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चौरसिया परिवार खिला रहा रामलला को 102 वर्षों से पान की बीड़ा, 1992 में कर्फ्यू के दौरान भी रामलला को खिलाया पान

अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी मंदिर के पास रिंकू चौरसिया की एक बनारसी पान भंडार नाम की दुकान है। इस दुकान पर न तो कोई नाम का बोर्ड है और न ही इसको दिखाने की कोशिश की गई है। परंतु अयोध्या में आप किसी भी वहां रहने वाले व्यक्ति से पूछेंगे की राम मंदिर में पान देने वाले चौरसिया बाबू की दुकान किधर हैं, सब तुरंत वहां क पता बता देंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि उस दुकान की पहचान उनके बोर्ड से नहीं बल्कि यह दुकान रामलला से संबंधित है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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चौरसिया परिवार खिला रहा रामलला को 102 वर्षों से पान की बीड़ा, 1992 में कर्फ्यू के दौरान भी रामलला को खिलाया पान

उत्तर प्रदेश: अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी मंदिर के पास रिंकू चौरसिया की एक बनारसी पान भंडार नाम की दुकान है। इस दुकान पर न तो कोई नाम का बोर्ड है और न ही इसको दिखाने की कोशिश की गई है। परंतु अयोध्या में आप किसी भी वहां रहने वाले व्यक्ति से पूछेंगे की राम मंदिर में पान देने वाले चौरसिया बाबू की दुकान किधर हैं, सब तुरंत वहां क पता बता देंगे।

 

ऐसा इसलिए क्योंकि उस दुकान की पहचान उनके बोर्ड से नहीं बल्कि यह दुकान रामलला से संबंधित है। बता दें कि चौरसिया परिवार की तीन पीढ़ियां रामलला के लिए पान का भोग बना रही हैं। जिसकी शुरुआत 1920 में रिंकू की दादी रामप्यारी देवी ने किया था।

 

ये दुकान राममंदिर के बहुत नजदीक है और राम मंदिर आंदोलन के दौरान रिंकू के पिता अमरीश प्रसाद दुकान का कार्यभार संभालने लगे थे। आज अयोध्या में इस परिवार की पान की तीन दुकानें हैं। वहीं 22 जनवरी को रामलला अपने मंदिर में विराजेंगे। ऐसे में 42 साल के रिंकू इस खास दिन की तैयारी में तेजी से जुट गए हैं। बता दें कि श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में रिंकू के परिवार को 551 पान की गिलौरी बनाने का ऑर्डर दिया गया है।

तांबुल पान

इसी दुकान से क्यों जाता है रामलला के लिए पान

 

मुद्दे पर जाने से पहले एक बार रिंकू के परिवार के बारे में जान लेते हैं। तो आपको बता दें कि अयोध्या में दुकानों का कामकाज अमरीश प्रसाद के तीनों बेटो के हाथों में है। जिनमें से सबसे बड़ा बेटा रिंकू है। रिंकू के बाद दीपक और सबसे छोटे विनय हर दिन रामलला का पान तैयार करते हैं। रिंकू बताते हैं, ‘दादी के बाद पिताजी भगवान के भोग के लिए पान का बीड़ा मंदिर ले जाते थे।’

 

‘पिताजी के समय रामलला के लिए रोज 20 पान मंदिर जाते थे। जन्मभूमि के शिलान्यास के बाद से अब 51 पान भेजे जाते हैं। मंदिर तक पान ले जाने का काम छोटा भाई दीपक करता है। उसका पास बना हुआ है।’

102 साल से रामलला को पान खिला रहा चौरसिया परिवार:कर्फ्यू में भी पान पहुंचाया, रोज 51 पान का भोग, 5100 रुपए सैलरी

आधे घंटे में बनता है तांबूल भोग, सुबह 7 बजे से होती है तैयारी

 

चौरसिया बाबू की हनुमान गढ़ी वाली दुकान उनके सबसे छोटे बेटे विनय संभालते हैं। तांबुल भोग की तैयारी पर विनय कहते हैं, ‘राम मंदिर के लिए पिताजी हमेशा सेवा भाव से जुड़े रहे। वे हर दिन नहाकर सबसे पहले रामलला का बीड़ा तैयार करते थे। फिर साइकिल से उसे मंदिर तक ले जाते थे। उन्हीं को देखकर हमने सीखा और अब वही सिस्टम फॉलो करते हैं।’

 

विनय बताते हैं, ‘इसमें शुद्धता का बहुत ध्यान रखते हैं। तांबूल भोग जूठा न हो, इसलिए इसके मसाले अलग रखते हैं। पान तैयार करने के बाद उसे मंदिर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दीपक की होती है। दीपक सुबह 10:30 बजे पान लेकर मंदिर पहुंच जाते हैं।’

