़ी समझदारी से लड़नी है।”
बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट पोस्ट कर केंद्र सरकार पर लचर पैरवी करने का आरोप लगाते हुए लिखा की, “एससी/एसटी आरक्षण में वर्गीकरण व क्रीमीलेयर का नया नियम लागू करने के माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 1 अगस्त 2024 के निर्णय के विरुद्ध जन अपेक्षा के अनुसार पुरानी व्यवस्था बहाल रखने के लिए केन्द्र द्वारा अभी तक भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाना यह अति-दुःखद व चिन्ताजनक।
इसको लेकर 21 अगस्त के भारत बंद के बावजूद अगर केन्द्र इसमें जरूरी सुधार के लिए गंभीर नहीं तो यह सोचने वाली बात है। पहले मा. कोर्ट में लचर पैरवी और अब उसको लेकर संविधान संशोधन बिल नहीं लाने से साबित है कि बीजेपी का एससी/एसटी आरक्षण विरोधी रवैया पूर्व की तीव्रता के साथ बरकरार है।
इस मामले में कांग्रेस, सपा व इनके इण्डी गठबंधन की भी चुप्पी उतनी ही घातक। इससे यह फिर से साबित है कि SC/ST वर्गों के सही हित, कल्याण व उत्थान के मामले में दोनों ही पार्टियाँ व इनके गठबंधन एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं तथा इन वर्गों का हित अम्बेडकरवादी बीएसपी में ही सुरक्षित।”