LS Elections 2024: आगामी आम चुनाव के लिए मायावती ने अपने पार्टी से संसदीय सीटों पर ऐसे प्रत्याशी को मैदान में उतारा है जो सपा के प्रत्याशियों के हराने का दमखम रखते हैं। ऐसे में सपा को बसपा के इस बाजी से नुकसान हो सकता है।
बहुजन समाज पार्टी ने सपा को आगामी चुनाव में पछाड़ने के लिए कुछ ऐसी नीतियों पर काम किया है जो सपा के साइकिल के टायर को पंचर कर सकती हैं। इसके लिए पार्टी ने सपा की जीती हुई सीटों पर ऐसे प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जो सपा के प्रत्याशियों से ज्यादा लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं।
उल्लेखनीय है कि बसपा ने 2019 लोकसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था, जिसमें बसपा को 10 और सपा को 5 सीटों पर जीत मिली थी। समाजवादी पार्टी की जीती पांच सीटों में से आजमगढ़ में, भाजपा ने उपचुनाव में मैदान मारा था। वहीं रामपुर के सांसद आजम खां की सदस्यता समाप्त होने के बाद भाजपा के घनश्याम लोधी विजयी हुए थे।
2024 में भी सपा को इन पांच सीटों पर जीतने की उम्मीद है, लेकिन बसपा ने उनके प्रत्याशियों के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। बसपा ने मैनपुरी से प्रत्याशी डिंपल यादव के खिलाफ शिव प्रसाद यादव को मैदान में खड़ा किया है। इसी तरह रामपुर संसदीय सीट पर सपा प्रत्याशी इमाम मोहिब्बुल्लाह का मुकाबला करने के लिए जीशान खान को प्रत्याशी बनाया है।
मुरादाबाद संसदीय सीटे से सपा ने सांसद एचटी हसन की जगह रुचि वीरा को पहले टिकट दिया था, जबकि बसपा ने मोहम्मद इरफान सैनी को मैदान में उतारकर सपा के पाले में जाने वाले मुस्लिम वोट बैंक में चक्रव्यू रच दिया था। ऐसे में 7 मई को होने वाले तीसरे चरण के वोटिंग में संभल से भी सपा के जियाउर्रहमान के सामने बसपा ने शौलत अली को टिकट दिया है, जिससे मुस्लिम वोट बैंक बिखरने का खतरा है।
बसपा ने पहले आजमगढ़ में अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अब उन्हें सलेमपुर संसदीय सीट से आम चुनाव लड़वाने का फैसला लिया है। ऐसे में अब बसपा आजमगढ़ में ऐसे किसी कद्दावर नेता को टिकट देने की फिराक में है, जो सपा को शिकस्त देने में काबिल हो। यदि यहां बसपा की रणनीति सफल हुई तो भाजपा और सपा की लड़ाई में बसपा फायदा लेकर जाएगी।
लोकसभा चुनाव 2024, सपा के हिसाब से नहीं रहा, विधानसभा में उसने बेशक इस स्थित को सुधारने का प्रयास किया हो, पर विधानसभा से ही सपा पार्टी के नेता और कार्यकर्ता पार्टी के दामन से दूर होने लगे थे। इसका असर साफ-साफ आम चुनाव 2024 में भी देखने को मिल रहा है। बता दें कि रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी, ओपी राजभर, विधायक दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी, स्वामी प्रसाद नौर्य जैस् तमाम बड़े नेताओं ने सपा का दामन छोड़ दिया। इंडी गठबंधन में जगह न मिलने के कारण स्वामी प्रसाद मौर्या बहुत पहले ही अपनी नाराजगी जता चुके हैं।
बसपा लोकसभा चुनाव 2024 में पिछली बार के मुकाबले अधिक सीटें जीतने वाली है। समाजवादी पार्टी इस चुनाव में कमजोर कड़ी है। तमाम बड़े दलों और नेताओं ने उसका दामन छोड़ दिया है। कांग्रेस का कहा जाए तो अब यूपी में कैडर ही नहीं बचा है।
-विश्वनाथ पाल, बसपा प्रदेश अध्यक्ष