लखनऊः उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग में विगत वर्षो से पूरा बजट खर्च कर पाना बड़ी चुनौती बना हुआ है। साल दर साल बजट सरेंडर करना पड़ रहा है। चालू वित्त वर्ष में भी इस समस्या का समाधान होते नहीं दिख रहा है। यह आलम तब है जब मुख़्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों को सौ फीसदी बजट खर्च करने के निर्देश दिए हैं। जिससे विकास कार्यो को आगे बढ़ाया जा सके। पीडब्ल्यूडी का बजट वर्ष 2018 – 2019 के मुकाबले 20810 करोड़ से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में 34401 करोड़ रूपए हो गया है।
वित्त वर्ष समाप्त होने को है और अभी तक करीब 76 फीसदी बजट की स्वीकृतियां जारी हो चुकी हैं, वहीं व्यय करीब 50 प्रतिशत है। ऐसे में इस वर्ष भी बजट के सरेंडर होने की आशंका जताई जा रही है। जहां बड़े पैमाने पर सड़कों को सुधारने और नई सड़कें बनाने की आवश्यकता है। तो ऐसे में बजट समर्पित होने पर सवाल उठना लाज़िमी है।
अगर हम पिछले सालो का रिकॉर्ड देखे तो वर्ष 2018 -2019 में मात्र 3.84 प्रतिशत बजट सरेंडर हुआ था। वर्ष 2020-2021 और 2021-2022 में भी अच्छा खासा बजट सरेंडर हुआ। हलाकि तब इसकी वजह कोविड संकट माना गया था। उसके बाद भी वर्ष 2022-2023 और 2023-2024 में बजट सरेंडर होने का सिलसिला नहीं थमा! वही सूत्रों की माने तो कार्ययोजना का 70 फीसदी हिस्सा वित्त वर्ष के शुरुआत में ही जारी हो जाए तो इस समस्या का समाधान हो सकता है। इसके लिए हर साल बात तो होती है लेकिन इस पर अमल नहीं होता।