लखनऊः यूपी के बाँदा में तैनात महिला जज का एक पत्र जमकर सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। जिसमे सिविल महिला जज ने जिला जज पर सेक्सुअल हैरसमेंट का आरोप लगाया हैl इसको लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की हैंl उन्होंने पत्र में लिखा है कि जब वह बाराबंकी जिले में 2022 में तैनात थी, तब वहां के जिला जज ने मुझे शारीरिक व मानसिक प्रताड़ित किया था। जिसके बाद मैंने इस मामले को लेकर याचिका दाखिल की थी लेकिन उसे खारिज कर दिया गया थाl हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी पर उसे वहां भी न्याय नहीं मिला और अब मैं फिर से न्याय की उम्मीद लिए हाईकोर्ट जा रही हूंl लिखा कि अब सभी गवाहों के नियंत्रण में जिला न्यायाधीश के अधीन होगी, हम सभी जानते हैं कि ऐसी जांच का क्या हश्र होता है, जब मैं स्वयं निराश हो जाऊंगी तो दूसरों को क्या न्याय दूंगी? मुझे अब जीने की कोई इच्छा नहीं है, पिछले डेढ़ साल में मुझे एक चलती-फिरती लाश बना दिया गया है, मेरी जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा है, कृपया मुझे अपना जीवन सम्मानजनक तरीके से समाप्त करने की अनुमति देंl” वहीं वायरल पत्र को संज्ञान में लेते हुए सीजेआई, डी वाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट तलाब की हैl
न्याय न मिलने से आहत होकर CJI से मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति
मामला बाँदा जिले में तैनात महिला सिविल जज अर्पिता साहू का है। जिन्होंने बाराबंकी के जिला जज पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है। न्याय ना मिलने से आहत होकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर मरने की इजाजत मांगी हैl सिविल महिला जज ने चीफ जस्टिस को पत्र में लिखा कि “मैं इस पत्र को बेहद दर्द और निराशा में लिख रही हूं, इस पत्र के माध्यम से मैं मेरी कहानी और प्रार्थना जाहिर करना चाह रही हूं। इसके अलावा मेरा कोई मकसद नहीं है, मेरे सबसे बड़े अभिभावक (सीजेआई) मुझे अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें। मैं बहुत उत्साह और इस विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थी कि मैं आम लोगों को न्याय दिलाऊंगी, लेकिन मैं ये नहीं जानती थी कि जिस कार्य के लिए जा रही हूं, वहां पर मैं खुद ही न्याय की भीख मांगूगी, मेरे साथ यौन उत्पीड़न किया गया, मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार हुआ, मेरी दूसरों को न्याय दिलाने की आशा थी, लेकिन मिला क्याl
जज होने पर भी नहीं मिला न्याय तो जनता का क्या होगा?
महिला जज ने पत्र में लिखा कि जब वह बाराबंकी में तैनात थी कि तब वहाँ के जिला जज ने उन्हें रात में मिलने को लेकर दबाव बनाया था। जिसको लेकर उन्होंने हाईकोर्ट इलाहाबाद में भी गुहार लगाई थी, लेकिन जज होने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिलाl इसके बाद वह ये लेटर लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग कर रही हैl पत्र में पीड़ित महिला जज ने यह भी लिखा है कि एक जज होने के बावजूद जब मुझे न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जनता का क्या हाल होगा। दूसरों को न्याय देने वाले जज को ही जब न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जनता को क्या न्याय मिलता होगाl उन्होंने लिखा कि उनके साथ जो भी हुआ है, उसको लेकर मैंने ओपन पत्र जारी किया है। जिसमे मैंने सारी बातें लिखी हैंl इस पूरे मामले को लेकर मैंने याचिका भी दाखिल की थी। लेकिन उसे खारिज कर दिया गयाl महिला जज ने यह भी बताया कि जब मैंने शिकायत की तो शिकायत स्वीकार करने में ही लगभग छह महीने लग गए जबकि इस प्रक्रिया में सिर्फ तीन महीने लगते हैंl महिला जज ने लिखा कि मेरी पोस्टिंग बाँदा जिले में है और मैं अब मैं हाईकोर्ट जा रही हूँ। अभी मैं अपनी तरफ से कोई ऑफिशियल बयान नहीं दे सकती हूं, लेकिन मुझे जो कुछ कहना था मैंने उस पत्र में लिख दिया है और यह मेरा ओपन पत्र हैl उन्होंने कहा कि एक जज होने के बाद भी मुझे न्याय के लिए गुहार लगानी पड़ रही है जिसमे मुझे बहुत दिक्कत और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैl
सीजेआई ने हाईकोर्ट से तलब की रिपोर्ट
वहीं महिला जज की इच्छामृत्यु वाले वायरल पत्र पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट तलब की हैl सूत्रों के मुताबिक सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट सेकेट्री जनरल अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने का आदेश दिया हैl सेकेट्री जनरल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज द्वारा की गयी सारी शिकायतो की जानकारी मांगी है। इसके साथ ही शिकायत समिति के समक्ष कार्यवाही की स्थिति के बारे में पूछा, ये कदम सोशल मीडिया पर पत्र वायरल होने के बाद उठाया गयाl