 

‘इस वक्त प्राण प्रतिष्ठा को लेकर ट्रस्ट काफी एहतियात बरत रहा है। इसलिए मंदिर समिति का एक व्यक्ति पहले घर आता है। उसी के साथ दीपक अंदर जाते हैं। दीपक के पास मंदिर ट्रस्ट का पास है, जिससे उन्हें मंदिर के भोग कक्ष तक जाने की परमिशन मिल जाती है।

 

हमने विनय से पूछा कि अयोध्या में सैकड़ों पान की दुकानें हैं। फिर आपका ही पान क्यों रामलला को भोग चढ़ता है? विनय कहते हैं, “भगवान का भोग बनाना हमारे परिवार की परंपरा रही है। भगवान 100 साल से हमारे पान खा रहे हैं। कभी कोई शिकायत नहीं मिली। मंदिर ट्रस्ट का हमारे ऊपर भरोसा रहा है। इसलिए हमारी दुकान से पान जाता है।’

 

1992 में कर्फ्यू लगा, तब पुलिस सुरक्षा में जाते थे पान

रिंकू का परिवार 102 साल से रामलला के लिए पान का बीड़ा बना रहा है। अयोध्या के जैन मंदिर चौराहे पर चौरसिया बाबू का पुश्तैनी घर है। यहीं उनकी सबसे पुरानी दुकान भी है, जो कारसेवकपुरम के नजदीक है। अमरीश प्रसाद यहीं से पान बनाकर मंदिर तक ले जाते थे। चाहे नॉर्मल दिन रहा हो या फिर 1992 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या में लगा कर्फ्यू, रामलला के लिए पान मंदिर जरूर गया है।

chaurasia parivar

रिंकू बताते हैं कि 1992 में राम मंदिर आंदोलन की वजह से शहर में कर्फ्यू लगा था। तब भी हमारे यहां से रामलला के लिए पान जाते थे। मेरे पिता अमरीश प्रसाद चौरसिया को पुलिस की सिक्योरिटी मिलती थी, ताकि वे मंदिर तक पान पहुंचा सकें।’

 

रिंकू 1992 का एक किस्सा सुनाते हैं। आंदोलन अपने चरम पर था। विवादित ढांचा गिरा दिया गया था। अयोध्या में चप्पे-चप्पे पर सेंट्रल फोर्स के कमांडो तैनात थे। पुलिस कारसेवकों को गिरफ्तार कर रही थी। पूरे शहर में कर्फ्यू लगा था।

 

रिंकू कहते हैं, ‘कारसेवक बचने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। कुछ मठों में उन्हें शरण मिली, लेकिन पुलिसवाले वहां भी पहुंच जाते थे। मैं तब 6 या 7 साल का था। मुझे याद है कि उस वक्त लोगों को छिपने के लिए पिताजी ने घर में जगह दी थी।’

 

‘दिसंबर में कड़ाके की ठंड थी। पूरी अयोध्या में सन्नाटा पसरा था। हर चौराहे पर पुलिस का पहरा था। कोई मंदिर की तरफ बढ़े, तो उसे सीधे गोली मारने के आदेश थे। उस टाइम भी पिताजी पुलिस सुरक्षा में रामलला के लिए पान ले जाते थे। आज भी आंधी आए या पानी, कैसी भी मुश्किल हो, मंदिर तक पान जरूर जाता है।’

 

13 तरह के मसालों से तैयार होता है रामलला का पान

रिंकू कहते हैं, ‘रामलला तो छोटे बच्चे हैं। इसलिए उनके लिए मीठा पान बनता है। इसमें 13 खास पान मसाले कत्था, गरी, सौंफ, मीठा मसाला, गुलकंद, चेरी, केसर, लौंग-इलायची, मीठी चटनी और गुलाब जल डाले जाते हैं। चूना और सुपारी कम डालते हैं क्योंकि पान बाल रूप के लिए बनाया जाता है।’

 

‘रामलला के लिए हरे पत्ते वाला पान नहीं लगता, क्योंकि वो तेज और स्वाद में हल्का कसैला होता है। भगवान के लिए हमेशा पीले पत्ते वाला बनारसी पान बनाते हैं। इसमें सोने-चांदी का वर्क और चेरी लगाते हैं। इसके बाद इसे पैक करके मंदिर भेज देते हैं।’

 

