Jhansi LS Election 2024: झांसी के राजनीति में बसपा मुख्य पार्टी के रूप में महत्व रखती है पर इस बार के आम चुनाव में पार्टी यहां के चुनावी रण को त्रिकोण नहीं बना सकी। ऐसे में भाजपा से उम्मीदवार अनुराग शर्मा और इंडी गठबंधन के कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप जैन सीधे मैदान में एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हैं। हालांकि, कौन मैदान फतह करेगा ये कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि वोट मत-गणना 4 जून को है जो अभी कुछ दूर है।
2024 के आम चुनाव में BSP के कार्यकर्ता और प्रमुख नेता ज्यादातर चुनावी रण से गायब ही रहे हैं। ऐसे में इसका सीधा प्रभाव पार्टी के कार्यकर्ताओं और वोटरों पर भी हुआ इसमें कोई दो राय नहीं। ऐसे में चुनावी गणितज्ञ BSP के वोटों के बटवारे के कयास लगाने लगे। वहीं भाजपा और कांग्रेस पार्टी सोमवार को यहां पड़े वोटों को अपने-अपने हिसाब से बताने लगे।
झांसी कभी BSP और SP का गढ़ रहा
झांसी संसदीय सीट पर भारत देश की आजादी के बाद सबसे पहले कांग्रेस और फिर भाजपा ने राज किया है। पर राजनीतिक हालात बदले और यह सीट SP और BSP के गढ़ के रूप में मानी जाने लगी। यहां के मतदाताओं ने स्थायी रूप से इस सीट को कभी SP तो कभी BSP को सौंपते रहे। पर 2014 के बाद यहां का माहौल बदला देश ने आम चुनाव में मोदी के लहर को देखा जिसने SP-BSP के तिलिस्म को तोड़ा और यहां के सत्ता की चाबी का स्वयं मालिक हो गया। बता दें कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 19 में से 19 सीटों पर जीत मिली थी।
आम चुनाव 2019 में एक बार फिर भाजपा सरकार
2019 के आम चुनाव में दूसरी बार भाजपा के झोले में चारों लोकसभा सीटों को जनता ने डाल दिया। जबकि 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में झांसी के 3 सीट भाजपा के हाथ से चले गए। गौरतलब है कि इन चुनावों तक BSP बुंदेलखंड के चुनावी रण में जीत भले ही दर्ज करने में कामयाब न हो पाई हो, पर उसने अपनी धमक बनाए रखी। लेकिन, आम चुनाव 2024 में लोकसभा चुनाव में BSP का असर काफी हद तक प्रभावित दिख रहा है।
BSP शुरुआत से ही चुनावी मैदान से रही बाहर
BSP सुप्रीमों ने अयोध्या के रवि प्रकाश कुशवाहा को चुनावी रण में तो उतारा, पर पार्टी शुरूआत से ही राजनीति के मुख्य मुकाबले में खड़ी नजर नहीं आई। वहीं कल सोमवार को हुए मतदान भी पार्टी के बुरे हालत को बयां कर रहे थे। कई मतदान केंद्रों के बाहर तो BSP के बस्ते तक नहीं लगाए गए थे। इसके बाद BSP मतदाताओं को लेकर अंदाजे का दौर शुरू हो गया और सभी पार्टियों ने अपने-अपने तरीके से दावे किए कि उन्हें अब कितना वोट मिल रहा है और उनका वोट प्रतिशत कितना बढ़ रहा है।
भाजपा ने BSP के बड़े वोट बैंक पर अपना दावा जब ठोका तो इंडी गठबंधन के दल भी पीछे न रहकर सीट उनके पाले में है की बात करने लगे। परंतु BSP के बड़े पदाधिकारी इस मामले को दरकिनार करके यह कहने लगे कि BSP उम्मीदवार मुख्य चुनावी मुकाबले में है और न सिर्फ पार्टी का वोट उनके साथ है, बल्कि अन्य दलों के मतदाताओं ने भी BSP के पक्ष में अपना मतदान किया है।
4 जून को मामला हो जाएगा साफ
बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष B.K गौतम ने कहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पूरी ताकत से लड़ाई की है। BSP के कोर वोटर कहीं नहीं भटके हैं और वे BSP के साथ खड़े हैं। वहीं आगे उन्होंने कहा कि यहां जीतने का फैक्टर रहा है कि “आधा वोट जाति का आधा वोट हाथी का”। हमारे प्रत्याशी को समाज का वोट भी मिला है, इसलिए मुकाबले में BSP पूरी तरह से है। और, रही बात बस्ते लगाने की तो पार्टी ने बूथ के अंदर ही एजेंट बनाए थे, जबकि कार्यकर्ता मतदाताओं को वोट के बाद निकालने का काम कर रहे थे। 4 जून को चुनावी परिणाम आएंगे उस समय तस्वीर साफ हो जाएगी।