चुनाव आयोग महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही आज यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान करेगा। इलेक्शन कमीशन की दोपहर 3:30 बजे प्रेस कांफ्रेंस है। 10 सीटों पर होने वाले इस उपचुनाव को विधानसभा 2027 का सेमीफाइनल की तरह देखा जा रहा है।
सपा अब तक 6, जबकि बसपा 5 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं किए। लेकिन दो दिन पहले दिल्ली में हुई बैठक में 9 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। एक सीट गठबंधन सहयोगी रालोद को दी जाएगी।
आम चुनाव 2024 के बाद होने वाला उपचुनाव योगी सरकार के स्वाभिमान का चुनाव है। आम चुनाव में इंडी गठबंधन के हाथों मिली हार के बाद सरकार और भाजपा ने उपचुनाव में सभी 10 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इधर, अखिलेश यादव और मायावती ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है।
इन 10 सीटों पर उपचुनाव: 5 पर सपा, 5 NDA ने जीती थी
जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, प्रयागराज की फूलपुर, अलीगढ़ की खैर, भदोही की मझवां, कानपुर की सीसामऊ, मैनपुरी की करहल, मुरादाबाद की कुंदरकी, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट है।
इनमें से मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, करहल और सीसामऊ सपा के कब्जे में थी। खैर, फूलपुर और गाजियाबाद भाजपा के पास थी। जबकि मझवां भाजपा के सहयोगी दल निषाद और मीरापुर रालोद के पास थी। यानी 5 सीट पर सपा और 5 सीट पर एनडीए का कब्जा था।
उपचुनाव की 10 सीटों का समीकरण…
1- करहल सीट: अखिलेश यादव के सांसद बनने के बाद करहल विधानसभा सीट खाली हुई है। मैनपुरी जिले की इस सीट से लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव ने जीत दर्ज की थी। 2024 लोकसभा चुनाव में सपा को करहल विधानसभा में सबसे ज्यादा 1.34 लाख वोट मिले थे। यहां भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह को डिंपल यादव से 57 हजार 540 कम वोट मिले। इस सीट पर भाजपा ने सिर्फ एक बार 2002 में जीत दर्ज की है।
जातीय समीकरण: करहल सीट यादव बाहुल्य है। यहां सवा लाख यादव मतदाता हैं। दूसरे स्थान पर शाक्य, तीसरे पर बघेल और क्षत्रिय मतदाता हैं।
2- मिल्कीपुर सीट: मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद (अयोध्या) सीट से सांसद बने। लोकसभा रिजल्ट में अगर मिल्कीपुर के नतीजे देखें, तो यहां सपा को 95,612 वोट मिले। भाजपा को 87,879 वोट मिले। मिल्कीपुर में पिछले तीन विधानसभा चुनाव में दो बार सपा और एक बार भाजपा ने जीत दर्ज की।
जातीय समीकरण: मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स ज्यादा हैं। सामान्य वर्ग के साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही मुस्लिम वोटर्स भी अच्छी तादाद में हैं।
3. कटेहरी सीट: अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी सीट से विधायक लालजी वर्मा ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद अब यहां उपचुनाव होने हैं। इस सीट पर सपा का दबदबा बरकरार है। यहां पर भाजपा सिर्फ एक बार 1992 में चुनाव जीती है। लोकसभा चुनाव का रिजल्ट देखें, तो लालजी वर्मा को कटेहरी विधानसभा में 1.07 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय को 90 हजार।
जातीय समीकरण: कटेहरी में दलित वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। इसके बाद मुस्लिम, ब्राह्मण और कुर्मी मतदाता हैं। यादव-ठाकुर, निषाद और राजभर भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। यहां जातीय समीकरण साधने में सपा माहिर है।
4. कुंदरकी सीट: संभल सीट से जियाउर रहमान बर्क ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। वह कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक थे। लोकसभा चुनाव में कुंदरकी सीट पर सपा को रिकॉर्ड 57 हजार वोटों से जीत मिली। जियाउर रहमान बर्क को यहां 1.43 लाख वोट मिले, जबकि भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को 86 हजार।
