नोएडा प्राधिकरण में एक और प्रॉपर्टी फर्जी दस्तावेजों के जरिए ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है। यह मामला सेक्टर-40 स्थित 450 वर्गमीटर के एक प्लॉट का है, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 6 करोड़ रुपये है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा उजागर?
यह प्लॉट वाई जानकी रमैया के नाम पर था, जिनका निधन लगभग आठ साल पहले हो चुका था। हाल ही में जब इस प्लॉट पर एक कंपनी ने निर्माण कार्य शुरू किया, तो मृतक की बेटी, जो आंध्र प्रदेश में रहती हैं, को इस बारे में जानकारी मिली। उन्होंने तुरंत सेक्टर-39 थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस जांच में इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ और तीन आरोपियों—शोएब, संदीप गोयल और शमशेर को गिरफ्तार किया गया।
फर्जी दस्तावेजों के जरिए हुई धोखाधड़ी
आरोपियों ने पहले मृतक प्लॉट मालिक का नकली आधार कार्ड बनवाया और फिर दिल्ली से एक टेलर को लाकर उसे प्लॉट का मालिक दिखाया। इसके बाद एक ब्रोकर के जरिए फर्जी एग्रीमेंट तैयार कर यह प्लॉट दिल्ली के एक व्यक्ति को बेच दिया गया।
नोएडा प्राधिकरण की जांच और नए उपाय
नोएडा प्राधिकरण ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों द्वारा यह देखा जा रहा है कि बिना उचित सत्यापन के प्रॉपर्टी ट्रांसफर कैसे हो गया।
प्राधिकरण के एसीईओ सतीश पाल ने बताया कि भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए एक नया सॉफ्टवेयर तैयार करने पर विचार किया जा रहा है। इस सिस्टम के तहत, जब भी किसी संपत्ति का ट्रांसफर किया जाएगा, तो मूल आवंटी के मोबाइल नंबर पर एक एसएमएस भेजा जाएगा। जब तक मालिक द्वारा पुष्टि नहीं होगी, तब तक फाइल को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। यह प्रक्रिया बैंकों में पैसे के लेन-देन की तरह होगी, जिससे फर्जीवाड़े की संभावनाएं कम हो जाएंगी।
नोएडा में फर्जी दस्तावेजों से प्रॉपर्टी ट्रांसफर के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे में प्रशासन अब अधिक सतर्क होकर नई तकनीकों के माध्यम से इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के उपाय कर रहा है।