लखनऊः यमुना अथॉरिटी नोएडा में भारी भ्रष्टाचार को लेकर नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट विधानसभा पटल पर पेश की गई। रिपोर्ट में यमुना अथॉरिटी पर विजिलेंस जांच की संस्तुति की गई है। यह मामला यमुना अथॉरिटी में जमीनों के सौदे में करप्शन से जुड़ा हुआ है। जहां मनमाने तरीके से जमीनों का आवंटन किया गया। लैंड यूज बदले गए और बिल्डर्स को लाभ पहुंचाया गया। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ खास चेहरों से जमीनें खरीदी गई, जिनसे जमीनें खरीदी गईं वो स्थानीय नहीं थे। यही नहीं अधिग्रहण और आवंटन में भी घपला हुआ है। विजिलेंस संस्तुति के बाद भी सरकार ने जांच नहीं कराई।
गौरतलब है कि यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने उप्र सरकार की अनुमति के बिना ही भू उपयोग बदलकर भूखंड आवंटित कर दिए। साथ ही एनसीआरपीबी के अनुमोदन के बिना ही अपनी महायोजना 2031 के पहले चरण पर अमल शुरू कर दिया। यीडा ने यह जमीन सरकारी व निजी स्तर पर उच्च मूल्य पर अधिग्रहीत की गई, जिससे उसे 128 करोड़ रुपये अधिक खर्च करना पड़ा। इसके अलावा भूमि खरीदने में देरी के कारण उसे 188.65 करोड़ का नुकसान भी हुआ। गुरुवार को उप्र विधानसभा में पेश सीएजी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार जमीन खरीदने में देरी के कारण उसे 188.65 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा। इस रिपोर्ट पर विधानसभा के अगले सत्र में चर्चा होगी, क्योंकि अनुपूरक मांगों को स्वीकार करने के बाद समाजवादी पार्टी के सदस्यों के हंगामे की वजह से कार्यवाही को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। विधानसभा के पटल पर गुरुवार को रखी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यीडा ने दूसरे चरण में विकास के लिए चार शहरी केंद्र चिन्हित किए हैं। इस ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि यीडा ने चार शहरों के स्थान पर अब तक मात्र अलीगढ़ और मथुरा में दो शहरी केंद्रों की महायोजनाएँ तैयार की।
आगरा और हाथरस में शेष दो महा योजनाओं को अंतिम रूप नहीं दिया गया। ऐसे में महायोजना के अभाव में अनियोजित एवं अनियंत्रित विकास तथा निर्माण गतिविधियों के क्रियान्वयन से इंकार नहीं किया जा सकता है। अर्जेंसी क्लॉज लागू करने के उपरांत भी अर्जन की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में अत्यधिक विलंब से व्यय अधिक हुआ है और इसका यीडा को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।