बस्ती में आर्य समाज के स्वर्ण जयंती महोत्सव में बोलते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत के धार्मिक परिदृश्य में आर्य समाज द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने घर वापसी’ या धर्मांतरित लोगों की घर वापसी की अवधारणा के माध्यम से देश में बड़े पैमाने पर धार्मिक रूपांतरणों का जवाब देने में संगठन के अग्रणी प्रयासों पर प्रकाश डाला।
अस्पृश्यता उन्मूलन और स्वदेशी आदर्शों को बढ़ावा देने में आर्य समाज का योगदान
आदित्यनाथ ने ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में वैदिक आंदोलन शुरू करने, धार्मिक रूपांतरण और तुष्टिकरण की प्रचलित नीति का मुकाबला करने का श्रेय आर्य समाज को दिया। उन्होंने अस्पृश्यता उन्मूलन और स्वदेशी आदर्शों को बढ़ावा देने में आर्य समाज के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा आर्य समाज के आंदोलनों ने अनेक क्रांतिकारी दिए। काकोरी एक्शन के महानायक पंडित रामप्रसाद बिस्मिल आर्य समाज की ही देन थे।
मुख्यमंत्री ने आर्य समाज की शैक्षिक विरासत पर जोर दिया और कहा कि संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने शिक्षा में मूल्यों और आधुनिकता का मिश्रण किया। उन्होंने डीएवी (दयानंद एंग्लो वैदिक) स्कूलों की प्रतिष्ठित संस्थानों के रूप में प्रशंसा की जहां वैदिक प्रार्थनाएं और हवन यज्ञ दैनिक दिनचर्या का अभिन्न अंग थे।
आदित्यनाथ ने दर्शकों को महर्षि दयानंद सरस्वती को उनकी 200वीं जयंती पर देश भर में दी जा रही श्रद्धांजलि के बारे में बताया। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के उद्घाटनपर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य आर्य नायकों की भावना को पुनर्जीवित करना है।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से आर्य समाज की स्थापना का 150वां वर्ष प्रारंभ होने जा रहा है, जो देश और हमारे समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दौरान हमें अपने युवाओं के प्रेरित करना है कि वह आर्य समाज के कार्यों पर शोध करें। इससे हमारी वर्तमान पीढ़ी आर्य समाज के योगदान के बारे में जान पाएगी।