रिंकू के मुताबिक, महीने की दोनों एकादशी के दिन रामलला व्रत रखते हैं। इस दिन उन्हें पान नहीं भेजा जाता। यही दो दिन हैं, जब हमारे पास काम कम रहता है, नहीं तो रोज सुबह रामलला के भोग बनाने से ही दिन शुरू होता है।

 

पहले 3500 रुपए मिलते थे, अब 5100 रुपए महीने मिल रहे

 

चौरसिया परिवार को रामलला के लिए पान बनाने के बदले हर महीने मंदिर ट्रस्ट की तरफ से 5100 रुपए मिलते हैं। पहले 3500 रुपए मिलते थे, लेकिन राम मंदिर बनना शुरू हुआ तो पैसे बढ़ा दिए गए।

 

22 जनवरी के लिए कोई खास तैयारी है क्या? रिंकू बताते हैं, ‘प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए रामलला को स्पेशल पान गिलौरी चढ़ाई जाएगी। इसमें केसर, कस्तूरी, इत्र, खजूर सहित 50 तरह के पान मसाले होंगे। कुछ हमारे पास हैं, बाकी के लिए ऑर्डर दिया है। सभी पान बनारसी होंगे।’

 

‘मुख्य कार्यक्रम के दिन दो तरह के पान भेजने हैं। प्रभु के लिए सोने का वर्क चढ़ा हुआ पान जाएगा, कुछ चांदी की वर्क चढ़े पान होंगे, जिन्हें अलग से महाप्रसाद में मिलाया जाएगा। इनकी तैयारी अभी से शुरू हो गई है। बनारस के 10 हजार पान का लॉट आ गया है। ट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा के दिन 551 पान भेजने के लिए कहा है। कार्यक्रम से एक दिन पहले ही सभी पान बनाएंगे।’

 

रामलला रोज दोपहर के भोग के बाद खाते हैं मीठा पान

 

रामलला को पान कब खिलाया जाता है और इसका महत्व क्या है? ये जानने हम राम मंदिर के मुख्य पुजारी संतोष तिवारी के घर पहुंचे। वे बताते हैं, ‘रामलला को ठंड में हर सुबह गुनगुने पानी से नहलाया जाता है। अस्थायी मंदिर में उनके लिए हीटर की व्यवस्था की गई है। स्नान के बाद प्रभु भोजन करते हैं। इसमें 56 भोग का प्रसाद लगता है। भोजन के बाद रामलला का मनपसंद मीठा पान खिलाया जाता है।’

 

‘रामलला को पान खिलाने के बाद भोजन पूर्ण होता है। बचा हुआ भोग प्रसाद में बांटते हैं। रामलला के लिए मीठे पान का बीड़ा अमरीश चौरसिया के यहां से आ रहा है। पहले वे खुद पान लाते थे, अब उनके बेटे सेवा दे रहे हैं।’

 

राम के 16 तरह के पूजन में तांबूल सबसे जरूरी चीज

 

रामलला के तांबूल प्रसाद में अभी 51 पान का भोग लगता है। 22 जनवरी की दोपहर 12:30 बजे रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त तय किया गया है। इसके बाद प्रभु को 151 पान का भोग लगाया जाएगा।

 

रामलला को पान के भोग के बारे में हमने अयोध्या के महंतों से बात की। अयोध्या के भागवत कृपा सेवा आश्रम के महंत मुक्तामणि शास्त्री कहते हैं, ‘भगवान राम को 16 उपचार पूजन बहुत प्रिय है। इसमें 16 तरह से प्रभु की पूजा होती है। इसमें पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, तांबूल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार विधियां शामिल हैं।’

 

आपको बता दें कि ऋग्‍वेद में पुरुष सूक्त के 31वें अध्याय में तांबूल का महत्वता को बताया गया है। भगवान को पान का प्रसाद चढ़ाते समय ये मंत्र पढ़ा जाता है-

ॐ यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत। वसन्तोस्यासीदाज्यं ग्रीष्म ऽइध्मः शरद्धविः ।।

 

भगवान जब अन्न का भोग ग्रहण कर लेते हैं, तब तांबूल मंत्र पढ़कर उनकी मुखशुद्धि की जाती है।

 

ससुराल में राम का पान खिलाकर हुआ था स्वागत

भगवान को चढ़ाया प्रसाद अपने आप अमृत बन जाता है। अमृत ऐसी चीज है, जिसे ग्रहण करने से मन शांत होता है और शरीर की तमाम बीमारियां खत्म हो जाती हैं।

THIS POST IS REPORTED BY AZAM KHAN(UP KI BAAT REPORTER)  AND WRITTEN, EDITED AND PROOF READING BY ABHINAV TIWARI.

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