लोकसभा 2024 चुनाव के डेट्स जितने पास आते जा रहे हैं वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां भी बड़ती जा रही हैं। ऐसे में बदायू लोकसभा सीट से सपा प्रत्यासी शिवपाल सिंह यादव पहुँच रहे हैं। यहाँ शिवपाल अपने भतीजे और धर्मेंद्र यादव के आवास पर रहकर चुनावी तैयारी देखेंगे। कुल मिलाकर कहा जाए तो सिर के लिए छत चाहिए हो फिर किसी माहौल को रूप देना है सभी कार्य धर्मेंद्र के किले पर ही होता है। हाँ, शिवपाल योद्धा के रूप में मैदान पर बने रह सकते हैं।
इस किले का है बड़ा इतिहास
बता दें कि बदायूं से साल 1996 से सपा सांसद के रूप में पहली बार सलीम इकबाल शेरवानी ने खाता खोला था। वहीं साल 1998 के चुनाव में भी सलीम यहां से सांसद चुने गए वहीं 1999 के चुनाव में भी उनका सपा की ओर से इस सीट पर वर्चस्व कायम रहा था और साल 2004 के चुनाव में भी बदायूं से सपा सांसद के रूप में ये काबिज रहे। लेकिन वे इस दौरान अपना घर नहीं बनवा पाए थे। पर उनका यहां आना-जाना हमेशा रहा।
जबकि साल 2009 में धर्मेंद्र यादव ने जीत हासिल करी और डीएम रोड पर आवास का निर्माण करवाया। ऐसे में वे साल 2019 तक आते और ठहरते रहे। लेकिन 2019 के चुनाव में सीट भाजपा के पाले में चली गई तो वे इस किले को अपने सियासी किले के रूप में प्रयोग करने लगे। जबकि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लोकसभा-2024 चुनाव के लिए जब शिवपाल यादव को प्रत्याशी बना दिया है तो शिवपाल भी यहीं से चुनावी हवा पर नजर रखकर अपने दांव-पेच खेलेंगे।
दो विधायकों के सहारे उतरेंगे मैदान में
शिवपाल का टिकट घोषित होने तक जिले की छह विधानसभाओं में तीन पर सपा विधायक आसीन थे, लेकिन राज्यसभा चुनाव में बिसौली से सपा विधायक आशुतोश मौर्य द्वारा क्रास वोटिंग करके पार्टी को धोखा दे दिया है। हालांकि अभी तक न तो सपा से उन्होंने इस्तीफा दिया है और न ही सपा से निकाला गया है। वहीं सहसवान विधायक ब्रजेश यादव और शेखूपुर विधायक हिमांशु यादव पर आगामी जीत के लिए शिवपाल निर्भर हो सकते हैं।
वोट बटोरना मगरमच्छ के मुंह से पानी में रहकर निवाला छीनने जैसा
शिवपाल यादव बेशक सपा के द्वारा बड़े चेहरे के रूप में रण में उतारे गए हों पर जमीनी हकीकत में बहुत पीचे दिखते हैं। चूकि पार्टी के प्रभाव के कारण भीड़ रहना स्वभाविक है, लेकिन धर्मेंद्र जैसे, अन्य लोगों के वोटों को अपनी तरफ कर लेना एक बात है।