जातिगत समीकरण: इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 58 फीसदी है। इसके अलावा ओबीसी और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं।
5. खैर सीट: सीएम योगी के मंत्री और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से विधायक अनूप वाल्मीकि को हाथरस लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया। वो हाथरस में चुनाव जीत गए। लेकिन, जिस विधानसभा सीट से वो विधायक थे। वहां सपा गठबंधन को सबसे ज्यादा वोट मिले। यहां सपा के बिजेंद्र सिंह को 95,391 वोट, जबकि भाजपा के सतीश गौतम को 93,900 वोट मिले। हालांकि, रालोद गठबंधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव में भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है।
जातीय समीकरण: इस क्षेत्र में जाट वोटर्स की संख्या ज्यादा है। यहां 1.10 लाख जाट, इसके बाद दलित-50 हजार, ब्राह्मण-40 हजार और 30 हजार मुस्लिम वोटर्स हैं। इसके अलावा वैश्य वोटर्स की संख्या भी निर्णायक रहती है।
6. गाजियाबाद सदर: लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद सदर से विधायक अतुल गर्ग जीते, इस वजह से सीट खाली हुई। उनके विधानसभा सीट पर भाजपा को रिकॉर्ड 1.37 लाख वोट मिले। यहां सपा-कांग्रेस गठबंधन की प्रत्याशी डॉली शर्मा को 73,950 वोट मिले। इससे पहले इस सीट पर 2004 में उपचुनाव हुए थे। तब सपा ने यहां जीत दर्ज की थी। यहां दो बार से लगातार भाजपा जीत दर्ज कर रही है।
जातीय समीकरण : गाजियाबाद सदर सीट पर वैश्य, अनुसूचित जाति के वोटर्स निर्णायक हैं। जाट वोट बैंक भी मायने रखता है।
7- मीरापुर: मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक चंदन चौहान ने बिजनौर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की है। लेकिन, अपनी विधानसभा सीट पर उन्हें सपा प्रत्याशी से कम वोट मिले। यहां सपा प्रत्याशी दीपक सैनी को 89429 और चंदन चौहान को 88,438 वोट मिले। ऐसे में उपचुनाव में इस सीट पर कांटे की टक्कर तय है।
जातीय समीकरण : मीरापुर विधानसभा सीट पर एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 50 हजार से अधिक अनुसूचित जाति के वोटर हैं। इसी तरह से जाट 24 हजार और गुर्जर 18 हजार हैं।
8. फूलपुर: फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक प्रवीण पटेल ने सांसदी जीती है। अपनी विधानसभा सीट पर उन्होंने सपा को 29 हजार 705 वोटों से हराया। इस सीट पर पिछले तीन चुनाव में भाजपा को दो बार और सपा को एक बार जीत मिली है।
जातीय समीकरण : फूलपुर में 21 से 23% दलित, 20% यादव मतदाता है। यहां सवर्ण वोटर्स 10 से 12% के बीच हैं। वहीं मुस्लिम मदताताओं की संख्या 14% है।
9- मझवां सीट: मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट से विधायक विनोद कुमार बिंद को भाजपा ने भदोही से टिकट दिया। यहां उन्होंने टीएमसी प्रत्याशी ललितेश मिश्रा को हराया। वहीं, मिर्जापुर में अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने जीत दर्ज की। मझवां विधानसभा सीट से उन्हें सपा प्रत्याशी से 1762 वोट ज्यादा मिले।
जातिगत समीकरण : दलित, ब्राह्मण, बिंद की संख्या 60-60 हजार है। कुशवाहा 30 हजार, पाल 22 हजार, राजपूत 20 हजार, मुस्लिम 22 हजार, पटेल 16 हजार हैं।
10-सीसामऊ सीट: कानपुर की सीसामऊ विधानसभा से सपा विधायक इरफान सोलंकी को जाजमऊ आगजनी केस में 7 साल की सजा सुनाई गई है। इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के रमेश अवस्थी ने जीत दर्ज की। लेकिन सीसामऊ विधानसभा सीट पर उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा से कम वोट मिले।
जातीय समीकरण : मुस्लिम वोटर्स 80 हजार हैं। दूसरे नंबर पर ब्राह्मण लगभग 55 हजार हैं। दलित 35 हजार, कायस्थ 20 हजार, वैश्य 15 हजार, यादव 16 हजार, सिंधी-पंजाबी 2000 हैं। अन्य वोटर्स की संख्या लगभग 35 है।